यहां हैं आरक्षित जंगल
मांदोनी, बेड़पा, खेड़पा, बेसदा, वांसदा, सिंदोनी, दुधनी, अंबाबारी, जमालपाड़ा, कौंचा, बिलदरी, गुनसा, घोड़बारी, खेररबाड़ी, मेढ़ा, कोठार, गोरातपाड़ा, खुटली, रूदाना, तलावली, उमरवरणी, आंबोली, बिन्द्राबीन, डोलारा, करचगाम, पारजाई, कला, खेरड़ी, खड़ोली, दपाड़ा, तिनोड़ा, मधुबन, आपटी, चिखली, पाटी, सुरंगी, सिली, उमरकुई, फलांडी।
पुर्तगाली शासन से लकड़ी का कारोबार
मानसून में अतिवृष्टि के कारण दादरा नगर हवेली प्राचीन काल से जंगली लकडिय़ों के व्यापार लिए जाना जाता रहा है। पुर्तगीज शासन में यहां से देश विदेश में लकडिय़ों का व्यापार होता था। मुक्ति से पहले जंगलों में बहुमूल्य लकडिय़ां उपलब्ध थी। लकडिय़ों के व्यापार के लिए लुहारी के जंगल में वाणिज्यिक कार्यालय खोला गया था, जो आज भी विद्यमान है। 1980 के दशक में भारत सरकार ने प्रदेश को 40 प्रतिशत वनारक्षित करते हुए लकड़ी काटने पर प्रतिबंध लगा दिया था।