सूत्रों के अनुसार पोरबंदर-हावड़ा एक्सप्रेस में रविवार रात सूरत स्टेशन से सात-आठ लोग इंजन के पीछे लगे जनरल कोच में चढ़ गए और यात्रियों से मारपीट कर लूटपाट की। तीन यात्रियों ने नंदुरबार स्टेशन पर इस घटना की शिकायत दर्ज करवाई थी।
इस मामले की जांच सूरत रेलवे पुलिस को रेफर की गई। सोमवार को ही हावड़ा-पोरबंदर एक्सप्रेस के एस-6 कोच में चार-पांच यात्रियों ने चोरी की शिकायत की थी। यात्रियों ने हंगामा कर ट्रेन को एक घंटे रोके रखा था। इन दोनों घटनाओं से मुम्बई रेल मंडल में हडक़म्प मच गया। सीनियर डीएससी अनूप शुक्ला सोमवार रात राजधानी एक्सप्रेस से सूरत पहुंचे। उन्होंने सूरत और उधना रेलवे सुरक्षा बल के थाना निरीक्षक ईश्वर सिंह यादव, राजवीर सिंह, एम.के. सैनी समेत अन्य अधिकारियों के साथ उधना स्टेशन के पास लुटेरों के ट्रेन से उतरने वाले स्थान का निरीक्षण किया। लोकशक्ति एक्सप्रेस में 29 अप्रेल को दो अज्ञात जनों ने यात्री पर लकड़ी से हमला कर मोबाइल चोरी की कोशिश की थी।
इससे यात्री की मौत हो गई थी। शुक्ला अधिकारियों के साथ रातभर उधना स्टेशन के पास संदिग्ध लोगों की तलाश में जुटे रहे, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। शुक्ला ने बताया कि छह-सात जनों के गिरोह द्वारा लकड़ी से हमला कर मोबाइल चोरी की वारदात को अंजाम दिया जाता है। उनके बारे में जानकारी जुटाई गई है। उन्हें जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। रेलवे सुरक्षा बल के जवानों को सोमवार रात गश्त के दौरान एक संदिग्ध मिला था, जिसे कार्रवाई के लिए रेलवे पुलिस को सौंपा गया है।
ट्रेक के किनारे दीवार की मांग लंबित
सूरत और उधना स्टेशन के पास दोनों साइड में काफी दूर तक खुला क्षेत्र है, जहां से कोई भी रेलवे ट्रेक तक आसानी से पहुंच सकता है। मुम्बई रेल मंडल कार्यालय को स्टेशन के नजदीक कुछ दूर तक दीवार बनाने का प्रस्ताव काफी पहले दिया गया था। इसके लिए राशि का आवंटन और ठेका देने की जानकारी सुरक्षा विभाग को दी गई थी, लेकिन यह कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका है। दीवार बनाने का कार्य कितना आगे बढ़ा, सूरत के आइओडब्ल्यू विभाग से इसकी जानकारी मांगी गई है।
अपर्याप्त लाइट व्यवस्था
रेलवे ट्रेक के निरीक्षण के लिए रेलवे सुरक्षा बल के जवानों की तैनाती की जाती है। दो-दो के ग्रुप में जवानों को नियुक्त किया जाता है, लेकिन स्टेशन के प्लेटफॉर्म खत्म होने के बाद आउटर सिग्नल और उससे आगे ट्रेक के किनारे काफी अंधेरा होता है। कोई व्यक्ति झाडिय़ों में छिपा हो तो अंधेरा होने के कारण जवानों को उसका पता नहीं चलता। ट्रेक के किनारे कुछ निश्चित दूरी पर हाइलोजन से रोशनी के प्रस्ताव पर भी अभी तक कोई कार्य नहीं हो सका है।