वहीं, एनजीटी के आदेश के बाद पांच सदस्यीय कमेटी ने मंगलवार से प्रदूषण फैलाने की दोषी 220 कंपनियों से जवाब लेने की शुरुआत की है। उनके साथ वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का एक अधिकारी भी है। पहले दिन 30 इकाईयों के प्रबंधन का बयान दर्ज किया गया। जानकारी के अनुसार कुछ महीने पहले एनजीटी द्वारा गठित टीम ने बीते पांच साल में प्रदूषण से वापी के पर्यावरण को करीब साढ़े सात सौ करोड़ का नुकसान होने की रिपोर्ट बनाई थी। इस संदर्भ में 44 कंपनियों के पास जुर्माना स्वरुप साढ़े चार करोड़ रुपए भी जमा करवाए गए थे। यह रुपए एनजीटी द्वारा लगाए गए दस करोड़ रुपए जुर्माना के अंतर्गत लिया गया था। एनजीटी के आदेश पर बनी कमेटी ने प्रदूषण के लिए जिम्मेदार 220 कंपनियों से जवाब लेने की कार्रवाई मंगलवार से शुरू की। 27 जून तक कमेटी के सदस्य इन कंपनियों का जवाब लेंगे और रिपोर्ट एनजीटी को सौंपेंगे। कमेटी में आईआईएम अहमदाबाद के प्रो.अनिल सुगथान, गांधीनगर आईआईटी के प्रो. चिन्मय गोराई, नागपुर नीरी के वीएम कार्तिक, जीपीसीबी वापी के आरओ बीआर गज्जर और सीपीसीबी के प्रतिक भार शामिल हैं। पहले दिन 30 कंपनियों का बयान लिया गया। प्रत्येक को आधे घंटे का समय दिया गया था। एनजीटी की टीम के यहां आने के बाद से ही कंपनी संचालकों में हडक़ंप मचा है।