आम तौर पर सूरत में मानसून 8 से 15 जून के बीच सक्रिय होता रहा है, लेकिन पिछले साल यह दो हफ्ते देर से यहां पहुंचा था। वर्ष 2013 में इसने 8 जून, 2014 में 15 जून, 2016 में 10 जून, 2017 में 8 जून और 2018 में 23 जून को दस्तक दी थी। पिछले साल सामान्य बारिश हुई थी। वर्ष 2013 में सूरत में 1811.3 मिमी, 2014 में 991.2 मिमी, 2015 में 1140.1 मिमी, 2016 में 926.2 मिमी, 2017 में 1116.4 मिमी, जबकि 2018 में 1293 मिमी बारिश हुई थी। पिछले पांच साल में सूरत में सर्वाधिक बारिश 2013 में हुई थी।
इस बार रमजान का पाक महीना मानसून के आगमन से पहले ही खत्म हो जाएगा। दक्षिण गुजरात में रमजान के रोजे प्री मानसून की बारिश में गुजर सकते हैं। रोजेदारों की निगाहें प्री मानसून की बारिश पर टिकी हैं। फेनी चक्रवाती तूफान से वातावरण में नमी के कारण कुछ दिन राहत रही थी, लेकिन रमजान शुरू होने से पहले उमसभरी गर्मी सताने लगी। इस दौरान पारा कई बार 40 डिग्री के पार चला गया।
मानसून का व्यापक अर्थ है- ऐसी हवाएं, जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में अधिकांश बारिश कराती हंै। हिन्द महासागर और अरब सागर की तरफ से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को मानसून कहा जाता है। इनसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में बारिश होती है। यह मौसमी हवाएं दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक सक्रिय रहती हैं। आमतौर पर जून के शुरू में केरल के रास्ते दक्षिण पश्चिमी मानसून देश में प्रवेश करता है। चार महीने की बरसात के बाद सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते मानसून की वापसी होती है।
केरल तट पर मानसून पहुंचने के पूर्वानुमान में कई मानकों का इस्तेमाल किया जाता है। यदि दस मई के बाद केरल और लक्षद्वीप के 14 तय मौसम केंद्रों में से 60 फीसदी में लगातार दो दिन न्यूनतम 2.5 मिमी बारिश होती है तो इससे मानसून की आहट माना जाता है। हवा और तापमान को लेकर अन्य हालात भी अगर मानकों को समयानुसार पूरा करते हैं तो माना जाता है कि मानसून सामान्य समय पर पहुंच रहा है। केरल पहुंचने के बाद उसके उत्तर की तरफ बढऩे के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं। इनमें स्थानीय स्तर पर कम वायु दबाव क्षेत्र का बनना शामिल है। अगर स्थानीय कारक मजबूत होते हैं तो देर से पहुंचने के बाद भी देश के अन्य हिस्सों तक इसकी आमद समय पर होती है। केरल पहुंचने के बाद 15 जुलाई तक यह पूरे देश को अपनी जद में ले लेता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में मानसूनी बारिश 15 से 20 मई के दौरान ही शुरू हो जाती है। केरल तट पर यह प्रक्रिया मई के अंतिम सप्ताह में शुरू होती है। जब तक तय दशाएं दिखाई नहीं देतीं, तब तक मानसून के आगमन की घोषणा नहीं की जाती। मौसम विभाग को पहले लाल बुझक्कड़ कहा जाता था, लेकिन तकनीक और विज्ञान के विकास ने इसे काफी हद तक भरोसेमंद बना दिया है। पहले के मुकाबले अब इसका अनुमान काफी सटीक होने लगा है।
वर्ष आगमन जून/मिमी जुलाई/मिमी अगस्त/मिमी सितम्बर/मिमी कुल/मिमी
2013 8 जून 761.4 641.2 302.0 106.7 १८११.३
2014 15 जून 227 389.9 157.5 216.8 ९९१.२
2015 9 जून 525.8 154.7 57.3 ४०२.३ ११४०.1
2016 10 जून 107.5 489.3 १८३.७ १४५.७ ९२६.२
2017 ८ जून ३०२.6 ३५५.२ ३८३.८ ७४.८ १११६.४
२०१८ 23 जून 201 753 २०९ १०४ १२९३
(2018 अक्टूबर में 26 मिमी बारिश हुई थी। इसलिए सूरत में कुल 1293 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।)
2005 7 जून
2006 26 मई
2007 28 मई
2008 31 मई
2009 23 मई
2010 31 मई
2011 29 मई
2012 5 जून
2013 1 जून
2014 6 जून
2015 5 जून
2016 8 जून
2017 30 मई
2018 29 मई