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TEACHERS DAY : जज्बा हो तो चंद्रकांत कंथारिया जैसा…

– जिस स्कूल से ली सेवानिवृत्ति, उसी में नि:शुल्क सेवाएं- सेवानिवृत होने के बाद पांच सालों से पढ़ा रहे विद्यार्थियों को – शिक्षकों की कमी का असर विद्यार्थियों पर नहीं पड़े, इसलिए किया निर्णय

सूरतSep 05, 2018 / 08:36 pm

Divyesh Kumar Sondarva

surat

TEACHERS DAY : जज्बा हो तो चंद्रकांत कंथारिया जैसा…

सूरत.

मोटी वेड निवासी चंद्रकांत कंथारिया जिस नगर प्राथमिक शिक्षा समिति स्कूल में शिक्षा लेकर शिक्षक बने, उसी स्कूल में सेवानिवृति के बाद विद्यार्थियों नि:शुल्क पढ़ा रहे हैं। शिक्षकों की कमी का असर विद्यार्थियों पर ना पड़े, इसके लिए वे पिछले पांच साल से विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं।
मोटी वेड में नगर प्राथमिक शिक्षा समिति की शाला क्रमांक 186 है। इस स्कूल में मोटी वेड के चंद्रकांत कंथारिया ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत की थी। उन्होंने कक्षा 1 से 7वीं की पढ़ाई इसी स्कूल में पूरी की। इसके बाद 8 से 11वीं की पढ़ाई मुगलसराई स्थित आई.पी.मिशन स्कूल में पूर्ण की। अड़ाजन स्थित नवयुग आट्र्स कॉलेज से वर्ष 1979 में बीए पूर्ण करने के बाद 1980 में नवयुग में ही लॉ की पढ़ाई शुरू की। कुछ कारणों से लॉ की शिक्षा बीच में ही छोड़ दी। सूरत में हीरे का व्यापार तेज गति से आगे बढ़ रहा था। तब 1980 में हीरा व्यापार में काम किया। मन में शिक्षक बनने की तमन्ना थी तो बीएड भी करते गए। 1984 में बीएड की डिग्री लेकर बतौर शिक्षक पढ़ाना शुरू किया। 1988 में लालगेट स्थित यूनियन स्कूल में स्थाई शिक्षक बने। 58 साल के होने पर 2013 में उन्हें सेवानिवृत किया गया। 2013 में मोटीवेड स्थित समिति स्कूल 186 में दो शिक्षकों का निवृति समारोह आयोजित किया गया। इसमें चंद्रकांत को भी सम्मानित किया गया। तब अतुल पटेल समिति के प्रमुख थे। वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए। स्कूल में शिक्षकों की कमी पर अतुल पटेल ने ङ्क्षचता जताई। तब चंद्रकांत ने जिस स्कूल से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की, उसी स्कूल में नि:शुल्क सेवा देने की इच्छा जताई। इस पर अतुल पटेल ने उन्हें नियुक्तिपत्र दिया। तब से वे शाला क्रमांक 186 में नि:शुल्क सेवाएं दे रहे हैं। पिछले पांच सालों से स्कूल में कक्षा 1 से लेकर 8 के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। साथ ही कक्षा पांच की जिम्मेदारी भी बतौर क्लास टीचर निभा रहे हैं। पांच सालों में आज तक उन्होंने एक रुपया भी वेतन नहीं लिया है। वे स्कूल में पूरा समय देते हैं।
– शिक्षकों की कमी का ना हो गांव के विद्यार्थियों पर असर
समिति स्कूलों में लंबे समय से शिक्षकों की कमी है। शाला क्रमांक 186 में शिक्षकों के ९ पद हंै, लेकिन स्कूल में पांच शिक्षक ही हंै। एक चंद्रकांत भी नि:शुल्क सेवा दे रहे हंै। 9 की जगह 6 शिक्षकों से विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है। चंद्रकांत का कहना है कि गांव के विद्यार्थी इसमें पढऩे आ रहे हैं। शिक्षक नहीं होने पर विद्यार्थियों को परेशानी होगी। विद्यार्थी बीच से पढ़ाई छोड़ सकते हैं। इससे गांव को नुकसान हो सकता है। इसलिए निवृत होने के बावजूद नि:शुल्क पढ़ा रहा हूं।
– पेंशन से चल जाता है घर
63 वर्षीय चंद्रकांत ने बताया कि सेवानिवृति के बाद उन्हें प्रतिमाह 2000 रुपए पेंशन मिलती है। इसके साथ घर का किराया भी आता है। गांव में खेती है, तो वहां से थोड़ी आय हो जाती है। बेटा भी कमाता है, इसलिए आर्थिक परेशानी नहीं है। जरूरतें कम होने के कारण आर्थिक तंगी परेशान नहीं करती है। शिक्षा सेवा का काम है। सभी को यह सेवा मिलनी ही चाहिए। शिक्षकों की कमी के चलते कोई भी अशिक्षित नहीं रहना चाहिए। जब तक दम है तब तक अपने स्कूल में नि:शुल्क सेवा देता रहूंगा।

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