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सूरत

नर्मदा ने किया भरुच से अंकलेश्वर का रुख

नदी का प्रवाह 31 साल में अंकलेश्वर की ओर डेढ़ किमी खिसका, भरुच से दूर हुआ नदी का किनारा, तीन गांवों पर खतरा मंडराया

सूरतJun 13, 2021 / 07:48 pm

विनीत शर्मा

नर्मदा ने किया भरुच से अंकलेश्वर का रुख

नर्मदा ने किया भरुच से अंकलेश्वर का रुख

बीके पांडेय

भरुच. बीते तीन दशक में नर्मदा नदी का प्रवाह भरुच से अंकलेश्वर की ओर खिसक गया है। नदी के करीब डेढ़ किमी तक खिसक जाने से नदी जल भरुच से हो गया है। वर्ष 1976 में आई बाढ़ में पहली बार अंकलेश्वर की ओर नर्मदा नदी के कटाव की शुरुआत होने से धारा विभाजित हो गई थी। उधर भाड़भूत रिवर कम बैरेज में बांध बनाने की योजना तीन साल से कागज पर ही चल रही है।
भरुच शहर पवित्र पावनी माता नर्मदा नदी के किनारे बसा है। मगर बीते 31 साल में नर्मदा नदी लगातार भरुच से दूर हो रही है और डेढ़ किमी तक अंकलेश्वर की ओर खिसक चुकी है। नदी का अंकलेश्वर की ओर रुख होने से गोल्डेन ब्रिज से धंतुरिया गांव तक के 25 किमी के दायदरे में पांच सौ से ज्यादा किसानों की 15 सौ से 18 सौ एकड़ जमीन कटान में चली गई है। प्रोटेक्शन वाल को लेकर सरकारी स्तर पर गंभीरता का अभाव होने से जूना बोरभाठा, बोरभाठा बेट व सरफुद्दीन गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
वर्ष 1976 की बाढ़ में पहली बार अंकलेश्वर की ओर नर्मदा का कटाव शुरु हो गया था। हालांकि एक साल बाद यह ठहर गया था। जानकारों के मुताबिक सरदार सरोवर नर्मदा बांध के निर्माण की शुरुआत से धीरे-धीरे पानी में अवरोध होने से नदी का प्रवाह व रुख में बदलाव आया है। गोल्डन ब्रिज से धंतुरिया गांव तक नर्मदा किनारे लगातार 1990 से जमीन का कटाव शुरु हुआ है। 1990 के बाद से हर साल नर्मदा नदी से किनारे की जमीन में कटाव हो रहा है। बोरभाठा गांव के पास डेढ़ किमी तक की जमीन पूरी तरह से कट गई है। नदी के प्रवाह में लगातार कटाव से कीमती जमीन कटान में गंवाने वाले किसान अब अपना घर भी गंवा देने की स्थिति में आ गए हैं।
नर्मदा नदी में पिछले साल आई बाढ़ में बोरभाठा श्मशान गृह के पास की जमीन में गेबियन वाल की नींव के कट जाने से अब बोरभाठा गांव के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है। इस साल नर्मदा नदी में पानी के छोड़े जाने से पूरे किनारे के साथ ही गांव के घर भी नर्मदा में शामिल होने का खतरा बन गया है। भाड़भूत कम रिवर बैरेज योजना में बांध बनाने की योजना पिछले तीन साल से कागजों पर ही चल रही है। खतरे की आशंका से सहमे लोग प्रशासन से यहां मेटल पेच वर्क कराये जाने की मांग कर रहे हैं।
घरों पर मंडरा रहा है खतरा

बोरभाठा बेट के निवासी धनेश आहिर ने कहा कि उनके बाप दादा का कहना था कि गांव से नर्मदा नदी की दूरी पहले डेढ़ किमी दूरी पर थी व कई खेत व वाडी नदी के पास स्थित थी मगर अब एैसा कुछ नही दिखता है। जमीन जाने के बाद अब घरों पर ही संकट मंडरा रहा है।
एक नजर में

1.5 किमी नर्मदा नदी अंकलेश्वर की ओर बढ़ी
500 से ज्यादा किसान जमीन विहीन बने
1500 से 1800 एकड़ जमीन पानी में गई
नौ से ज्यादा गांव की जमीन पर असर
44 करोड़ रुपये की संरक्षण दीवार बनाने की योजना वर्ष 2014 से अधर में
1990 से शुरु हुआ नदी के प्रवाह में कटाव का सिलसिला

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