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सूरत

ऑस्ट्रेलिया में सूरत के कपड़ा उद्योग को जमाना टेढ़ी खीर

प्रत्येक माह 500 करोड़ का निर्यात मगर क्वालिटी वाइज वाइज ऑस्ट्रेलिया के अनुकूल नहीं सूरत का कपड़ा कारोबार

सूरतJun 06, 2020 / 08:58 pm

Dinesh Bhardwaj

ऑस्ट्रेलिया में सूरत के कपड़ा उद्योग को जमाना टेढ़ी खीर

ऑस्ट्रेलिया में सूरत के कपड़ा उद्योग को जमाना टेढ़ी खीर

सूरत. भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन के बीच हुई डिजिटल वार्ता में कपड़ा उद्योग को एक-दूसरे के देश में जमाने की बात हुई हो, लेकिन देश-दुनिया में पोलिस्टर फेब्रिक्स में धाक रखने वाली सूरत कपड़ा मंडी के लिए यह फिलहाल अनुकूल साबित नही हो सकती। सूरत समेत देशभर की कपड़ा मंडियों में बड़े पैमाने पर चीन से विभिनन क्वालिटी का फेब्रिक्स आयात होता है, लेकिन कुछ समय से दोनों देशों के बीच जारी तनाव और मौजूदा हालात में भारत सरकार अब चीन के साथ व्यापार समेत अन्य मामलों पर तीखे तेवर अपनाने के मूड में हैं। इसी का परिणाम है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के अन्य देशों से व्यापारिक स्तर पर साझा भाव बढ़ाने को तैयार है।

ऑस्ट्रेलिया 18वां बड़ा आयातक देश


भारतीय वस्त्र व्यापार को ऑस्ट्रेलिया में स्थापित करने के उद्देश्य से गुरुवार को ही हुई प्रधानमंत्री स्तर की वार्ता के बाद वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद ने बताया कि व्यापारिक स्तर की वार्ता सफल रहने पर सालाना 500 करोड़ अमरीकी डॉलर के वस्त्र कारोबार होने की संभावना है। हाल में ऑस्ट्रेलिया दुनिया का 18वां बड़ा वस्त्र आयातक देश है। परिषद का मानना है कि अगले तीन साल में वस्त्र निर्यात को तीन गुना करने का लक्ष्य है।

सूरत-भिवंडी कपड़ा उद्योग के आसार कम


स्थानीय निर्यातक संजय दीवान बताते है कि ऑस्ट्रेलिया में सूरत के पॉलिस्टर फेब्रिक्स निर्मित साड़ी-ड्रेस की जगह बन पाने की गुंजाइश नाममात्र की है। क्योंकि टर्की समेत युरोपीय देशों में स्थानीय निर्यातकों को उनकी हाइली क्वालिटी डिमांड के चलते सूरत उत्पादित कपड़ा निर्यात कर पाना बड़ा मुश्किल लगता है और यूरोप व ऑस्ट्रेलिया की कपड़ा इंडस्ट्रीज का मिजाज कुछ एक जैसा ही है। ऐसा ही भिवंडी के कपड़ा उत्पादक मुनीर भी मानते है।

डेनिम को मिल सकती है अच्छी जगह


स्थानीय आयातक राकेश कंसल इस सम्बंध में बताते है कि सूरत कपड़ा मंडी पॉलिस्टर फेब्रिक्स बेस्ड है और यह वस्त्र उत्पाद यूरोप-ऑस्ट्रेलिया में कम ही डिमांडेबल है लेकिन डेनिम कपड़ा वहां खूब रास आता है और अहमदाबाद कपड़ा मंडी निश्चित तौर पर वहां व्यापार जमा सकती है। उधर, खाड़ी देशों में सूरत के कपड़ा निर्यातक धनपत जैन बताते है कि ऑस्ट्रेलिया की आबादी मात्र 5 करोड़ है और वहां सूरत जैसी लार्ज स्केल पर कपड़ा बनाने वाली मंडी का जगह बना पाना मुश्किल है।

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