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PANCHAYAT CHUNAV: सूरत में बसे प्रवासी राजस्थानी आजमा रहे हैं दमखम

-राजस्थान के प्रत्येक चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं सूरत में बसे प्रवासी राजस्थानी, हाल ही में कई ने लड़े थे सरपंच के चुनाव
 

सूरतNov 23, 2020 / 07:19 pm

Dinesh Bhardwaj

PANCHAYAT CHUNAV: सूरत में बसे प्रवासी राजस्थानी आजमा रहे हैं दमखम

PANCHAYAT CHUNAV: सूरत में बसे प्रवासी राजस्थानी आजमा रहे हैं दमखम

सूरत. जन्मभूमि राजस्थान में धार्मिक-सामाजिक गतिविधियों में सदैव सक्रिय रहने वाले कर्मभूमि सूरत में बसे प्रवासी राजस्थानी अब लगातार वहां की राजनीतिक स्थिति में अपनी जगह टटोल रहे हैं। पिछले दिनों पंचायत चुनाव में सरपंच व सदस्य चुनाव में किस्मत आजमाने के बाद अब कई प्रवासी राजस्थानी जिला प्रमुख व प्रधान पद पाने की जोर आजमाइश में लगे हैं। कई जगहों पर सोमवार को मतदान सम्पन्न हो गया वहीं, शेष अन्य स्थलों पर 27 नवम्बर को होंगे।
राजस्थान में इन दिनों वहां की 21 जिला परिषद व 65 तहसील पंचायत समितियों के चुनाव हो रहे हैं और सोमवार को उदयपुर, राजसमंद, जालोर समेत कई जिला परिषद व पंचायत समितियों में मतदान सम्पन्न हो गया। प्रत्येक चुनाव में राजस्थानी नेताओं और प्रत्याशियों के पलक-पांवड़े बिछाने वाले सूरत के प्रवासी राजस्थानियों की स्थिति अब धीरे-धीरे बदलने लगी है और वे स्वयं वहां पर बतौर पार्टी प्रत्याशी राजनीतिक धरातल टटोलने लगे हैं तथा चुनाव लड़कर उसे मजबूती देने लगे हैं। इसी वर्ष राजस्थान की कुल 11 हजार 341 ग्राम पंचायतों में से 7 हजार 463 ग्राम पंचायतों के चुनाव जनवरी से मार्च तक सम्पन्न हो गए थे और बाद में चौथे चरण का चुनाव कोरोना की वजह से सितम्बर-अक्टूबर में शेष 3 हजार 848 ग्राम पंचायतों में सरपंच पद के चुनाव के साथ सम्पन्न हुआ था। इस दौरान भी कई ग्राम पंचायतों में सरपंच व सदस्य पद के लिए सूरत में बसे प्रवासी राजस्थानियों ने चुनावी दमखम आजमाया था और उनकी ओर से यह सिलसिला नवम्बर में आयोजित हो रहे जिला परिषद व तहसील पंचायत समिति चुनाव में भी जारी है।
-मानों चुभ गई हो वह बात

वर्ष 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में सूरत की मजूरा विधानसभा सीट के लिए प्रवासी राजस्थानी लग्जरी बस में बैठकर गांधीनगर गए थे और उस दौरान वहां भाजपा के प्रदेश व केंद्रीय नेताओं से मजूरा सीट से प्रवासी राजस्थानी के लिए पार्टी की टिकट मांगे थे। इस दौरान वहां उन्हें नसीहत दी गई थी कि संगठन के लिए जमीनी स्तर पर काम करना जरूरी है, तब जाकर कहीं टिकट मिल पाती है। गांधीनगर जाने वालों में प्रवासी राजस्थानियों के कई बड़े-बड़े नाम उस दौरान शामिल थे और मानों तब की बात प्रवासी राजस्थानी कार्यकर्ताओं को चुभ सी गई हो। हाल में राजस्थान जिला परिषद व तहसील पंचायत समिति में चुनाव लड़ रहे सूरत में बसे अधिकांश प्रवासी राजस्थानी पार्टी सिम्बॉल के साथ चुनाव मैदान में है और यह स्थिति उन्होंने पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करके ही बनाई है।
-जानिए कौन-कहां से उम्मीदवार

जालोर जिले की आहोर पंचायत समिति के वार्ड नं. 10 से प्रवासी राजस्थानी महेंद्रसिंह राजपुरोहित भाजपा की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। राजपुरोहित सूरत में मंडप व अन्य व्यवसाय से जुड़े हैं।

उदयपुर जिला परिषद के वार्ड नं. 1 से कांग्रेस की टिकट पर युवा गौरव श्रीमाली चुनाव लड़ रहे हैं। श्रीमाली सूरत में कपड़ा व्यवसाय से जुड़े है और राजस्थान प्रदेश युवक कांग्रेस के उपाध्यक्ष है।

राजसमंद जिले की देवगढ़ पंचायत समिति के वार्ड नं. 6 से भाजपा की टिकट पर सूरत में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता नरपतसिंह चुंडावत की पत्नी भंवर कंवर चुनाव लड़ रही है।


नागोर जिले की भेरुंदा पंचायत समिति के वार्ड नं. 3 से भाजपा की टिकट पर रामनिवास टांडी चुनाव लड़ रहे हैं। टांडी सूरत में कपड़े समेत अन्य व्यवसाय में सक्रिय रह चुके हैं।

उदयपुर जिले की गोगुंदा पंचायत समिति के वार्ड नं. 1 से सूरत के कपड़ा व्यवसायी किशनसिंह झाला की पत्नी प्रकाश कंवर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रही है।


उदयपुर जिले की सायरा पंचायत समिति के वार्ड नं. 1 से सूरत के कपड़ा व्यवसायी शैतानसिंह चुंडावत भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

-अधिकांश का कपड़ा कारोबार से संबंध

राजस्थान जिला परिषद व तहसील पंचायत समिति में चुनाव लड़ रहे सूरत में बसे अधिकांश प्रवासी राजस्थानियों का संबंध कपड़ा कारोबार से है। गौरतलब है कि जब भी राजस्थान या गुजरात में विधानसभा अथवा लोकसभा चुनाव होते हैं और पार्टी नेता प्रचार के लिए आते हैं तो वे रिंगरोड कपड़ा बाजार में जरूर जाते हैं। इसके अलावा सूरत में राजस्थान की विधानसभा अथवा लोकसभा वार और सामाजिक स्तर पर भी चुनाव की कई बैठकें होती है। सूरत में बसे प्रवासी राजस्थानियों के बीच राजस्थान से आने वाले भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को केवल वोट ही नहीं मिलते बल्कि उन्हें चुनाव लडऩे के लिए जरूरी अन्य सहयोग भी पर्याप्त मात्रा में मिलता है। इसी लगाव का परिणाम है कि पंचायत चुनाव में प्रवासी राजस्थानी भी भाग लेने लगे हैं।

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