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सूरत

Making of Modi-4 : बदलाव के नायक को जोखिम और चुनौतियों ने निखारा

कहते हैं कि जो शख्स चुनौतियों से पार पाने का हौसला रखने के साथ जोखिमों को उठाने की कुव्वत रखता हो, सफलता उसके कदम चूमती है। वडनगर से राजधानी तक के सफर को टटोलें तो नरेन्द्र मोदी ने ऐसा ही किया…

सूरतMay 29, 2019 / 10:57 pm

Rajesh Kumar Kasera

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Making of Modi-4 : बदलाव के नायक को जोखिम और चुनौतियों ने निखारा

– राजेश कसेरा


कहते हैं कि जो शख्स चुनौतियों से पार पाने का हौसला रखने के साथ जोखिमों को उठाने की कुव्वत रखता हो, सफलता उसके कदम अवश्य चूमती है। वडनगर से देश की राजधानी तक के सफर को टटोलें तो नरेन्द्र मोदी ने ऐसा ही किया। कदम-कदम पर मिली चुनौतियों को उन्होंने न केवल स्वीकारा, बल्कि उनसे जीतकर खुद को निखारा भी। बदलाव का नायक (चेंजमेकर) बनने की जिद और सोच ने मोदी को उस मुकाम पर पहुंचा दिया, जिसका पता केवल खुद को था। राजनीति में आने के बाद से मोदी ने वरिष्ठ और समकक्ष नेताओं की सोच से कहीं आगे कामकाज को कर दिखाया। यही कारण रहा कि संगठन और पार्टी में उनके हर काम और फैसले की गूंज होने लगी। जिन फैसलों को लेने में दूसरे नेता हिचकते थे या टालने का प्रयास करते थे, उनको लागू करने में मोदी हिचकते नहीं थे। तभी तो वे देश के उन कुछ नेताओं में गिने जाने लगे, जो एक समय में एक साथ कई मोर्चों पर काम करते हैं। फिर चाहे वह राजनीतिक हो, आर्थिक हो, सामाजिक हो या विदेश नीति के मामले।
हर मोर्चे की चुनौतियों पर उन्होंने दमदार तरीके से काम किया और परिणाम भी सार्थक लेकर आए। इसके विपरीत ज्यादातर मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री ज्यादा से ज्यादा एक या दो मोर्चों पर केन्दि्रत होकर काम कर पाते थे। बाकी के पहलुओं पर काम पहले से प्रतिस्थापित हो चुके ढर्रे पर चलता था। गुजरात में पहली बार उन्होंने सत्ता संभाली तो तकनीकी तौर पर उनकी सरकार नहीं थी। राजनीतिक अस्थिरता के दौर में उनको गुजरात भेजा गया। यह वही समय था जब प्रदेश भाजपा में गुटबाजी चरम पर थी। प्रदेश ने भूकंप की बड़ी त्रासदी झेली। इन चुनौतियों से लड़ने से निपटने का काम ही चल रहा था कि गोधरा कांड से प्रदेश दंगों की आग में सुलग गया। इन आपदाओं ने मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया। कई गंभीर सवाल उनकी लीडरशिप को लेकर खड़े कर दिए। घर (भाजपा) के अंदर चले राजनीतिक षड़यंत्रों ने भी उनको कमजोर करने का काम किया।
गुजरात मोदी के नाम पर बंट गया। लेकिन, सारे तूफानों का उन्होंने डटकर सामना किया और विजेता बनकर प्रदेश की जनता का समर्थन प्राप्त किया। बाद में संगठन के अंदर बैठे प्रवीण तोगड़िया और गोवर्धन झड़फिया जैसे नेताओं से दूरी बनाकर उन्हें किनारे पर लगा दिया। जोखिमों और चुनौतियों से जीतने का ऐसा ही साहस मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में दिखाया। भाजपा ने उनको प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तब देश में अव्यवस्था का माहौल था। बड़े-बड़े आर्थिक घोटालों ने अर्थव्यवस्था की रीढ़ को कमजोर बना दिया था। बचा हुआ काम मंदी के माहौल ने कर दिया। सार्वजनिक बैंक बर्बादी के मुहाने पर खड़े हो गए। विकट हालात में भी मोदी ने नोटबंदी और जीएसटी जैसे साहसिक फैसले किए और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का काम किया।


वाइब्रेंट गुजरात ने खोले विकास के रास्ते


वर्ष 2007 में मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात और विकास की बड़ी परियोजनाओं का खाका तैयार किया। उन्होंने राज्य की आर्थिक समृदि्ध के लिए ठोस कदम उठाए और जोखिम लिए। वाइब्रेंट गुजरात समिट में पहली बार 6.6 खरब रुपए से अधिक के सौदों पर हस्ताक्षर हुए। मोदी की इस पहल ने कॉर्पोरेट जगत का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। प.बंगाल के सिंगूर में टाटा के नैनो प्रोजेक्ट का विरोध हुआ तो 2008 में उसे गुजरात लाकर सबको चौंका दिया। यही नहीं, गुजरात में पानी की समस्या को हल करने और ग्राउंडवॉटर को बचाने के लिए विजन लेकर काम किया और सूखे राज्य की तस्वीर को बदल दिया। कपास के उत्पादन में प्रदेश देश का अग्रणी राज्य बन गया। बदहाल कहे जाने वाले किसानों की जिंदगी बदल गई। कृषि विकास दर 11 फीसदी पर आ गई। विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए गुजरात ही देश में सबसे श्रेष्ठ विकल्प नजर आया। साबरमती रिवरफ्रंट, बुलेट ट्रेन, हाइवे और रेल नेटवर्क जैसे ढेरों विकास के काम हैं, जो मोदी के श्रेष्ठ विजन को दर्शाते हैं।

दुनिया देख रही स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और दांडी मेमोरियल


दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को भारत में स्थापित करने की अकल्पनीय चुनौती भी मोदी ने पूरी कर दिखाई। नर्मदा जिले में केवडि़या गांव स्थित सरदार सरोवर बांध के किनारे लोहपुरुष सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा को स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का नाम दिया। देश को एकता के सूत्र में पिराने वाले महापुरुष के साथ ही मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पहले बड़े आंदोलन की नींव भी गुजरात में रखी। नवसारी जिले के दांडी गांव में राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक का निर्माण कर उसको बड़ी पहचान दी। यह चुनौतियों से लड़ने का माद्दा ही तो है कि मोदी की ऐसी दूरदर्शिता देश के महानायकों के महान कार्यों को सदैव भावी पीढि़यों के मानस पटल में सजीव रखेंगी।

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