जानकार मानते हैं कि सूरत फास्ट लर्नर है, लेकिन बदलाव में तीन से पांच साल का वक्त लगेगा। पहले कारोबारी अपनी जरूरत के हिसाब से अनट्रेंड लोगों को ट्रेंड कर लेते थे। अब कारीगर की प्रोडक्टिविटी के हिसाब से गारमेंट की सीएमटी तय होती है। समय के साथ बदलाव जरूरी है। इसकी पहली सीढ़ी एंटरप्रिन्योर ट्रेनिंग है। Textile Market सूरत के कारोबारी जब अंतरराष्ट्रीय ब्रांड से डील करने लगेंगे उन्हें ब्रांड वैल्यू समझ में आने लगेगी।
सूरत में आने वाले तीन सालों में गारमेंट इंडस्ट्री में बूम आना तय है। सूरत के कपड़ा कारोबारियों को फेसिलिटेट करने के लिए सीएमएआइ तैयार है।
डॉ. अजय भट्टाचार्य, चेयरमैन, साउथ गुजरात रीजन सीएमएआइ