surat news-दो साल में बंद हो गए 30 हजार से ज्यादा एम्ब्रॉयडरी यूनिट
जीएसटी के बाद से सूरत का कपड़ा उद्योग डामा-डोल
surat news-दो साल में बंद हो गए 30 हजार से ज्यादा एम्ब्रॉयडरी यूनिट
सूरत
दो साल पहले सूरत में 1.30 लाख एम्ब्रॉयडरी मशीने थी, जो कि इन दिनों एक लाख के आसपार सिमट कर रह गई है। एक समय में सूरत के कपड़ा व्यापार को नया जीवन देने वाला एम्ब्रॉयडरी उद्योग इन दिनों खुद ही मंदी के गर्त में डूबा जा रहा है।
जीएसटी के बाद से सूरत का कपड़ा उद्योग डामा-डोल है। कपडा उद्यमियों का मानना है कि बदलती फैशन के कारण व्यापार पर असर दिख रहा है। इसके अलावा जीएसटी के पहले सूरत में प्रतिदिन चार करोड़ मीटर के आसपास कपड़े का उत्पादन होता था, जो कि इन दिनों घटकर ढाई करोड़ पर पहुंच गया है। इसका असर एम्ब्रॉयडरी उद्योग पर पड़ा है। आठ-दस वर्ष के पहले मंदी से जूझ रहे कपड़़ा उद्योग को इसी एम्ब्रॉयडरी वर्क ने सहारा दिया था, लेकिन इन दिनों एम्ब्रॉयडरी यूनिट संचालकों के पास जाॉबवर्क नहीं होने के कारण वह मशीनों का मासिक हप्ता भी चुकाने में असमर्थ है। कई एम्ब्रॉयडरी यूनिट संचालकों ने तो अपनी मशीनें भंगार के दाम बेच दी। कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि बदलती फैशन के कारण मांग घटी है साथ ही मंदी के कारण दो साल से लगातार एम्ब्रॉयडरी उद्योग में परिस्थिति खराब हो रही है। सामान्य तौर पर दिवाली और लग्सरा के दिनों में एम्ब्रॉयडरी वर्क की साडियों और ड्रेस की अच्छी डिमांड रहती थी, लेकिन इन दिनों अभी तक बाजार में ऐसा कोई माहोल नहीं है। कपड़ा व्यापारियों की ओर से बहुत कम ऑर्डर मिलने के कारण एम्बॉयडरी यूनिट संचालक परेशान हैं। 80 प्रतिशत से अधिक एम्ब्रॉयडरी यूनिट इन दिनों पचास प्रतिशत जॉबवर्क पर चल रहे हैं। एक ओर मंदी है और दूसरी ओर व्यापारियों की ओर से जॉबचार्ज नहीं बढ़ाए जाने के कारण उनकी हालत और खराब होते जा रही है। कई एम्ब्रॉयडरी यूनिट संचालकों ने पर्याप्त कीमत नहीं मिलने के कारण भी व्यापार बदल दिया। दो साल पहले सूरत में 1.30 लाख एम्ब्रायडरी मशीनें थी। इन दिनों वह घटकर एक लाख पहुंच गई है। बताया जा रहा है कि दिवाली के बाद इनमें और कमी आ जाएगी।
्रफैडरेशन ऑफ सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रमुख मनोज अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी के बाद व्यापार चालीस प्रतिशत कम हुआ है। एम्बॉयडरी यूनिटों को जॉबवर्क भी पचास प्रतिशत घटा है। दो साल में 30 हजार से अधिक यूनिट बंद हो चुके हैं और जो यूनिट चल रहे हैं उनमें भी लगभग पचास प्रतिशत •ाबवर्क ही है। एम्ब्रॉयडरी यूनिट संचालकों के लिए राह कठिन लग रही है।
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