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सूरत

रुठी है रोटी, अब दूर हो रही लंगोटी, भड़क रही गुस्से की आग

– देशभर की कपड़ा मंडियों में जीएसटी को लेकर फिर मचा हड़कंप….- कपड़ा उत्पादन पर जीएसटी 05 से 12 फीसदी बढ़ाने पर गुजरात के व्यापारी हो रहे एकजुट- फिर बैठकों, ज्ञापन, प्रतिक्रियाओं, सभाओं का दौर- कोरोना, कोयला और केमिकल के बाद जीएसटी की नई मार- आने वाले चुनाव से पहले मुद्दा, हो सकता है असर

सूरतNov 30, 2021 / 09:50 pm

pradeep joshi

रुठी है रोटी, अब दूर हो रही लंगोटी, भड़क रही गुस्से की आग

रुठी है रोटी, अब दूर हो रही लंगोटी, भड़क रही गुस्से की आग

प्रदीप जोशी.

सूरत. एक जनवरी 2022 से लागू होने वाली बढ़ाए हुई जीएसटी का नोटिसफिकेशन बड़ा मुद्दा बन गया है। देशभर की क पड़ा मंडियों के व्यापारियों में आक्रोश है और संगठन लामबंद होने लगे हैं। मंदी, नोटबंदी, जीएसटी, कोरोना, कोयला और केमिकल की बाधाओं से उबरने के बाद फिर से जीएसटी की मार ने टूटी हुई कमर से खड़े हो रहे व्यापारियों के सब्र की सीमा तोड़ दी है।
उधर, कोराना में रोटी के लिए रोजगार खोने वाले आम आदमी के पास पहुंचने वाला 500 रुपए का कपड़ा भी करीब 80 रुपए महंगा होने जा रहा है। इससे व्यापार प्रभावित होगा। व्यापारियों की पीड़ा यह है कि सवा सौ करोड़ प्रतिदिन वाली सूरत कपड़ा मंडी में अब तक वे करीब 1900 करोड़ टैक्स चुकाते थे, अब उन्हें 4500 करोड़ चुकाना होगा। जीएसटी रिर्टन मिलने में छह माह तक लग जाते हैं। जिससे चेन सिस्टम से चलने वाली मंडी में क रोड़ों की पूंजी जाम होती है
ऐसे महंगा होगा कपड़ा :

रॉ-मटेरियल पर यदि 7 फीसदी जीएसटी बढ़ा तो फिनिशिंग तक आते-आते औसतन 20 फीसदी तक कपड़ा महंगा हो सकता है। यार्न व्यापारी से फेब्रिक लेने वाले वीवर्स को बढ़ा हुआ 7 फीसदी टैक्स तो अब देना ही होगा, फिर उस फिनिशिंग, जॉबवर्क व अन्य जोड़ कर जो लागत आएगी, उस पर जीएसटी देने के बाद ट्रांसपोर्ट खर्च, कमिशन व मुनाफे के बाद ट्रेडर्स से ग्राहक तक आते-आते अंडर बिलिंग में कपड़ा करीब 20 फीसदी महंगा हो जाएगा। तो ग्राहक को 5 से बढ़ा हुआ 7 फीसदी नहीं, बल्कि औसत करीब 20 फीसदी दाम अधिक देना होगा।
सूरत सहित देशभर में विरोध :

एशिया की सबसे बड़ी सूरत टैक्सटाइल मंडी से लगाकर दिल्ली तक की मंडियों में विरोध शुरू हो गया है। देश के शीर्ष संगठन चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इन्डस्ट्री (सीटीआई), कंन्फडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रैडर्स (कैट), साउथ गुजरात टैक्सटाइल ट्रैडर्स एसोसिएशन के विरोध सहित सूरत में व्यापारिक संगठनों की बैंठकें भी होने लगी है। आगामी दिनों काली पट्टी बांधकर व्यापार करने पर भी चर्चा होने लगी है। फै डरेशन ऑफ गुजरात वीवर्स वेलफेयर एसोसिएशन को 56 लूम्स संगठन व शटललेस वीवर्स एसोसिएशन के विरोध ज्ञापन पत्रों को प्रधानमंत्री, केंद्रीय वित्तमंत्री व वस्त्र मंत्री सहित साढ़े छह सौ जनों को ई-मेल भेजे हैं।
यार्न पर 5 प्रतिशत हो :-

कई संगठनों के मुताबिक भी जीएसटी में बदलाव की जरूरत नहीं है। यदि बदलाव भी करना है तो यार्न पर 5 प्रतिशत जीएसटी की समान दर लगा देने से कपड़ा व्यवसाय को क ठिनाई नहीं आएगी और समान जीएसटी दर वाली सरकार की सोच भी साकार हो जाएगी।
– दिनेश कटारिया, कपड़ा उद्यमी, सूरत
फिर गंदगी की ओर धकेला जा रहा :-
बैठक में व्यापारियों क ा कहना है कि वे 200 की साड़ी पर पांच से दस रुपये कमाते हैं। अब उस पर कुल लागत के बाद 20-25 रुपए तक का टैक्स भरेंगे, तो वेे बिना चोरी-चकारी के ईमानदारी से साफ-सुधरा व्यापार कैसे कर पाएंगे? फिर गंदगी की ओर धकेला जा रहा है।
– नरेंद्र साबू, सूरत मर्केन्टाइल एसोसिएशन
व्यापारी मुनीम बन कर रह गया :
रोटी, कपड़ा, मकान टैक्स फ्री होना चाहिए। बिना टॉवर नेटवर्क, स्लो सरवर के छोटे उद्यमियों व सीए तक के लिए महीने में दो बार रिटर्न भरना सिरदर्द हो गया है। व्यापारी एकाउंटिग में उलझकर रह गया है, जो व्यापार में बाधक है। व्यापारी मुनीम बन कर रह गया है। व्यापारी को मुनीम बना दिया
-संजय जगनानी, व्यापार प्रगति संघ, सूरत

कपड़ा उद्योग के लिए मरणासन्न अवस्था का निर्णय : –
केंद्र सरकार का यह निर्णय वीविंग समेत सम्पूर्ण कपड़ा उद्योग के लिए मरणासन्न अवस्था पैदा करने वाला साबित होगा। केंद्र के विरोध में 56 वीवर्स संगठनों ने एक जुटहोकर फोग्वा को विरोध पत्र सौंपे हैं।
– अशोक जीरावाला, प्रमुख, फोग्वा
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