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सूरत

यहां आषाढ़ के महीने में भी मानसून की बेरूखी से किसान परेशान

मानसून की दस्तक के बाद लगा ब्रेक, भौगोलिक कारण जिम्मेदार

सूरतJul 04, 2021 / 07:45 pm

Gyan Prakash Sharma

यहां आषाढ़ के महीने में भी मानसून की बेरूखी से किसान परेशान

यहां आषाढ़ के महीने में भी मानसून की बेरूखी से किसान परेशान

सिलवासा. इस साल मानूसन ने भले ही समय से पहले दस्तक दे दी थी, लेकिन अब आषाढ़ के महीने में मानसून बेरूखी बरत रहा है। आषाढ़ में मूसलाधार बारिश होती है, लेकिन इन दिनों वायुमंडल में बढ़ी उमसभरी गर्मी से लोग परेशान है।
मौसम विभाग के अनुसार मौसम में आए इस बदलाव की वजह भौगोलिक कारण है। बताया है कि बंगाल की खाड़ी में भी कहीं नया सिस्टम बनते नहीं दिख रहा है, जिससे तेज बारिश की उम्मीद की जा सके। मानसून की ट्रफ लाइन ब्रेक होने से ऐसी स्थिति बनी हुई है। ट्रफ लाइन का पश्चिमी हिस्सा ब्रेक होने से मानसून रफ्तार नहीं पकड़ रहा है। फिलहाल लोकल सिस्टम से ही प्रदेश में हल्की बारिश हो सकती है। इस वर्ष जून के दूसरे सप्ताह में मानसून ने दस्तक दी थी और तेज बारिश भी हुई। गत माह के अंतिम सप्ताह से ही बारिश पर ब्रेक लगा हुआ है।
धान रोपना रोका


जिले में सिंचाई के अभाव में किसानों की खेती रुक गई है। धान की पौध तैयार है, मगर पानी के अभाव से किसानों ने रोपना रोक रखा है। किसानों का कहना है कि धान की पनीरी तैयार है, लेकिन पानी के अभाव में खासकर असिंचित क्षेत्रों में रोपाई का कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है। आषाढ़ में धान की रोपाई का उत्तम समय रहता है। खेतों की हल जोतकर जुताई कर ली गई है, अब मानसून का इंजतार हैं। कुछ खेतों में जहां धान रोपी गई थी, वह अब सूख रही है। मांदोनी, सिंदोनी, दुधनी, कौंचा, आंबोली, खेरड़ी, दपाड़ा, सुरंगी विस्तार में किसान अगेती फसल की बुवाई अधिक की जाती हैं, लेकिन इस बार मानसून रूठने से फसलों की बुवाई में करीब 10 दिन की देरी हो चुकी हैं। किसान हल्की बौछारों से धान रोपण करने को मजबूर हंै। कम बारिश से खेतों में जुताई व धान की पौध रोपण के लिए खेत दलदल तैयार करने में कठिनाई होती है। जिले में कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाले हाइब्रीड बीजों की बुवाई होती हैं।

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