बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांधे रक्षासूत्र
बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांधे रक्षासूत्र
सिलवासा. गुरुवार को भाई बहन के पवित्र स्नेह का पर्व रक्षाबंधन धूमधाम से मनाया गया। शुभ मुहूर्त में बहनों ने भाई के माथे पर तिलक लगाकर कलाई पर राखी बांधी। ब्रह्मकुमारीज की बहनों ने आश्रम एवं सार्वजनिक जगह पर लोगों को रक्षासूत्र बांधे। राखी बांधने के बाद भाइयों ने बहनों को उपहार, कपड़े व जेवरात भेंट स्वरूप दिए। बहनों ने भाइयों को राखी बांधकर उनके पसंद के अनुसार घड़ी, अंगूठी, पर्स आदि भेंट की। पतंजलि महिला संगठन ने विदेशी रेशमी डोरी की जगह सूती धागे से बनी राखियां बांधी। आमली मंदिर में रक्षाबंधन पर विशेष उत्सव रखा, जिसमें पंडितों ने रक्षाबंधन की महत्ता पर प्रकाश डाला। पंडित दीपक महाराज ने बताया कि पुरातन काल में ऋषिगण श्रावण मास में आश्रम में रहते हुए अध्ययन और यज्ञादि करते थे। श्रावण पूर्णिमा को मासिक यज्ञ की पूर्णाहुति होती थी। यज्ञ की समाप्ति पर यजमान एवं शिष्यों को रक्षासूत्र बांधने की प्रथा थी। तब से यह पर्व रक्षाबंधन के नाम से पूजा जाता है। मंदिर में पंडितों ने संस्कृत मंत्रोच्चार करते हुए श्रद्धालुओं के कलाई पर राखी बांधी। प्रदेश के आदिवासी विस्तार आंबोली, सुरंगी, वेलुगाम, रूदाना, खानवेल, रूदाना, मांदोनी, सिंदोनी, दुधनी और कौंचा में भी रक्षाबंधन पर्व धूमधाम से मनाया गया।
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