हड़ताल पर रहे, प्रदर्शन से दूरी
कोरोना संक्रमण और धारा 144 लागू होने के कारण नहीं किया प्रदर्शन, बैंक शाखाओं में नहीं हुआ कामकाज, निजी क्षेत्र में भी हड़ताल पर उतरे कर्मचारी

सूरत. बैंकों के निजीकरण और न्यूनतम वेतनमान समेत विभिन्न मांगों के समर्थन में गुरुवार को बैंक कर्मचारियों समेत सरकारी व निजी क्षेत्र के कई कर्मचारी हड़ताल पर उतरे। इस हड़ताल का आह्वान देश की दस कर्मचारी यूनियनों ने किया था। हड़ताल से करोड़ों रुपए का लेन-देन अटका और करीब एक लाख मानव श्रम काम से विरत रहा। हड़ताल के दौरान कोरोना संक्रमण गाइडलाइन और धारा 144 लागू होने के कारण हड़ताली कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन से परहेज बरता।
केंद्र सरकार पर कर्मचारी विरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए देश के दस कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल का आह्वान किया था। इसके समर्थन में गुरुवार को सूरत समेत दक्षिण गुजरात में भी बैंक कर्मी व अन्य कर्मचारी हड़ताल पर रहे। संक्रमण को देखते हुए प्रशासन ने शहर में धारा 144 लागू कर रखी है। कोरोना संक्रमण और धारा 144 लागू होने के कारण इस बार हड़ताली कर्मचारियों ने किसी तरह का धरना-प्रदर्शन नहीं किया। बैंकों में भी आधे शटर खुले रहे, लेकिन सामान्य कामकाज नहीं हुआ। इससे सूरत समेत दक्षिण गुजरात में करोड़ों रुपए का लेनदेन अटक गया। हालांकि ऑनलाइन लेनदेन पर हड़ताल का असर नहीं पड़ा। पूरे दक्षिण गुजरात में करीब दस हजार बैंककर्मियों समेत एक लाख से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर रहे।
यह थी मांग
कर्मचारी यूनियनों ने केंद्र सरकार पर कर्मचारी विरोध होने का आरोप लगाते हुए मांगपत्र भी दिया है। उन्होंने कहा कि बैंकों के निजीकरण, बैंकों में आउटसोर्स, नई भर्तियां नहीं होने, एनपीएस को मार्केट लिंक करने, ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म करने, मिनिमम वेज, पीफ को मार्केट से लिंक करने समेत अन्य मुद्दों पर पुनर्विचार की अपील की है। हेल्थ चैक-अप समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर यूनियन ने बैंक प्रबंधन के साथ बातचीत की थी। बैंक ऑफ इंडिया ऑल इंडिया फैडरेशन के डिप्टी जनरल सेेक्रेटरी अनिल दुबे ने कहा कि धारा 144 और कोरोना संक्रमण के कारण हड़ताल के दौरान प्रदर्शन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने कर्मचारी विरोधी रवैया नहीं छोड़ा तो आगे की रणनीति तय की जाएगी।
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