scriptडॉलर ने फीकी कर दी हीरे की चमक | The dollar shrugged off the diamond | Patrika News
सूरत

डॉलर ने फीकी कर दी हीरे की चमक

हीरा उद्योग में मंदी से डेढ़ महीने का रहेगा दीपावली अवकाश
नवसारी का मशहूर है पोलकी हीरा उद्योगशहर में दस हजार परिवार हीरा उद्योग पर निर्भर

सूरतOct 18, 2018 / 06:11 pm

Sunil Mishra

patrika

डॉलर ने फीकी कर दी हीरे की चमक


नवसारी. कई महीने से डॉलर के मूल्य में लगातार वृद्धि से हीरे की चमक फीकी पड़ रही है। डॉलर के मुकाबले रुपए के अवमूल्यन से हीरा उद्योग मंदी की ओर बढ़ रहा है, जिससे हीरा उद्यमियों की परेशानी बढ़ती जा रही है। मंदी के कारण इस बार दीपावली अवकाश एक से डेढ़ महीने तक रह सकता है। हालांकि इन सबके बीच पोलकी हीरा उद्योग मंदी से जूझने में उद्यमियों के लिए आशा की किरण बना हुआ है।
जानकारी के अनुसार किसी समय हीरा उद्योग दक्षिण गुजरात की पहचान था, लेकिन बदलते समय में अब सूरत को हीरा उद्योग का हब कहा जाता है। परंतु आज भी नवसारी में कई बड़ी कंपनियां एवं कारखाने हीरा उद्योग को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले कई महीने से डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से यह उद्योग मंदी की मार झेल रहा है। हीरा बाजार में इसकी वजह से तैयार माल बेचने में कठिनाई आ रही है। क्योंकि रफ हीरा खरीदने के बाद पिछले डेढ़ महीने में रुपए के सामने डॉलर का मूल्य करीब 15 फीसदी बढ़ा है। घंटी पर घिस कर तैयार हीरे को खरीदार नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि डॉलर के मुकाबले व्यापारी को खरीदारी महंगी पड़ती है। दीपावली को देखते हुई कई व्यापारी नुकसान सहकर भी हीरा बेचने को विवश हैं। दूसरी तरफ मंदी शुरू होते ही सूरत के कई कारखाने बंद होने और कई कंपनियों द्वारा कारीगरों को निकालने की जानकारी भी सामने आई है। यही हालात नवसारी में भी देखने को मिल रहे हैं। कुछ कारखाने यहां भी बंद हो गए हैं तो एक कंपनी बंद होकर सूरत चली गई। नवसारी में दस हजार परिवार हीरा उद्योग पर निर्भर हंै। इस उद्योग मे आई मंदी की मार ने कई परिवारों में दीवाली की रोशनी को फीका कर दिया है।
patrika
80 प्रतिशत पोलकी हीरा नवसारी में बनते हैं
गत दस साल में नवसारी फि र से हीरा उद्योग का हब बना है। नवसारी पूरे देश में पोलकी हीरा के लिए जाना जाता है। देश में घिसे जाने वाले पोलकी हीरे में 80 प्रतिशत नवसारी में बनते हैं। पोलकी हीरे परंपरागत गोल हीरे से कीमत में भी 70 प्रतिशत कम दामों पर बिकते हैं। इसलिए भारत के ज्वैलरी बाजार में इनकी मांग ज्यादा है। नवसारी में पोलकी के व्यापारी राजस्थान के जयपुर, बीकानेर, मुंबई और हैदराबाद समेत कई शहरों में व्यापार करते हैं। भारतीय ज्वैलरी मार्केट में हीरे की मांग घटने से पोलकी के उद्योग व कारीगरों पर भी असर पडऩा निश्चित है। कच्चे हीरे की खरीदी डॉलर में होती है, लेकिन तैयार पोलकी हीरे की बिक्री भारतीय बाजार में रुपए में होती है। इससे हीरा उद्यमियों को बिक्री में 12 से 15 प्रतिशत नुकसान की आशंका जताई जा रही है। हालांकि हाल के समय में पोलकी पर मंदी का असर मामूली है।
patrika
ऐसे तैयार होता है पोलकी हीरा
विदेश से कच्चे हीरे को खरीदने के बाद अलग-अलग तरह से तैयार किया जाता है। बदलते फैशन और ज्वैलरी में कम लागत को ध्यान में रखते हुए हीरा के अन्य प्रकार के बाजार भी विकसित हुए हैं। जिनमें गोल के अलावा पोलकी, चौकी, फैंसी प्रकार के हीरे बनाए जाते हैं। इसमें पोलकी ने हीरा उद्योग में अलग पहचान बनाई है। कच्चे हीरे को मशीन पर पतली पट्टी की तरह काटा जाता है और बाद में हीरे पर आरा बनाकर उसे चमकाया जाता है। पोलकी हीरे का वजन गोल हीरा की तुलना में कम होता है, जिससे बाजार में उसकी कीमत भी गोल हीरे के मुकाबले 70 प्रतिशत तक कम होती है। तैयार पोलकी हीरे का बाजार भारत में ही होने से बिक्री रुकने की आशंका नहीं है।

इस बार मंदी का असर ज्यादा
हर साल दीपावली पर मंदी होती है, लेकिन इस वर्ष डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से मंदी का असर ज्यादा है। कई छोटे कारखाने बंद हो गए हैं। पांच हजार रुपए से ज्यादा में बिकने वाला हीरा मंदी के कारण चार हजार रुपए से कम में बिक रहा है। एक हजार से 12 सौ रुपए का नुकसान हो रहा है। डॉलर स्थिर रहने पर हीरा उद्योग को राहत मिलेगी।
अशोक वाला, कारखाना मालिक, नवसारी
लंबे समय से है मंदी
गोल हीरा बाजार में लंबे समय से मंदी है लेकिन पोलकी में माहौल ठीक है। पहले गोल हीरा बनाता था, लेकिन एक साल से पोलकी पर काम कर रहा हूं। इसमें ज्यादा काम मिलने से घर खर्च में भी राहत है। बाजार में मंदी तो नोटबंदी के समय से ही है, उसके बाद जीएसटी लगा और अब डॉलर ऊपर जा रहा है। लेकिन अभी भी पोलकी में व्यापार अच्छा है।
भगवान सुथार, पोलकी हीरा कारीगर, नवसारी
नवसारी पोलकी हीरों का हब
देश का 80 से 90 प्रतिशत पोलकी हीरा नवसारी में बनता है। देश में यह पोलकी हीरे का हब है। डॉलर के सामने रुपए के कमजोर होने से बाजार में मंदी है। क्योंकि पोलकी हीरे का बाजार भारत ही है, इसलिए डॉलर में खरीदे रफ हीरे को तराश कर रुपए में बेचना पड़ रहा है। डेढ़ महीने में डॉलर के मुकाबले रुपए में 15 प्रतिशत गिरावट होने से व्यापारियों को 15 प्रतिशत घाटा होने की बात कह सकते हैं। डॉलर के स्थिर होने पर बाजार मंदी से उबर सकता है।
कमलेश मालाणी, अध्यक्ष, नवसारी डायमंड एसोसिएशन

Home / Surat / डॉलर ने फीकी कर दी हीरे की चमक

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो