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सूरत

Making of Modi-5 : आम आदमी की उम्मीदों को साकार करने वाला जादूगर !

जननायक बना महानायक : मोदी ने राजनीति से दूर भागने वाले जनमानस को सिखाई नई परिभाषा…

सूरतMay 30, 2019 / 04:43 pm

Rajesh Kumar Kasera

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Making of Modi-5 : आम आदमी की उम्मीदों को साकार करने वाला जादूगर !

– राजेश कसेरा


देश के उलझे राजनीतिक तंत्र और नेताओं की चालबाजियों से परेशान आम आदमी को 2014 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उम्मीद की नई राह दिखाई। उन्होंने आंकाक्षाओं को साकार करने की ऐसी सुनहरी तस्वीर लोगों को दिखाई कि उनको महसूस होने लगा, बदलाव का दौर लौट आया है। सबकुछ खत्म नहीं हुआ है। मोदी ने पूरा चुनाव अभियान जनमानस की सोच और विचार पर दस्तक देने की दिशा में चलाया। मोदी ने अपने भाषणों में राजनीति से निराश हो चुके देश को पुनः मजबूती से खड़ा करने का संकल्प बार-बार दोहराया। ‘मैं देश नहीं झुकने दूंगा’ जैसे गूढ़ वाक्यों ने लोगों के मानस पटल पर गहरी दस्तक दी। मोदी ने जब कहा कि ‘सबका साथ-सबका विकास’ तो देश के नागरिकों को महसूस होने लगा कि उनकी तकलीफों को कम करने वाला मसीहा उन्हें मिल गया है।
लोगों को मोदी की बातों पर भरोसा होने लगा। उनको मोदी के अंदर अवसाद और निराशा को दूर करने की आस दिखी। मोदी में बदलते भारत का अक्स देखा और लगने लगा कि देश सुरक्षित हाथों में है। मोदी ने आमजन के मन में इस भाव को भी सशक्त किया कि अवसाद के बादल कितने ही घने हों, परिस्थितियां चाहे विकट हों और अंधेरा कितना ही घना छा जाए उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। मोदी का यह जादू इससे पहले केवल गुजरात की अवाम ने ही करीब से देखा था, जिसने लगातार चार बार उनको मुख्यमंत्री पद के लिए चुना। मोदी ने भी गुजरात के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी और देश के श्रेष्ठ राज्य का दर्जा दिलाया।


आम आदमी की चिंता को रखा सबसे आगे


मोदी सरकार ने 2014 में पूर्ण बहुमत से सत्ता हासिल करने के बाद जनविकास को संबल देने वाली योजनाओं में आम आदमी को ही केन्द्र में रखा। सीधे-सीधे यह संदेश देने का काम भी किया कि उनकी सरकार आम लोगों के लिए समर्पित हैं। सड़क, बिजली, आवास जैसी मूलभूत सुविधाओं का रोड मैप बनाया तो आमजन में स्वच्छता की अलख जगाई। उज्जवला योजना के जरिए घर महिलाओं की संवेदनाओं को पाने का सफल काम किया। खुद को चौकीदार और फकीर की संज्ञा देकर आमजन के दिलोदिमाग में इतनी मजबूत छवि बना ली कि कोई इसे समझ नहीं पाया। यही कारण रहा कि उन पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाने वालों को मोदी ने 2019 के चुनाव में अपने इर्द-गिर्द ही समेट कर रख दिया। एंटी इनकमबैंसी फैक्टर, बेरोजगारी के रिकॉर्ड स्तर, किसानों की आमदनी नहीं बढ़ने, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, नोटबंदी और जीएसटी जैसे विपक्षियों के सारे दावे और शिकायतें धरी रह गईं और आमजन का भरोसा मोदी पर कायम रहा।


राष्ट्रवाद और विकास के बूते जीता दिल


राजनीति में आने के बाद से बीते दो दशक में मोदी ने हर परीक्षा को श्रेष्ठतम अंकों के साथ उत्तीर्ण किया। 2014 में सबका साथ-सबका विकास मूलमंत्र के बूते सत्ता पर काबिज होने के बाद मोदी ने देश में राष्ट्रवाद की भावना को भी काफी प्रबल करने का काम किया। उन्होंने जनमानस के मन में यह बीज बो दिए कि देश सर्वोपरि है और उनका विरोध करने वाले धार्मिक धुव्रीकरण का काम कर रहे हैं। उन्होंने समाज को दो वर्गों में प्रस्तुत करने का काम किया। इनमें जो उनके समर्थक हैं, वे राष्ट्रवादी हैं और जो राजनीतिक विरोधी या आलोचक हैं, वे एंटी नेशनल। कटुता से भरे और समाज बांटने वाले चुनावी अभियान में मोदी ने राष्ट्रवाद और विकास को मुद्दा बनाया। स्वयं को चौकीदार, देश की जल-थल-नभ से सुरक्षा करने वाला बताया और विपक्षियों को भ्रष्ट।
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