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Surat : पत्रिका अलर्ट : बच्चों में संक्रमण बढ़ा, एमआइएस-सी और कावासाकी का खतरा

– अभिभावकों को चौकन्ना रहने की सलाह….
– सूरत मे 10 वर्ष से कम 55 और 20 वर्ष तक के 182 बच्चे कोरोना पॉजिटिव

सूरतJul 30, 2020 / 10:50 pm

Sanjeev Kumar Singh

पत्रिका अलर्ट : बच्चों में संक्रमण बढ़ा, एमआइएस-सी और कावासाकी का खतरा

पत्रिका अलर्ट : बच्चों में संक्रमण बढ़ा, एमआइएस-सी और कावासाकी का खतरा

संजीव सिंह @ सूरत.

अनलॉक-2.0 में शहर में कोरोना मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। जुलाई के सिर्फ 25 दिनों में ही सूरत में 5026 कोरोना पॉजेटिव सामने आए हैं। राजस्थान पत्रिका की पड़ताल में जीरो से 10 वर्ष के बीच 55 बच्चे तथा 11 से 20 वर्ष के182 पॉजिटिव पाए गए हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना के समान लक्षण वाली दूसरी बीमारी अब बच्चों में कॉमन देखने को मिल रही है। एमआइएस-सी और कावासाकी जैसी खतरनाक बीमारी के लक्षण वाले मरीज सूरत में दिखाई देने लगे हैं। इसलिए अभिभावकों को अब बहुत अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों ही सूरत में यूरोपीय देशों में पाए जाने वाली बच्चों की खतरनाक बीमारी एमआइएस-सी से ग्रसित बालक मिला। हालांकि वह स्वस्थ हो गया।

तीस वर्ष से कम के एक हजार पॉजेटिव

सूरत शहर और ग्रामीण क्षेत्र में अनलॉक-2.0 के दौरान करीब तेरह हजार कोरोना पॉजिटिव की पहचान हो चुकी है। वहीं गंभीर 565 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। कोरोना वायरस अब बड़ों के साथ छोटी उम्र के लोगों को भी शिकार बना रहा है। हालांकि अब तक तो अच्छी बात यह है कि 20 वर्ष से कम उम्र के कोरोना पॉजिटिव की मृत्यु दर्ज नहीं हुई है। अधिकारिक जानकारी के अनुसार जुलाई के 25 दिनों में दस वर्ष तक के बच्चों में 55 पॉजिटिव सामने आए हैं। 11 से 20 वर्ष के बीच 182 और 21 से 30 वर्ष के बीच 727 कोरोना मरीज मिले हंै। आंकड़े बताते हैं कि सूरत में तीस वर्ष से कम उम्र के करीब एक हजार (964) पॉजिटिव मिले हैं। कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित लोगों की उम्र 41 से 60 वर्ष के बीच की है। जिसमें कुल 2,211 पॉजिटिव मिले हैं।
पत्रिका अलर्ट : बच्चों में संक्रमण बढ़ा, एमआइएस-सी और कावासाकी का खतरा
बच्चे अधिक संक्रमण फैला सकते हैं : डॉ. संजीव

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव राव बताते हैं कि अभिभावकों को बच्चों में कोरोना नहीं फैलने की सोच के साथ रिलेक्स नहीं रहना चाहिए। क्योंकि जहां कोरोना के मरीज अधिक मिलते हैं, वहां एमआइएस-सी (मल्टीपल ऑर्गन इंफ्लामेट्री सिंड्रोम इन चाइल्ड) तथा कावासाकी बीमारी की तरह लक्षण वाले बच्चे सामने आने लगते हैं। डब्लूएचओ का भी कहना है कि अधिक कोरोनाग्रस्त क्षेत्रों में बच्चों के तीस गुना संक्रमित होने की आशंका है। छोटे बच्चे रोने तथा खांसने के दौरान अधिक लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। दस से 18 वर्ष के बच्चे बड़ों के समकक्ष वायरस फैला सकते हैं। कावासाकी डिजीज की तरह दिखाई देने वाली बीमारी के लक्षणों में आंख व जीभ का लाल होना, नाखून के नीचे त्वचा का झडऩा, दवा से भी बुखार कंट्रोल नहीं होना आदि शामिल हैं। यह बीमारी बच्चे के हृदय में कोरोनरी ऑर्टरी में सूजन ला देती है। ऐसे किसी भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत फैमली डॉक्टर से सम्पर्क करें।
क्या है कावासाकी बीमारी?

इस रोग के कारण हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में सूजन हो जाती है। जिससे हृदय की गति प्रभावित होती है। कावासाकी रोग को कावासाकी सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 1967 में जापान के एक बाल रोग विशेषज्ञ ‘टोमीसाकू कावासाकीÓ ने पहली बार इस रोग की पहचान की थी। वर्ष 1976 में पहली बार अमेरिका के ‘हवाईÓ राज्य में इस रोग के कुछ मामले देखे गए थे।

सूरत में उम्र के मुताबिक पॉजिटिव केस (एक से 25 जुलाई)

उम्र- कोरोना मरीज

00-10- 55

11-20- 182

21-30- 727

31-40- 987

41-50- 1101

51-60- 1110

61-70- 568
71-80- 214

81-100- 72

कुल- 5026

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