सूरत

RTO SCAM : आखिर क्यों कार्रवाई करने से बच रही है पुलिस ?

 
RTO SCAM IN SURAT AND BARDOLI – पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवाल, एनओसी नहीं मिलने से निर्दोष कार मालिक परेशान – एक ही नम्बर की दो गाडिय़ों का मामला
– Questions arising over role of police, innocent car owners upset over not getting NOC- The case of two trains of the same number

सूरतFeb 22, 2020 / 09:28 pm

Dinesh M Trivedi

RTO SCAM : आखिर क्यों कार्रवाई करने से बच रही है पुलिस ?


सूरत. सूरत आरटीओ में पहले से रजिस्टर्ड हो चुकी एक कार के नम्बर पर दूसरी कार का रजिस्ट्रेशन करने के मामले में शिकायत के एक माह बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जिसके चलते इस मामले में आरटीओ के साथ-साथ पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे है।
SCAM : एक ही नम्बर की दो कारों पर क्यों मौन है आरटीओ अधिकारी ?

अहम सवाल यह है कि आखिर इस मामले में कार्रवाई करने से पुलिस क्यों बच रही है। क्यों मामला दर्ज करने में ढिलाई बरती जा रही है। वहीं पुलिस के इस रवैये से निर्दोष कार मालिक परेशान है। वह चाह कर भी अपनी कार नहीं बेच पा रहे है।
जानकारी के अनुसार नाना वराछा निवासी शैलेश तेजाणी ने गत २२ दिसम्बर २०११ को कटारिया मोटर्स से स्कोडा कार खरीदी थी। २७ दिसम्बर २०११ को उन्होंने सूरत आरटीओ में कार का रजिस्ट्रेशन करवाया था। उन्हें जीजे ५ जेए १७१२ रजिस्ट्रेशन नम्बर दिया गया।
इस कार का उनके मित्र पीपलोद शिखर रेजिडेंसी निवासी जीतू शर्मा इस्तेमाल कर रहे थे। अप्रेल में उन्होंने कार बेचने का मन बनाया और एनओसी के लिए सूरत आरटीओ पहुंचे तो वे चौंक गए। उन्हें पता चला कि उनकी गाड़ी का अप्रेल २०१६ में बारडोली आरटीओ में कल्पेश कुमार के नाम पर ट्रांसफर हो चुकी है।
उन्होंने कल्पेश से संपर्क किया तो कल्पेश के पास स्विफ्ट थी जो उन्होंने सूरत के महावीर ऑटो कंसल्टेंट से कार खरीदी थी। उन्हें भी कार का रजिस्ट्रेशन नम्बर भी जीजे ५ जेए १७१२ दिया गया था। उसके पास कार का बिल था।
जिसमें वह किसी रक्षित पटेल के नाम पर १९ नवम्बर २०१२ को खरीदी गई थी तथा ५ दिसम्बर २०१२ को रजिस्ट्रेशन करवाया गया था। चैसिस नम्बर से पता चला कि स्विफ्ट कार अहमदाबाद से खरीदी गई थी और उसका असली रजिस्ट्रेशन नम्बर जीजे १ केएस १७१२ था। उस कार पर आइसीआइसीआइसी बैंक से लोन लिया गया था। ९.५१ लाख रुपए की लोन की भरपाई किए बिना ही उसका फर्जी रजिस्ट्रेशन करवा कर उसे बेच दिया गया था।
पीडि़त ने इस संबंध में सूरत व बारडोली में शिकायत की लेकिन आरटीओ की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। लंबे समय तक आरटीओ के चक्कर लगाने के बाद पीडि़त ने शहर पुलिस आयुक्त राजेन्द्र ब्रह्मभट्ट को लिखित शिकायत दी। पुलिस आयुक्त के आदेश पर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।
एसओजी की जांच में कथित तौर पर तथ्य सही पाए गए, लेकिन एसओजी ने मामला दर्ज नहीं किया। मामला बारडोली थाना क्षेत्र का बता कर बारडोली स्थानान्तरित कर दिया।

मामला बारडोली थाने में पहुंचे भी कई दिन हो चुके है लेकिन अभी तक इस संबंध में जिम्मेदारों के खिलाफ मामला दर्ज कर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

नहीं जारी हो रही एनओसी
वहीं पुलिस व आरटीओ अधिकारियों से कोई ठोस जवाब नहीं मिलने से निर्दोष कार मालिक परेशान है। वह लगातार पुलिस व आरटीओ के चक्कर लगा रहे है, लेकिन न तो कोई कानूनी कार्रवाई हो रही है और न ही आरटीओ अधिकारियों द्वारा उन्हें एनओसी जारी की जा रही है। एनओसी जारी नहीं होने के कारण वह चाह कर भी अपनी कार नहीं बेच पा रहे है।

बारडोली स्थानान्तरित किया मामला
सूरत आरटीओ से सिर्फ एनओसी जारी हुई थी वह कार के मूल मालिक के नाम पर ही थी। उक्त नम्बर पर दूसरी कार का रजिस्ट्रेशन बारडोली में किया गया है। इसलिए मामले की जांच १० फरवरी को बारडोली थाने में स्थानान्तरित की गई है। आगे कार्रवाई वहीं होगी।
वीजे जाडेजा, पुलिस निरीक्षक, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप

दूसरी शिकायत मिली है, जांच जारी
मैं पिछले कुछ दिनों से बाहर हूं। हमें बारडोली आरटीओ की ओर से एक लिखित शिकायत मिली है। जिसकी जांच चल रही है। सूरत से शिकायत आई है या नहीं इस बारे में मुझे पुख्ता जानकारी नहीं है। अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। जल्द ही कार्रवाई होगी।
महेश गिलातर, पुलिस निरीक्षक, बारडोली थाना
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