सरकार और मनपा प्रशासन इस दिशा में प्रयास में जुट गए हैं। सरकार की अपील पर मनपा प्रशासन ने लोक जागरुकता के जरिए पानी की बर्बादी रोकने की मुहिम का खाका तैयार किया है। शहर की जलापृर्ति की जरूरत वेडरोड कोजवे के जलस्तर पर निर्भर है। जलस्तर पांच मीटर से अधिक रहने पर इसका लाभ तापी में लगे तमाम फ्रेंचवेल को मिलता है, जबकि इसके विपरीत फ्रेंचवेल से निम्न गुणवत्ता और कम पानी की निकासी होती है। तापी में जलस्तर कम होने पर जलकुंभी की समस्या भी बढ़ती है।
उकाई का लेवल 316 फीट
जानकारी के अनुसार अभी उकाई डेम का जलस्तर 316 फीट के आसपास है। इसमें करीब 2497 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी जमा है। यह पानी पिछले साल की तुलना में करीब-करीब आधा है। इस हालत को देखते हुए मनपा प्रशासन अलर्ट हो गया है। वह एक ओर पानी का दुरुपयोग रोकने की कोशिश में जुटा है, तो दूसरी ओर राज्य सरकार से अपने फ्रेंचवेल की बेहतरी के लिए तापी में पानी छोडऩे की मांग भी कर रहा है। हाइड्रोलिक विभाग के अधिकारी के अनुसार सरकार से पानी छोडऩे की मांग की गई है, जिससे कोजवे का लेवल पांच से साढ़े पांच मीटर के आसपास रहे।
बेनामी संपत्तियों को लेकर सरकार गंभीर
बेनामी एक्ट पर बुधवार को आयोजित सेमिनार में सीए गिरीश आहूजा ने कहा कि केन्द्र सरकार बेनामी एक्ट को लेकर गंभीर हैं और इस पर कड़े नियम बनाए जा रहे हैं।चार्टड अकाउंटेंट एसोसिएशन की ओर से वीर नर्मद साउथ गुजरात यूनिवर्सिटी में आयोजित सेमिनार में आहूजा ने कहा कि बेनामी एक्ट 1988 से बना था, लेकिन अमल में नहीं आया था।
वर्ष 2014 में सरकार ने 63 नए नियम जोडक़र 1 नवंबर, 2016 से इस पर अमल शुरू किया। सरकारी बाबुओं और आम जनता के लिए यह नियम अलग-अलग हैं। आहूजा ने कहा कि बेनामी एक्ट के कारण सरकारी बाबुओं को परेशानी होगी, क्योंकि इसके नियमों के कारण वह अपनी पत्नी, बच्चे अथवा परिजनों को संपत्ति गिफ्ट नहीं कर सकते।
अब तक देशभर में 7,800 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति पकड़ी गई है। इसमें से 70 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों की है। इसलिए सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए यह नियम सख्त बनाया है। सेमिनार में आम बजट में वित्तमंत्री की घोषणाओं के बारे में भी जानकारी दी गई।