सतमालिया अभयारण्य दादरा नगर हवेली की शान है। इसमें सांभर, चीतल व नीलगाय मिलाकर कुल 400 से अधिक शाक पशु प्राणी हैं। 310 हेक्टेयर भूभाग पर फैले सतमालियां की देखभाल व रखरखाव वन विभाग के जिम्मे हैं। वर्ष 2004 में अभयारण्य का लोकार्पण किया गया था, उस समय वन्य शाक प्राणियों की संख्या मात्र 15 थी। वर्तमान में यह संख्या 400 से ऊपर पहुंच गई हैं। प्रतिवर्ष अभयारण्य में 25 से 30 जानवरों की वृद्धि हो जाती है। मानसून में वन्यजीवों के लिए घास की कमी नहीं रहती हैं। मानसून की विदाई के बाद जानवरों के लिए आहार व घास का प्रबंध वन अधिकारियों के जिम्मे रह जाता है। चालू सप्ताह में बारिश होने से सतमालिया का मुख्य नाला उफन कर बह रहा है। इसमें बने प्राकृतिक व कृत्रिम सभी तालाब पानी से लबालब भरे हैं। पानी जमीन से 20 मीटर गहराई में आसानी से मिल जाता है। यहां निवास कर रहे जानवरों के लिए अभयारण्य में 5-6 प्लॉट में हरा घास सुरक्षित रखा जाता है। एक प्लॉट का घास खा लेने पर दूसरे प्लॉट में जानवरों को छोड़ दिया जाता है। हरी-भरी लम्बी घास की विशेष किस्में मानसून में बोई जाती हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस बार पांच प्लॉट में भरपूर घास खड़ी हैं। सूखी घास के साथ हरी घास काटने के लिए अभयारण्य में 20 व्यक्ति नौकरी करते हैं। मानसून जाते ही जानवरों को सप्लीमेंट्री आहार देना आरम्भ कर दिया है।
लॉयन सफारी एवं सतमालियां को देखने के लिए प्रतिवर्ष 80 हजार पर्यटक आते हैं। दोनों अभयारण्यों में पर्यटकों को भ्रमण के लिए विभाग द्वारा वाहन उपलब्ध कराया जाता है। सतमािलयां में भ्रमण के लिए कुल 7 किमी लम्बा कच्चा रास्ता बना है। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल पर्यटकों की संख्या बहुत कम रही। इस साल पर्यटकों की संख्या और बढ़ सकती हैं।