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सूरत

SURAT KHADI BADH: यह मर्ज है यहां लाइलाज, इस दर्द से हर कोई जार-जार

-गुजरात की औद्योगिक राजधानी सूरत महानगर का एक खास हिस्सा परवत पाटिया हर साल चढ़ता है खाड़ी बाढ़ की भेंट-इस बार भी दो-तीन दिन से घरों में कैद हैं क्षेत्र के हजारोंं नागरिक, सोसायटी के बाहर जमा है तीन-चार फीट पानी-खाड़ी किनारे सारोली क्षेत्र में बन गई कई बहुमंजिला व्यावसायिक इमारतें, बारिश में पानी ने भी मोड़ा रास्ता-शासक पक्ष के मुताबिक प्रकृति का नहीं कर सकता कोई सामना, विपक्ष कहता है सही प्लानिंग का अभाव है इसका कारण

सूरतAug 17, 2022 / 09:40 pm

Dinesh Bhardwaj

SURAT KHADI BADH: यह मर्ज है यहां लाइलाज, इस दर्द से हर कोई जार-जार

SURAT KHADI BADH: यह मर्ज है यहां लाइलाज, इस दर्द से हर कोई जार-जार

सूरत. जिसका अंदेशा था वो आखिर मानसून में सही साबित हो ही गया है। गुजरात की औद्योगिक राजधानी सूरत महानगर व जिले में तीन दिनों से जारी मूसलाधार बारिश में भी जहां शहर का 90 फीसदी हिस्सा साफ व सूखा है वहीं, परवत पाटिया का 10 फीसद भाग खाड़ी बाढ़ में डूबा हुआ है। लाख जतन के बावजूद खाड़ी बाढ़ का बुरा असर दर्जनों सोसायटियों के हजारों लोगों को दो-तीन दिन से लगातार प्रभावित कर रहा है। शासक व विपक्ष के अपने दावे और आरोपों के बीच प्रभावित क्षेत्रीय लोग बार-बार की इस समस्या से केवल बस निजात चाहते हैं।
दो साल पहले जैसे ही मानसून में तेज बरसात के दौरान खाड़ी बाढ़ के नजारे सूरत शहर के सणिया-हेमाद, सारोली, कुंभारिया, परवत पाटिया, मीठीखाड़ी, भाठेना आदि क्षेत्र में दो दिन से दिखाई दे रहे हैं। क्षेत्र में निम्न व मध्यम वर्ग के हजारों लोग खाड़ी बाढ़ के लाइलाज मर्ज से पीडि़त और परेशान हैं और मानों यह उनकी प्रत्येक मानसून में नियती बन चुकी है। सणिया-हेमाद क्षेत्र में तो कई लोगों को नाव के सहारे सुरक्षित स्थलों पर पहुंचाया गया तो अन्य क्षेत्र में नौकरीपेशा लोगों को घरों से बाहर निकलने में बड़ी जहमत उठानी पड़ रही है। अधिकांश बच्चों की स्कूलें रद्द कर दी गई तो रूट पर बीआरटीएस बसें भी बंद पड़ी है। क्षेत्रीय पार्षद व सामाजिक कार्यकर्ता लोगों के बाहर निकलने व घर तक पहुंचने के लिए ट्रेक्टर का इंतजाम कर रखे हैं, जिससे सहूलियत है।
-मानसून पूर्व कर चुके हैं यह कार्य

क्षेत्रीय पार्षदों के सुझाव से सूरत महानगरपालिका ने खाड़ी बाढ़ की समस्या को दूर करने के लिए मानसून पूर्व कई आवश्यक कार्य भी किए हैं। इसमें माधवबाग लो लेवल ब्रिज की जगह नए ब्रिज का निर्माणकार्य, सुमनसंगीत सोसायटी के सामने नए पंपिंग स्टेशन का निर्माण, परवत गांव के पंपिंग स्टेशन की क्षमता बढ़ाई, सूरत-बारडोली रोड पर बरसाती पानी की स्ट्रोमलाइन का निर्माण, खाड़ी किनारे मजबूत दीवार का निर्माण, बरसाती पानी की निकासी के लिए तीन जगह पर डी-वॉटरिंग सिस्टम आदि शामिल है।
-किए गए हैं कई प्रयास

खाड़ी बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए महानगरपालिका स्तर पर कई तरह के प्रयास किए गए हैं और जारी है। अधिक बरसात होने से यह दिक्कत आ रही है। खाड़ी ओवरफ्लो है जिससे आसपास के क्षेत्र में पानी जमा है।
दिनेश राजपुरोहित, क्षेत्रीय पार्षद व स्लम इम्प्रूवमेंट कमेटी चेयरमैन
-ठोस योजना की जरूरत

महानगरपालिका प्रशासन हर साल की इस समस्या से निपटने के लिए ठोस योजना बनाएं ताकि हजारों लोग खाड़ी बाढ़ की मुश्किलों से बच सकें। खाड़ी का बरसाती पानी तापी नदी में डायवर्ट कर समस्या पर लगाम लगाई जा सकती है।
महेंद्र राजपुरोहित, कोषाध्यक्ष, आम आदमी पार्टी, सूरत महानगर इकाई
-खाड़ी किनारे बनाए पंपिंग स्टेशन

परवत गांव के समान ही अधिक क्षमता के पंपिंग स्टेशन महानगरपालिका प्रशासन खाड़ी किनारे सणिया-हेमाद, नेचरवैली, ऋषिविहार, कमरूनगर आदि स्थलों पर बनाए। इसके अलावा खाड़ी की ड्रेजिंग प्रत्येक वर्ष अनिवार्य रूप से की जाए।
असलम साइकिलवाला, पूर्व पार्षद

-ब्यूटीफिकेशन और इमारतों से बढ़ गई मुश्किलें

खाड़ी बाढ़ की सालाना समस्या के बारे में विपक्ष कांग्रेस व आम आदमी पार्टी का आरोप है कि खाड़ी किनारे ब्यूटीफिकेशन के नाम पर किनारे बांध दिए और उस पर बड़ी-बड़ी व्यावसायिक इमारतें खड़ी हो गई। इससे बरसाती पानी का प्राकृतिक बहाव प्रभावित हो गया। एक समय था जब शहर में 12-15 ईंच बारिश में भी ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती थी और अब 5-6 ईंच बारिश में ही यह हालात हैं।
SURAT KHADI BADH: यह मर्ज है यहां लाइलाज, इस दर्द से हर कोई जार-जार
-यह भी करके देख लें

तापी शुद्धिकरण अभियान के तहत वालक पाटिया से एक खाड़ी का पानी दूसरी खाड़ी में डायवर्ट कर खाड़ी के किनारों को बांधने से प्राकृतिक खाड़ी की अवस्था काफी घटी है। इसके अलावा कोरोना काल से ही खाड़ी की ड्रेजिंग भी व्यवस्थित तरीके से नहीं की गई है। क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक मानसून में बरसाती पानी खाड़ी के बजाय तापी में डायवर्ट कर दिया जाए तो समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती है। इस प्रक्रिया की देखभाल भी अवश्य रूप से की जाए।

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