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सूरत

चौमासा में औसत से कम रह गई बारिश

मानसून में कुल 2357.7 मिमी बारिश

सूरतOct 02, 2018 / 09:37 pm

Sunil Mishra

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चौमासा में औसत से कम रह गई बारिश


सिलवासा. मानसून का मौसम समाप्त हो गया है। इस बार चौमासा में बारिश सामान्य से कम हुई है। जुलाई के बाद मेघ नरम रहने से बारिश से आंकड़ा औसत से काफी दूर रह गया है। बाढ़ नियत्रण केन्द्र ने मानसून में कुल 2357.7 मिमी बारिश रिकॉर्ड की है, जो सामान्य से करीब 100 मिमी कम है। इससे पहले वर्ष 2017 में 3579.8 मिमी, वर्ष 2016 में 2427, 2014 में 2279, 2015 में 1588 मिमी बारिश दर्ज है। प्रदेश में औसत वर्षा 2500 मिमी होती है। मौसम विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक सन 1966 से लेकर 2018 तक सबसे अधिक बारिश वर्ष1994 में 3829.4 मिमी हुई थी। 19वीं सदी में वर्ष 1981 में 3434.0 मिमी तथा सबसे कम सन 1974 में 1281.0 मिमी बारिश हुई थी। इस बार जुलाई के बाद अगस्त, सितम्बर में बारिश का छिटपुट दौर चला। मानसून ने अक्टूबर की बजाए सितम्बर में ही विदाई ले ली। बारिश थमने से कच्चे तालाबों का जलस्तर गिर गया है। कहीं तालाब सूख गए हैं। कहीं तलछट के रूप में पानी बचा है। नदी व जलाशयों में भी पानी कम हो गया है। दमण गंगा पर बने चेकडेम में पानी का प्रवाह घट गया है।

मधुबन डेम छलकने से वंचित
सितम्बर में मानसून के दगा दे जाने से मधुबन डेम लक्ष्य से डेढ़ मीटर खाली रह गया है। अगस्त के बाद मानसून ने अचानक विदाई ले ली, जिसमें डेम में जलभराव की योजना पर पानी फिर गया। सितम्बर में सिर्फ 56 मिमी बारिश हुई, जिससे डेम का जलस्तर 78.15 मीटर तक पहुंच सका है। डेम अधिकारियों ने एक अक्टूबर तक जलस्त्रवण का लक्ष्य 79.86 मीटर रखा था। जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश के चलते डेम के दरवाजे कई बार खोले गए थे। सितम्बर के द्वितीय सप्ताह से डेम के सभी दरवाजे बंद हैं।
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आहवा में मूसलाधार बरसात
वांसदा. डांग जिले के आहवा में मंगलवार शाम को अचानक मौसम पलटा और मूसलाधार बरसात शुरू हो गई। इससे कुछ देर में ही नगर में पानी ही पानी हो गया। जानकारी के अनुसार कई दिनों से यहां भीषण गर्मी पड़ रही थी और वातावरण में उमस से लोग परेशान थे। 
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दुकानों के पतरे भी हवा में उड़ गए

मंगलवार शाम को तेज हवा के साथ हुई बरसात ने गर्मी से थोड़ी राहत दिलाई। हालांकि कई दुकानों के पतरे भी हवा में उड़ गए। इससे लोगों को परेशानी हुई।

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