सूरत के कपड़ा बाजार में छाया बनारस का ऑर्गेंजा फेब्रिक्स साड़ी और ड्रेस दोनों ही सेगमेंट में लग्नसरा सीजन में डाइड कपड़े की डिमांड अधिक रहती है और इस बार भी व्यापारियों ने थोड़ी-थोड़ी तैयारियों के रूप में नए-नए डिजाइन, अलग-अलग फेब्रिक्स, नए-नए कलर के साथ की है। प्रिंट फेब्रिक्स कम डिमांडेबल होने से इसकी तैयारियां भी आंशिक रूप से व्यापारियों ने कम ही की है।
तैयारियां की है पर संभल-संभल कर
ग्रे बाजार में फिलहाल तेजी है और लू्म्स यूनिटों में श्रमिकों की हड़ताल पर कपड़ा व्यापारियों की नजरें टिकी है। तेजी में ग्रे की खरीदारी करने में वे सतर्कता बरत रहे है क्योंकि हड़ताल अस्थाई है और टूटते ही बाजार भी टूटेगा। ऐसी स्थिति में उन्होंने उतनी ही मात्रा में ग्रे की खरीदारी की है जितनी दिसम्बर के अंत तक अन्यत्र मंडियों में बिक जाने की उम्मीद है। हड़ताल टूटने के बाद ग्रे बाजार में ग्रे कपड़े व भाव में कमी आते ही जरूरत के मुताबिक कपड़ा व्यापारी खरीदारी कर लेंगे।
मंदी के शिकंजे में फंसी सूरत कपड़ा मंडी में ग्राहकी निकलने की उम्मीदें बरकरार
विचित्रा फेब्रिक्स पर अधिक केंद्रित
हल्का-मोटा और सिल्क मिक्स विचित्रा कपड़ा इंग्लिश कलर में होने से अधिक आकर्षक दिखता है और इस पर लेस, लेसबट्टा, एम्ब्रोयडरी वर्क और आकर्षण पैदा करता है। सीपी विचित्रा का लुक थ्रीडी होता है और साड़ी टू-टोन में दिखती है वहीं, पीपी विचित्रा सिंपल कलर इफेक्ट वाली क्वालिटी है। वहीं, डाइड में मार्बल, चांदनी, लाइक्रा, आदि कपड़े की डिमांड है। लग्नसरा सीजन में डाइड कपड़ा उत्तर भारत में प्रिंट कपड़ा दक्षिण भारत में पहली पसंद बनता है।
विचित्रा फेब्रिक्स पर अधिक केंद्रित
हल्का-मोटा और सिल्क मिक्स विचित्रा कपड़ा इंग्लिश कलर में होने से अधिक आकर्षक दिखता है और इस पर लेस, लेसबट्टा, एम्ब्रोयडरी वर्क और आकर्षण पैदा करता है। सीपी विचित्रा का लुक थ्रीडी होता है और साड़ी टू-टोन में दिखती है वहीं, पीपी विचित्रा सिंपल कलर इफेक्ट वाली क्वालिटी है। वहीं, डाइड में मार्बल, चांदनी, लाइक्रा, आदि कपड़े की डिमांड है। लग्नसरा सीजन में डाइड कपड़ा उत्तर भारत में प्रिंट कपड़ा दक्षिण भारत में पहली पसंद बनता है।
60 से 70 फीसद कारोबार
करीब पांच माह के लग्नसरा सीजन के दौरान सालाना कपड़ा कारोबार का 60 से 70 फीसद व्यापार होने का अनुमान प्रत्येक वर्ष रहता है। बड़े व्यापारी सीजन की तैयारी में एक साथ ग्रे कपड़ा लेकर मिल में स्टॉक करवा देते है और जरूरत के हिसाब से प्रोग्राम देते रहते है वहीं, छोटे-मध्यम दर्जे के व्यापारी जरुरत के हिसाब से ग्रे लेते है और आयटम बनवाते है। 15 दिसम्बर के बाद धनुर्मलमास से शुरू होकर लग्नसरा सीजन मई के अंत तक चलता है, हालांकि होली के दौरान इसमें सुस्ती भी आती है।
जरुरत मुताबिक तैयारियां
सच कहे तो पिछले अनुभवों को ध्यान में रख इस बार लग्नसरा सीजन की तैयारी इस तरह से की है कि तैयार माल बिकने से रह जाए उसका मलाल नहीं रहे याने जरूरत के मुताबिक ही माल बनाने की तैयारी की गई है।
प्रतीक चौधरी, कपड़ा व्यापारी, रघुकुल मार्केट
आगे है अच्छे संकेत
कुछ सोमवार से और बाकी अगले सप्ताह से बाहर के व्यापारी सूूरत आने लगेंगे। ऐसे में उम्मीद है कि आगे अच्छे संकेत है। लग्नसरा सीजन में ब्रायडल, गिलीटडोरी की तैयारी खास है। अकेले फरवरी में 19 सावे है तो खरीदारी के अच्छे आसार है।
अनिल पंसारी, कपड़ा व्यापारी, मिलेनियम मार्केट
सरकारी पॉलिसी गड़बड़ ना करें
दिवाली के शॉर्ट पीरियड फूल ग्राहकी ने अच्छी आस पैदा की है। सरकारी पॉलिसी गड़बड़ नहीं करती है तो सूरत के कपड़ा व्यापारी नकारात्मक माहौल से बाहर निकले है और कॉटनबेस पर ड्रेस सेगमेंट में विशेष तैयारियां लग्नसरा सीजन के लिए किए है।
सज्जन जालान, कपड़ा व्यापारी, न्यू टैक्सटाइल मार्केट