फलों के राजा की ऐसी उपलब्धता कुछ सप्ताह ही रहेगी। बरसात के आगमन के साथ ही आम का मौसम समाप्त होने लगता है।
सूरत के बाजार में आम का आगमन फरवरी के अंत से शुरू हो जाता है और जून अंत तक लोग आम खरीदते हैं। इस बार पैदावार कम होने के कारण शुरू में आम की कीमत ज्यादा रही। जनवरी और फरवरी में कई स्थानों पर शीतलहर और बरसात के कारण आम के फूल झड़ जाने से पैदावार धीमी हो गई थी। इसका सीधा असर आम की कीमत पर पड़ा। दो सप्ताह पहले सूरत के बाजार में रत्नागिरी हापुस की कीमत प्रति 20 किलो 1600 से 1800 रुपए थी, जो अब घटकर 1100-1200 रुपए हो गई है। इसी तरह वलसाड के हापुस के दाम 1000-1200 से घटकर 900-1000 रुपए और केसर के 1200-1400 रुपए से 1100-1200 हो गए हैं। इसके अलावा लंगड़ा 600 रुपए प्रति 20 किलो बिक रहा है।
सगरामपुरा में आम विक्रेता संतोष मिश्रा ने बताया कि इस बार शुरू में पैदावार कमजोर रहने के कारण आम की आवक कम रही। मांग ज्यादा होने के कारण दाम अधिक थे, लेकिन अब आवक बढऩे से दाम घटे हैं। कुछ दिनों में ही रमजान की शुरुआत और बरसात के आगमन के कारण भी लोग अभी आम की खरीद कर रहे हैं। बरसात के बाद आम की बिक्री कम हो जाती है। फिलहाल सभी प्रकार के आमों की अच्छी डिमांड है। अचार के लिए राजापुरी और देशी आम की मांग ज्यादा है। आम विक्रेताओं के अनुसार फलों के राजा की ऐसी उपलब्धता कुछ सप्ताह ही रहेगी। बरसात के आगमन के साथ ही आम का मौसम समाप्त होने लगता है।
सूरत के बाजार में आम का आगमन फरवरी के अंत से शुरू हो जाता है और जून अंत तक लोग आम खरीदते हैं। इस बार पैदावार कम होने के कारण शुरू में आम की कीमत ज्यादा रही। जनवरी और फरवरी में कई स्थानों पर शीतलहर और बरसात के कारण आम के फूल झड़ जाने से पैदावार धीमी हो गई थी। इसका सीधा असर आम की कीमत पर पड़ा। दो सप्ताह पहले सूरत के बाजार में रत्नागिरी हापुस की कीमत प्रति 20 किलो 1600 से 1800 रुपए थी, जो अब घटकर 1100-1200 रुपए हो गई है। इसी तरह वलसाड के हापुस के दाम 1000-1200 से घटकर 900-1000 रुपए और केसर के 1200-1400 रुपए से 1100-1200 हो गए हैं। इसके अलावा लंगड़ा 600 रुपए प्रति 20 किलो बिक रहा है।
सगरामपुरा में आम विक्रेता संतोष मिश्रा ने बताया कि इस बार शुरू में पैदावार कमजोर रहने के कारण आम की आवक कम रही। मांग ज्यादा होने के कारण दाम अधिक थे, लेकिन अब आवक बढऩे से दाम घटे हैं। कुछ दिनों में ही रमजान की शुरुआत और बरसात के आगमन के कारण भी लोग अभी आम की खरीद कर रहे हैं। बरसात के बाद आम की बिक्री कम हो जाती है। फिलहाल सभी प्रकार के आमों की अच्छी डिमांड है। अचार के लिए राजापुरी और देशी आम की मांग ज्यादा है। आम विक्रेताओं के अनुसार फलों के राजा की ऐसी उपलब्धता कुछ सप्ताह ही रहेगी। बरसात के आगमन के साथ ही आम का मौसम समाप्त होने लगता है।