गरीबों के उद्धार का दावा करने वाली सरकार ने अबतक जिले में कहीं भी रैन बसेरा तक नहीं बनाया है। नौकरी के लिए दूसरे राज्यों से यहां आने वाले श्रमिक परिवार सीमित आमदनी के कारण मकान का किराया भी नहीं निकाल पाते। सुविधा के अभाव में श्रमजीवी परिवारों को महिला और बच्चों के साथ फुटपाथ पर ही सोना पड़ता है। ठंडी हो या गर्मी या फिर मॉनसून हर मौसम में खुला आसमान ही इनकी छत बना हुआ है। कीम में हुई दुर्घटना में जान गंवाने वाले मजदूर भी इसी मजबूरी के चलते फुटपाथ पर सो रहे थे। सरकार ने औद्योगिक क्षेत्रों में शैल्टर होम या रैन बसेरा की सुविधा दी होती तो हादसे में इनकी जान नहीं जाती। हादसे के बाद जागे राज्य सरकार में मंत्री और क्षेत्र के विधायक गणपत वसावा ने हालांकि दावा किया है कि आने वाले दिनों में जिले में रैन बसेरा बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।