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सूरत

सीढ़ी लगाकर पानी भरने की मशक्कत

भीषण गर्मी में पेयजल संकट

सूरतMay 12, 2019 / 09:26 pm

Sunil Mishra

patrika

सीढ़ी लगाकर पानी भरने की मशक्कत


वांसदा. भीषण गर्मी के इस मौसम में लोगों को पेयजल संकट झेलना पड़ रहा है। राज्य में कई जगहों पर टैंकरों से पानी का वितरण किया जा रहा है तो कई ऐसे गांव भी हैं जहां पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए ग्रामीणों को नदी-नालों या कुओं से मटमैला पानी निकाल कर पीने को विवश होना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही हाल वांसदा तहसील के कणधा गांव का है, जहां करीब 100 परिवार पानी के लिए भटकते रहते हैं। यहां कुएं और ट्यूबवेल सूख चुके हंै, जिससे लोग नदी के गड्ढों में जमा पानी पीने को मजबूर हो गए है। कस्बे के लिंबरपाड फलिया, बारीपड़ा, चिचपाड़ा, पांडा फलिया के लोग बेरी में सीढ़ी के सहारे उतरकर मटमैला पानी भरते हैं। बाद में उसका उपयोग करते हैं।
सावे ज्यादा, समारोह स्थल कम
सिलवासा. ग्रीष्मावकाश से सावों की भरमार है। आयोजकों को शादी के मंडप के लिए जगह नहीं मिल रही है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ रही है। मैरिज हॉल, धर्मशाला जैसे भवन नहीं होने से फेरों के मंडप सडक़ पर तैयार किए जाते हैं। आयोजक रास्तों पर टैंट एवं आशियाने लगाकर विवाह की रस्म निभा रहे हैं। चालू माह में अक्षय तृतीया के बाद 13,14,16,17,18,19,23,24,28,29,30,31मई को शादियों के मुहूर्त हैं। आयोजकों का कहना है कि शादी मुहूर्त के रोज होटल पहले से बुक हो जाते हैं। शहर में मैरिज हॉल, धर्मशाला, सभागृह व अन्य सार्वजनिक स्थल नहीं हैं। भारत सरकार ने सिलवासा को स्मार्ट सिटी में सम्मिलित किया है, लेकिन लोगों को बुनियादी सेवाएं नहीं मिल रही हैं। प्रदेश में होटल और रेस्टोरेंट तो बने हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थल व धर्मशाला जैसे भवन नहीं हैं। वर्ष में अप्रेल से जून तक शादियों की भरमार रहती हैं, इस अवधि में टाउन हॉल, कम्यूनिटी हॉल महीनों पूर्व बुक हो जाते हैं। जिससे शादियों के लिए सडक़ ही बचती है। सडक़ों पर मंडप बनाने के कारण यातायात भी प्रभावित होता है।

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