स्थानीय युवक इनमें लिप्त हैं, जिससे पिछले कुछ साल में सैकड़ों घर बर्बाद हुए हैं। कई गांवों में विधवा महिलाओं की संख्या दर्जन से ऊपर है। यहां अवैध झींगा तालाबों का मुद्दा भी बड़ा है। समुद्र किनारे के अधिकांश भागों में झींगा तालाब इस क्षेत्र की आय का मुख्य जरिया हैं। ओलपाड के सरस गांव में ऐतिहासिक सिद्धनाथ महादेव मंदिर से इस क्षेत्र ख्याति राज्यभर में है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। ओलपाड विधानसभा का पूरा क्षेत्र गांव और शहर का मिला-जुला रूप है। यहां खेतों में हरियाली है तो ऊंची अट्टालिकाएं भी हैं। खेतों में पानी के लिए किसानों की आवाज बुलंद होती है तो शहर में बुनियादी सुविधाओं की मांग भी उठती है।
आठ-10 साल पहले यह क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश में ढला था, लेकिन जैसे-जैसे विकास हुआ, तस्वीर बदलती चली गई। सडक़ें बनीं तो गांव से शहर की दूरी कम होती गई। क्षेत्र के विधायक मुकेश पटेल पर सरकारी जमीनों पर अवैध झींगा तालाबों को प्रश्रय देने का आरोप लगता रहा है। इनके समर्थक इसे गलत भी नहीं मानते। इन लोगों का कहना है कि जब युवकों के पास रोजगार नहीं था, वह अवैध देसी शराब बनाने के काम में लगे थे।
खुद भी देसी शराब पीते थे और दूसरों को भी बेचते थे। इससे घर बर्बाद हो रहे थे। इन युवकों में सामाजिक चेतना लाकर उन्हें झींगा पालन के रोजगार से जोड़ा गया। इससे इनके घरों में आमदनी शुरू हुई तो सरकार को विदेशी मुद्रा मिलती है। क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन अनुपजाऊ है। सरकारी तंत्र की निष्क्रियता के कारण बंजर जमीनों का उपयोग नहीं हो रहा था। झींगा पालन की अपार संभावनाओं के बाद भी लोगों के आवेदन लंबित थे। बाद में अवैध झींगा पालन शुरू हो गया। अब झींगा पालन का अवैध करोबार सैकड़ों एकड़ जमीन में पनप चुका है।
शुगर फैक्ट्री मिली
इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान गन्ने की खेती करते हैं। लंबे समय से किसानों की मांग क्षेत्र में शुगर फैक्ट्री खोलने की थी। विधायक मुकेश पटेल ने किसानों की मांग को लेकर लंबा संघर्ष किया और क्षेत्र में शुगर फैक्ट्री खुली। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिला। क्षेत्र में बड़ी कंपनियों का जाल भी बिछता जा रहा है। इन कंपनियों की पाइपलाइन खेतों से गुजरती हैं। किसान इसके लिए मुआवजे की मंाग कर रहे हैं।
क्षेत्र का विस्तार
क्षेत्र कोसाड से मोटा वराछा, अमरोली, ओलपाड तक फैला हुआ है। इसमें ओलपाड तहसील के सभी 108 गांव, चौर्यासी तहसली के चार गांव भेंसाण, मलगामा, वासवा और डामका शामिल हैं।
सामाजिक बदलाव जरूरी
& क्षेत्र में विकास के कई बड़े काम हुए हैं। सरस और तेना गांव को सांसद दर्शना जरदोश ने योजना से आदर्श गांव बनाया है। देसी शराब की भट्टियां समस्या हैं। झींगा तालाबों का जाल सरकार की हजारों एकड़ बेकार भूमि में बिछा है। ट्रैफिक की समस्या दूर हुई है। तेना खाड़ी पर ब्रिज बनने से आवागमन सुगम हुआ।जयेश पटेल, सरपंच, तेना गांव
दारू की भट्टियां ज्यादा
& पूरे सूरत शहर में आपूर्ति होने वाली देसी दारू का अधिकांश उत्पादन अवैध रूप से ओलपाड के गांवों में होता है। देसी दारू के कारण लोगों की मृत्यु भी हो रही है। ओलपाड के गांवों में दारू से होने वाली मौत की वजह से तीन हजार से अधिक विधवाएं हैं। नहरों की खुदाई होने से किसानों की कुछ समस्याएं कम हुई है।जयेश पटेल, अध्यक्ष, द.गु.खेड़ूत समाज