डांग के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अजीत राज्याना ने बताया कि सीएसआर के जरिए २५ करोड़ रुपए का काम डांग जिले के किसानों के हित में होना था। इसके लिए कृषि विकास सेल का गठन किया गया और जिला कलक्ट्री परिसर में खेती बाड़ी विभाग का एक कमरा आवंटित किया गया। जिन लोगों को किसानों के विकास का काम करना था, वे खुद के लाभ में लग गए और एक साल तक कोई काम नहीं हुआ। न डांग के किसानों की सफेद मूसली की पैदावार को बड़ी पहचान मिल पाई और न ही स्ट्रोबैरी की खेती को बढ़ावा मिल पाया। सीएसआर के तहत जो 14 कार्य तय किए गए, वे कागजों से बाहर ही नहीं निकल पाए।
इधर, हिरासत में लिए जाने के बाद कृषि विकास सेल की संचालिका भावेश्री ने सरकार के बड़े अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। उसने बताया कि जिन आरोपों के आधार पर उनकी संस्था के लोगों को घेरा जा रहा है, वे निराधार हैं। उल्टे गृह मंत्रालय के अतिरिक्त प्रमुख सचिव और डांग के जिला कलक्टर उनसे लाखों रुपए मांग रहे हैं। ऐसा नहीं करने पर फंसाने की धमकी दे रहे हैं। भावेश्री ने कलक्टर बीके कुमार की पुत्री को रुपए देने और दामाद के साथ विदेश घुमाने का खर्च लेने जैसे आरोप भी लगाए। भावेश्री के राज्य में कई अन्य एनजीओ से जुडऩे की जानकारी भी सामने आई है।
ड़ांग कलक्टर बीके कुमार ने बताया कि भावेश्री ने उन पर जो भी आरोप लगाए हैं, वे निराधार हैं। यहां आदिवासियों के उत्थान के लिए काम करने आए थे और किया कुछ नहीं। साथ ही जिला प्रशासन ने प्रधानमंत्री आवास योजना या शौचालय का एक भी काम किसी एनजीओ को नहीं सौंपा। गड़बड़झाला करने के बाद खुद को शिंकजे में घिरता देखकर कर ऐसे आरोप मढ़े जा रहे हैं। बेटी और दामाद स्वयं इतने सक्षम हैं कि अपने खर्च पर विदेश यात्रा पर जा सकते हैं। पुलिस जांच में सारा सच सामने आ जाएगा।
कॉम्पलेक्स परिसर में मिली लक्जरी कारें
क्रिस्टल लक्जरिया अपार्टमेन्ट में पुलिस का आलीशान कारें भी खड़ी मिलीं। इनकी कीमत करोड़ों रुपए में है। इन्हीं कारों का इस्तेमाल संस्था के लोग डांग के किसानों के विकास के लिए करते थे। हालांकि किसान तो एक कदम आगे नहीं बढ़ पाए, पर संस्था के जिम्मेदार जरूर लक्जरी कारों से हवा की सैर करते थे।