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सूरत

मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर पतंग बाजारों में उमड़ी भीड़, 200 करोड़ के कारोबार के आसार

आज पूरा शहर छत पर, निगाहों में होगा आसमान

सूरतJan 13, 2019 / 09:20 pm

Pradeep Mishra

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मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर पतंग बाजारों में उमड़ी भीड़, 200 करोड़ के कारोबार के आसार

सूरत

मकर संक्रांति पर सोमवार को एक तरह से पूरा सूरत शहर मकानों की छतों पर होगा और सभी की निगाहें आसमान में होंगी। सुबह से शाम तक आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से छाया रहेगा, छतों पर पतंगबाजी के दौरान ही खाने-पीने की पार्टी होगी और रह-रह कर ‘काई पो छेÓ गूंजता रहेगा। मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर रविवार को पतंग बाजारों में भारी भीड़ उमड़ी। सूरत समेत दक्षिण गुजरात के इन बाजारों में 200 करोड़ रुपए के कारोबार का अनुमान है।
यूं तो मकर संक्रांति के दस दिन पहले से ही बच्चों और युवाओं ने खरीद शुरू कर दी थी, लेकिन शनिवार के बाद रविवार को भी देर रात तक शहर के पतंग बाजारों में भारी भीड़ रही। इस पर्व पर सूरती छतों पर डीजे के धूम-धड़ाके के बीच सुबह से शाम तक पतंग उड़ाने और पेंच लड़ाने का मजा लूटते हैं। इसके साथ ही उंधियु और फाफड़ा-जलेबी आदि का आनंद भी लेते हैं। पतंग और मांझे के लिए प्रख्यात शहर के भागल, डबगरवाड और रांदेर में एक सप्ताह से पतंग का व्यापार चल रहा है। इस बार पतंगों पर स्टेच्यू ऑफ यूनिट, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा बॉलीवुड के सितारे छाए हुए हैं। अलग-अलग प्रकार की फैंसी पतंगें भी बिक रही हैं। पतंगों के साथ लोगों ने टोपी, चश्मा, भोंपू, टेप की पट्टी, गम आदि की भी खरीद की। बताया जा रहा है कि कागज, प्लास्टिक और बांस की कीमत बढऩे के कारण इस बार पतंगों की कीमत में 25 प्रतिशत का उछाल आया है। इसके अलावा धागे की कीमत में भी 10 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इसें मांझने की मजदूरी भी बढ़ी है। मकर संक्रांति पर खाए जाने वाले लड्डू, चिक्की आदि की कीमत में 15 से 20 प्रतिशत का उछाल आया है। विक्रेता अनिल उमर वैश्य ने बताया कि खाद्य तेल, शक्कर, बेसन, तिल, मजदूरी सहित अन्य खर्च बढऩे के कारण तिलकुट की कीमत 200 से 500 रुपए प्रति किलो, गुड 40 रुपए, चिक्की 200 रुपए, पैठा 120 रुपए, गट्टा 120 रुपए, गुड़सेव 120 रुपए और तिल के लड्डू 240 रुपए प्रति किलो के भाव से बिके।
दो दिन फ्लाइओवर ब्रिज पर दुपहिया वाहन नहीं
मकर संक्रांति के मौके पर सोमवार और मंगलवार को पुलिस प्रशासन ने सूरत के सभी फ्लाइओवर ब्रिज पर दुपहिया वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। चीनी तुक्कल और मांझे का उपयोग करने पर भी पुलिस की ओर से कार्रवाई की जाएगी। मकर संक्रांति पर धारदार मांझे से पक्षियों और व्यक्तियों के घायल होने की घटनाएं होती हैं। फ्लाइओवर ब्रिज पर दुपहिया वाहन चालकों के साथ इस तरह के हादसे अधिक होते हैं। इसलिए पुलिस आयुक्त ने अधिसूचना जारी कर 14 और 15 जनवरी को सभी फ्लाइओवर ब्रिज पर दुपहिया वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीनी तुक्कल और मांझे की बिक्री पर भी प्रतिबंध है।
इसलिए उड़ाई जाती है पतंग…
मकर संक्रांति पर बाजार रंग-बिरंगी पतंगों से सजे नजर आते हैं, लोग पतंग उड़ाने का लुत्फ लेते हैं, लेकिन कम लोग ही जानते होंगे कि इस पर्व पर पतंग क्यों उड़ाई जाती है। मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने का महत्व धार्मिक भी है और वैज्ञानिक भी। धर्म में इसका संबंध भगवान राम से बताया जाता है। माना जाता है भगवान राम ने मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की शुरुआत की थी। तमिल की तंदनान रामायण के मुताबिक भगवान राम ने जो पतंग उड़ाई, वह इंद्रलोक में चली गई थी। राम द्वारा शुरू की गई परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है। पतंग उड़ाने का स्वास्थ्य से भी संबंध है। पतंग उड़ाने के दौरान कई व्यायाम एक साथ हो जाते हैं। सर्दियों की सुबह पतंग उड़ाने की शरीर को ऊर्जा मिलती है और त्वचा संबंधी विकार दूर होते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होता है। इस दिन सूर्य मकर रेखा में प्रवेश करता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को संक्रांति कहा जाता है। एक साल में 12 संक्रांति होती हैं, लेकिन इनमें से मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति प्रमुख हैं।

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