वाइब्रेंट गुजरात ने खोले विकास के रास्ते
वर्ष 2007 में मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात और विकास की बड़ी परियोजनाओं का खाका तैयार किया। उन्होंने राज्य की आर्थिक समृदि्ध के लिए ठोस कदम उठाए और जोखिम लिए। वाइब्रेंट गुजरात समिट में पहली बार 6.6 खरब रुपए से अधिक के सौदों पर हस्ताक्षर हुए। मोदी की इस पहल ने कॉर्पोरेट जगत का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। प.बंगाल के सिंगूर में टाटा के नैनो प्रोजेक्ट का विरोध हुआ तो 2008 में उसे गुजरात लाकर सबको चौंका दिया। यही नहीं, गुजरात में पानी की समस्या को हल करने और ग्राउंडवॉटर को बचाने के लिए विजन लेकर काम किया और सूखे राज्य की तस्वीर को बदल दिया। कपास के उत्पादन में प्रदेश देश का अग्रणी राज्य बन गया। बदहाल कहे जाने वाले किसानों की जिंदगी बदल गई। कृषि विकास दर 11 फीसदी पर आ गई। विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए गुजरात ही देश में सबसे श्रेष्ठ विकल्प नजर आया। साबरमती रिवरफ्रंट, बुलेट ट्रेन, हाइवे और रेल नेटवर्क जैसे ढेरों विकास के काम हैं, जो मोदी के श्रेष्ठ विजन को दर्शाते हैं।
दुनिया देख रही स्टेच्यू ऑफ यूनिटी और दांडी मेमोरियल
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को भारत में स्थापित करने की अकल्पनीय चुनौती भी मोदी ने पूरी कर दिखाई। नर्मदा जिले में केवडि़या गांव स्थित सरदार सरोवर बांध के किनारे लोहपुरुष सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा को स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का नाम दिया। देश को एकता के सूत्र में पिराने वाले महापुरुष के साथ ही मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पहले बड़े आंदोलन की नींव भी गुजरात में रखी। नवसारी जिले के दांडी गांव में राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक का निर्माण कर उसको बड़ी पहचान दी। यह चुनौतियों से लड़ने का माद्दा ही तो है कि मोदी की ऐसी दूरदर्शिता देश के महानायकों के महान कार्यों को सदैव भावी पीढि़यों के मानस पटल में सजीव रखेंगी।