सावे ज्यादा, समारोह स्थल कम
सिलवासा. ग्रीष्मावकाश से सावों की भरमार है। आयोजकों को शादी के मंडप के लिए जगह नहीं मिल रही है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ रही है। मैरिज हॉल, धर्मशाला जैसे भवन नहीं होने से फेरों के मंडप सडक़ पर तैयार किए जाते हैं। आयोजक रास्तों पर टैंट एवं आशियाने लगाकर विवाह की रस्म निभा रहे हैं। चालू माह में अक्षय तृतीया के बाद 13,14,16,17,18,19,23,24,28,29,30,31मई को शादियों के मुहूर्त हैं। आयोजकों का कहना है कि शादी मुहूर्त के रोज होटल पहले से बुक हो जाते हैं। शहर में मैरिज हॉल, धर्मशाला, सभागृह व अन्य सार्वजनिक स्थल नहीं हैं। भारत सरकार ने सिलवासा को स्मार्ट सिटी में सम्मिलित किया है, लेकिन लोगों को बुनियादी सेवाएं नहीं मिल रही हैं। प्रदेश में होटल और रेस्टोरेंट तो बने हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थल व धर्मशाला जैसे भवन नहीं हैं। वर्ष में अप्रेल से जून तक शादियों की भरमार रहती हैं, इस अवधि में टाउन हॉल, कम्यूनिटी हॉल महीनों पूर्व बुक हो जाते हैं। जिससे शादियों के लिए सडक़ ही बचती है। सडक़ों पर मंडप बनाने के कारण यातायात भी प्रभावित होता है।
सिलवासा. ग्रीष्मावकाश से सावों की भरमार है। आयोजकों को शादी के मंडप के लिए जगह नहीं मिल रही है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ रही है। मैरिज हॉल, धर्मशाला जैसे भवन नहीं होने से फेरों के मंडप सडक़ पर तैयार किए जाते हैं। आयोजक रास्तों पर टैंट एवं आशियाने लगाकर विवाह की रस्म निभा रहे हैं। चालू माह में अक्षय तृतीया के बाद 13,14,16,17,18,19,23,24,28,29,30,31मई को शादियों के मुहूर्त हैं। आयोजकों का कहना है कि शादी मुहूर्त के रोज होटल पहले से बुक हो जाते हैं। शहर में मैरिज हॉल, धर्मशाला, सभागृह व अन्य सार्वजनिक स्थल नहीं हैं। भारत सरकार ने सिलवासा को स्मार्ट सिटी में सम्मिलित किया है, लेकिन लोगों को बुनियादी सेवाएं नहीं मिल रही हैं। प्रदेश में होटल और रेस्टोरेंट तो बने हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थल व धर्मशाला जैसे भवन नहीं हैं। वर्ष में अप्रेल से जून तक शादियों की भरमार रहती हैं, इस अवधि में टाउन हॉल, कम्यूनिटी हॉल महीनों पूर्व बुक हो जाते हैं। जिससे शादियों के लिए सडक़ ही बचती है। सडक़ों पर मंडप बनाने के कारण यातायात भी प्रभावित होता है।