scriptMONSOON 2019 : सूरत में देर से पहुंचेगा मानसून, 20 जून तक दस्तक | MONSOON 2019 : Monsoon to reach late in Surat, knock till June 20 | Patrika News
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MONSOON 2019 : सूरत में देर से पहुंचेगा मानसून, 20 जून तक दस्तक

– इस बार कमजोर रहने के आसार, बंगाल की खाड़ी में अब तक नहीं बना लो प्रेशर सिस्टम, तीखी गर्मी से जल्दी राहत नहीं- पिछले साल दो सप्ताह देर से 23 जून को हुआ था आगमन, अक्टूबर तक हुई बारिश ने सुधार दिया था औसत

सूरतMay 18, 2019 / 08:01 pm

Divyesh Kumar Sondarva

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MONSOON 2019 : सूरत में देर से पहुंचेगा मानसून, 20 जून तक दस्तक

सूरत.

तेज गर्मी से त्रस्त सूरत समेत दक्षिण गुजरात के लोगों को इस साल भी मानसून की राहत देर से मिलेगी। मौसम विभाग ने सूरत और दक्षिण गुजरात में मानसून 20 जून तक पहुंचने के संकेत दिए हैं। बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर सिस्टम विकसित नहीं होने के कारण बरसात में देर होने के आसार हैं। लो प्रेशर सिस्टम की कमजोरी के कारण अरब सागर का मानसून सिस्टम नहीं बन पा रहा है।
मौैसम विभाग के अनुसार इस बार केरल में मानसून देर से पहुंचने का असर सूरत समेत दक्षिण गुजरात पर भी पडऩे वाला है। पिछले साल सूरत में मानसून सामान्य रहा था। इस बार इसके पिछले साल के मुकाबले कमजोर रहने के आसार जताए जा रहे हैं। सूरत में मार्च की शुरुआत में ही गर्मी शुरू हो गई थी और अप्रेल में पारा 40 डिग्री के पार चला गया था। मई में भी सूरत का तापमान कई बार 40 डिग्री के पार जा चुका है। इन दिनों गर्मी और तेज धूप ने सभी को बेहाल कर रखा है। बारिश का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। शहर का औसत अधिकतम तापमान 34 डिग्री के आसपास दर्ज हो रहा है। मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि सूरत के लोगों को 20 जून तक मानसून के लिए इंतजार करना होगा। पिछले साल मौसम विभाग ने 20 जून तक शहर में बारिश शुरू होने की संभावना जताई थी और 23 जून को शहर में पहली बारिश हुई थी।
मौसम विभाग ने 2018 में सूरत में सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की थी, लेकिन मानसून कमजोर रहा था। 2017 के मुकाबले मानसून के अंत में कुछ अधिक बारिश हो गई थी। अक्टूबर में भी कुछ दिन बारिश हुई थी। इस वजह से 2018 में 1293 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि 2017 में 1116.4 मिमी बारिश हुई थी। सूरत में मानसून का सारा दारोमदार बंगाल की खाड़ी के लो प्रेशर सिस्टम पर है। यदि लो प्रेशर सिस्टम जल्दी बना तो मानसून की रफ्तार में सुधार हो सकता है। फिलहाल यह सिस्टम बनना शुरू नहीं हुआ है।
मौसम विभाग के मुताबिक इस बार मानसून की चाल सुस्त है, इसलिए वह पांच दिन की देरी से 6 जून को केरल पहुंचेगा। आम तौर पर यह एक जून तक केरल पहुंच जाता है। विभाग का कहना है कि दक्षिण पश्चिम मानसून के आगे बढऩे के हालात अनुकूल बने हुए हैं। मानसून 18-19 मई के बीच मानसून अंडमान सागर में सक्रिय होने की संभावना है। इसके बाद यह केरल की तरफ बढ़ेगा। केरल के बाद यह गोवा, मुंबई होते हुए जून के अंत तक उत्तर भारत पहुंचता है और जुलाई के पहले सप्ताह में देशभर में छा जाता है। मौसम विभाग का कहना है कि मानसून के केरल आगमन में विलंब के बावजूद यह जरूरी नहीं है कि यह उत्तर भारत भी देर से पहुंचे। केरल में दस्तक देने के बाद बनने वाले हालात के आधार पर मानसून रफ्तार पकड़ता है। मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट ने पहले कहा था कि मानसून केरल में चार जून के आसपास दस्तक दे सकता है। स्काइमेट के मुताबिक इस बार देश के सभी चार क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश के आसार हैं। उत्तर पश्चिम भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप के मुकाबले पूर्व और पूर्वोत्तर भारत तथा मध्य हिस्से में कम बारिश हो सकती है। एजेंसी ने सामान्य से कम बारिश की संभावना के पीछे की वजह अलनीनो को बताया है। प्रशांत महासागर औसत से अधिक गर्म हो गया है। मार्च-मई के दौरान अनुमानों में अल नीनो की 80 प्रतिशत संभावना है, जो जून से अगस्त के बीच 60 प्रतिशत तक कम होती है। एजेंसी के मुताबिक मानसून के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का 93 फीसदी रहने की संभावना है। एलपीए की 90-95 फीसदी बारिश सामान्य से कम की श्रेणी में आती है। वर्ष 1951 से 2000 के बीच हुई कुल बारिश के औसत को एलपीए कहा जाता है और यह 89 सेमी है। यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है तो यह लगातार तीसरा साल होगा, जब सामान्य से कम बारिश होगी। स्काइमेट के मुताबिक जून में एलपीए की 77 प्रतिशत बारिश देखने को मिल सकती है, जबकि जुलाई में एलपीए की 91 प्रतिशत बारिश हो सकती है। यानी जून और जुलाई में सामान्य से कम बारिश होने के आसार हैं। अगस्त और सितम्बर में क्रमश: एलपीए की 102 प्रतिशत और 99 प्रतिशत बारिश हो सकती है।
सूरत में 8 से 15 जून तक पहुंचता रहा है मानसून
आम तौर पर सूरत में मानसून 8 से 15 जून के बीच सक्रिय होता रहा है, लेकिन पिछले साल यह दो हफ्ते देर से यहां पहुंचा था। वर्ष 2013 में इसने 8 जून, 2014 में 15 जून, 2016 में 10 जून, 2017 में 8 जून और 2018 में 23 जून को दस्तक दी थी। पिछले साल सामान्य बारिश हुई थी। वर्ष 2013 में सूरत में 1811.3 मिमी, 2014 में 991.2 मिमी, 2015 में 1140.1 मिमी, 2016 में 926.2 मिमी, 2017 में 1116.4 मिमी, जबकि 2018 में 1293 मिमी बारिश हुई थी। पिछले पांच साल में सूरत में सर्वाधिक बारिश 2013 में हुई थी।
सूखा बीतेगा रमजान
इस बार रमजान का पाक महीना मानसून के आगमन से पहले ही खत्म हो जाएगा। दक्षिण गुजरात में रमजान के रोजे प्री मानसून की बारिश में गुजर सकते हैं। रोजेदारों की निगाहें प्री मानसून की बारिश पर टिकी हैं। फेनी चक्रवाती तूफान से वातावरण में नमी के कारण कुछ दिन राहत रही थी, लेकिन रमजान शुरू होने से पहले उमसभरी गर्मी सताने लगी। इस दौरान पारा कई बार 40 डिग्री के पार चला गया।
मानसून का मतलब
मानसून का व्यापक अर्थ है- ऐसी हवाएं, जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में अधिकांश बारिश कराती हंै। हिन्द महासागर और अरब सागर की तरफ से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को मानसून कहा जाता है। इनसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में बारिश होती है। यह मौसमी हवाएं दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक सक्रिय रहती हैं। आमतौर पर जून के शुरू में केरल के रास्ते दक्षिण पश्चिमी मानसून देश में प्रवेश करता है। चार महीने की बरसात के बाद सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते मानसून की वापसी होती है।
ऐसे तय होती है पहुंचने की तारीख
केरल तट पर मानसून पहुंचने के पूर्वानुमान में कई मानकों का इस्तेमाल किया जाता है। यदि दस मई के बाद केरल और लक्षद्वीप के 14 तय मौसम केंद्रों में से 60 फीसदी में लगातार दो दिन न्यूनतम 2.5 मिमी बारिश होती है तो इससे मानसून की आहट माना जाता है। हवा और तापमान को लेकर अन्य हालात भी अगर मानकों को समयानुसार पूरा करते हैं तो माना जाता है कि मानसून सामान्य समय पर पहुंच रहा है। केरल पहुंचने के बाद उसके उत्तर की तरफ बढऩे के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं। इनमें स्थानीय स्तर पर कम वायु दबाव क्षेत्र का बनना शामिल है। अगर स्थानीय कारक मजबूत होते हैं तो देर से पहुंचने के बाद भी देश के अन्य हिस्सों तक इसकी आमद समय पर होती है। केरल पहुंचने के बाद 15 जुलाई तक यह पूरे देश को अपनी जद में ले लेता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में मानसूनी बारिश 15 से 20 मई के दौरान ही शुरू हो जाती है। केरल तट पर यह प्रक्रिया मई के अंतिम सप्ताह में शुरू होती है। जब तक तय दशाएं दिखाई नहीं देतीं, तब तक मानसून के आगमन की घोषणा नहीं की जाती। मौसम विभाग को पहले लाल बुझक्कड़ कहा जाता था, लेकिन तकनीक और विज्ञान के विकास ने इसे काफी हद तक भरोसेमंद बना दिया है। पहले के मुकाबले अब इसका अनुमान काफी सटीक होने लगा है।
पांच साल में सूरत में बारिश का लेखा-जोखा
वर्ष आगमन जून/मिमी जुलाई/मिमी अगस्त/मिमी सितम्बर/मिमी कुल/मिमी
2013 8 जून 761.4 641.2 302.0 106.7 १८११.३
2014 15 जून 227 389.9 157.5 216.8 ९९१.२
2015 9 जून 525.8 154.7 57.3 ४०२.३ ११४०.1
2016 10 जून 107.5 489.3 १८३.७ १४५.७ ९२६.२
2017 ८ जून ३०२.6 ३५५.२ ३८३.८ ७४.८ १११६.४
२०१८ 23 जून 201 753 २०९ १०४ १२९३
(2018 अक्टूबर में 26 मिमी बारिश हुई थी। इसलिए सूरत में कुल 1293 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।)
किस साल कब केरल पहुंचा
2005 7 जून
2006 26 मई
2007 28 मई
2008 31 मई
2009 23 मई
2010 31 मई
2011 29 मई
2012 5 जून
2013 1 जून
2014 6 जून
2015 5 जून
2016 8 जून
2017 30 मई
2018 29 मई

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