जिले में सिंचाई के अभाव में किसानों की खेती रुक गई है। धान की पौध तैयार है, मगर पानी के अभाव से किसानों ने रोपना रोक रखा है। किसानों का कहना है कि धान की पनीरी तैयार है, लेकिन पानी के अभाव में खासकर असिंचित क्षेत्रों में रोपाई का कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है। आषाढ़ में धान की रोपाई का उत्तम समय रहता है। खेतों की हल जोतकर जुताई कर ली गई है, अब मानसून का इंजतार हैं। कुछ खेतों में जहां धान रोपी गई थी, वह अब सूख रही है। मांदोनी, सिंदोनी, दुधनी, कौंचा, आंबोली, खेरड़ी, दपाड़ा, सुरंगी विस्तार में किसान अगेती फसल की बुवाई अधिक की जाती हैं, लेकिन इस बार मानसून रूठने से फसलों की बुवाई में करीब 10 दिन की देरी हो चुकी हैं। किसान हल्की बौछारों से धान रोपण करने को मजबूर हंै। कम बारिश से खेतों में जुताई व धान की पौध रोपण के लिए खेत दलदल तैयार करने में कठिनाई होती है। जिले में कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाले हाइब्रीड बीजों की बुवाई होती हैं।