VIRODH : जब तक नहीं मानेंगे मांगें, तब तक नहीं काटेंगे गन्ना
– मजूर अधिकार मंच ने दक्षिण गुजरात में शुक्रवार से किया हड़ताल का आह्वान
Sugarcane will not be cut as long as you do not accept demands
Mazur Adhikar Manch called strike in south Gujarat from Friday
VIRODH : जब तक नहीं मानेंगे मांगें, तब तक नहीं काटेंगे गन्ना
सूरत. दक्षिण गुजरात में चीनी मिलों द्वारा करीब दो लाख गन्ना श्रमिकों का शोषण किए जाने का दावा कर मजूर अधिकार मंच ने उनकी ओर से हड़ताल का आह्वान किया है। चीनी मिलें जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मानेगी तब तक गन्ने की कटाई कार्य शुक्रवार से बंद किए जाने की बात कही है।
इस संबंध में पत्रकारों से बातचीत में संगठन के रमेश श्रीवास्तव ने बताया कि दक्षिण गुजरात में करीब दो लाख गन्ना श्रमिक है। उन्हें गुलामों की तरह काम करना पड़ता है और उन्हें किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती है। एक कोयता याने दो मजदूरों को प्रतिदिन प्रति मीट्रिक टन 238 रुपए मिलते है जो अन्य राज्यों से बहुत कम है। उन्हें 12 से 14 घंटे तक काम करना पड़ता है। मंच के डांग जिला सचिव जयेश गामित ने बताया कि इस संबंध में गुरुवार को रिंगरोड नवसर्जन ट्रस्ट में एक बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें मंच को अन्य श्रमिक संगठनों इंटूक, एआईटीयूसी, सीआइटीयू, मढी शुगर फेक्टरी कामदार युनियन, हॉकर्स युनियन, लोक आंदोलन गुजरात आदि का समर्थन मिला है। शुक्रवार से श्रमिक गन्ने की कटाई बंद कर देंगे। शनिवार को बारडोली शुगर फेक्टरी के बाहर एक सभा का आयोजन किया जाएगा।
ये है गन्ना श्रमिकों की प्रमुख मांगें
कटाई की दैनिक मजदूरी 400 रुपए प्रति मीट्रिक टन हो। ठेकेदारों को चीनी मिलों द्वारा देय 55 रुपए प्रति टन कोटा मिले। प्रत्येक कोयते (दो श्रमिकों के जोड़े) को 15 हजार रुपए अग्रिम बुकिंग राशि मिले। काम के दौरान गन्ना श्रमिकों के रहने की अच्छी व्यवस्था हो, पेयजल, खाना बनाने, बिजली व शौचालय आदि की सुविधा हो। काम के दौरान हादसा होने पर पीडि़त व परिवार को 5 लाख रुपए मुआवजा मिले। श्रमिकों को पीएफ, ईएसआई, सामाजिक सुरक्षा व श्रम कानूनों के अनुसार बोनस मिले। प्रदेश के गन्ना श्रमिकों के लिए महाराष्ट्र के मथाड़ी की तरह अलग बोर्ड बने। श्रमिक बस्तियों तक सरकारी एजेन्सियों जैसे आंगनबाड़ी, मोबाइल औषधालय, पोषण, एसटीपी आदि की सुविधा मिले।
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