अस्पताल में कोरोना का इलाज करने वाले फ्रंट फाइटर बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे है। बड़े-बड़े शहरों में कोविड वार्ड में रोबॉट को सामान्य कार्यो के लिए काम पर लगाया गया है। सूरत में भी एलएंडटी कंपनी के सहयोग से स्मीमेर अस्पताल में तीन रोबॉट सीएसआर के तहत डोनेट किए गए है। महापौर डॉ. जगदीश पटेल, मनपा में ओएसडी व आइएफएस पुनीत नायर की मौजूदगी में डिजिटली गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के वाइस चेयरमैन एम. थेन्नारसन तथा मनपा आयुक्त बंछानिधि पाणि ने उद्घाटन किया। इस दौरान एल एंड टी एचआर विभाग के अध्यक्ष एमवीएन राव, चीफ एडमिनिस्ट्रेटर अतीक भी उपस्थित रहे।
डॉ. जगदीश ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि सोना-2.5 सर्विस रोबॉट, सोना -1.5 सर्वि रोबॉट कोविड वार्ड में मरीजों को खाना और दवाई वितरण के लिए सहयोगी होगा। यह रोबॉट गुजराती भाषा में कोरोना के संदर्भ में आम लोगों को जागरूक भी करेंगे। इसके अलावा ऐली कोविड-19 स्क्रीनिंग रोबॉट भी है, जो सिक्यूरिटी गार्ड की तरह कार्य करने में सक्षम है। आइसीयू या कोविड वार्ड के बाहर इस रॉबोट को रखा जाएगा। गेट से अंदर प्रवेश करने वाले स्वास्थ्य कर्मी को स्क्रिन पर चेहरा दिखाना होगा। इस दौरान मशीन थर्मल स्क्रीनिंग करके तापमान डिस्पले करेगा।
मास्क नहीं पहनने पर रेड लाइट जलेगी। स्टाफ की उपस्थिति में डिजिटली संभव हो सकेगी। रिकार्ड में कोई स्टाफ की एन्ट्री न हो तो यह रॉबोट दूसरे व्यक्ति को प्रवेश करने की अनुमति नहीं देगा। आत्मनिर्भर भारत प्रोजेक्ट के तहत रॉबोट को सौ प्रतिशत भारत में तैयार किया गया है। यह रॉबोट व्यक्ति की तरह ऑटोनॉमस है। 24 घंटे कार्य कर सकता है। हरेक आठ-नौ घंटे पर इसको चार्ज करने की जरुरत रहती है।
रोबॉट की विशेषता स्मीमेर अस्पताल में डोनेट किया गया रोबॉट दुनिया का पहला रोबॉट है जो स्पाइन पद्धति से बैलेंस करता है। भारत का पहला रोबॉट है जो ऑटोमेटिकली मोड बनाने में सक्षम है। इस कंपनी ने अलग-अलग सात प्रकार के रॉबोट तैयार किए, जो कोरोना के सामने लड़ाई में स्वास्थ्य कर्मियों की मदद करेगा। सोना 1.5 रॉबोट थोड़े समय पहले भारतीय रेलवे में दिया गया है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फाइल पहुंचाने में मदद करता है। यह रोबॉट जयपुर के एसएमएस अस्पताल और वडोदरा के एसएसजी अस्पताल में पहुंचाए गए हैं।