गत दस साल में नवसारी फि र से हीरा उद्योग का हब बना है। नवसारी पूरे देश में पोलकी हीरा के लिए जाना जाता है। देश में घिसे जाने वाले पोलकी हीरे में 80 प्रतिशत नवसारी में बनते हैं। पोलकी हीरे परंपरागत गोल हीरे से कीमत में भी 70 प्रतिशत कम दामों पर बिकते हैं। इसलिए भारत के ज्वैलरी बाजार में इनकी मांग ज्यादा है। नवसारी में पोलकी के व्यापारी राजस्थान के जयपुर, बीकानेर, मुंबई और हैदराबाद समेत कई शहरों में व्यापार करते हैं। भारतीय ज्वैलरी मार्केट में हीरे की मांग घटने से पोलकी के उद्योग व कारीगरों पर भी असर पडऩा निश्चित है। कच्चे हीरे की खरीदी डॉलर में होती है, लेकिन तैयार पोलकी हीरे की बिक्री भारतीय बाजार में रुपए में होती है। इससे हीरा उद्यमियों को बिक्री में 12 से 15 प्रतिशत नुकसान की आशंका जताई जा रही है। हालांकि हाल के समय में पोलकी पर मंदी का असर मामूली है।
विदेश से कच्चे हीरे को खरीदने के बाद अलग-अलग तरह से तैयार किया जाता है। बदलते फैशन और ज्वैलरी में कम लागत को ध्यान में रखते हुए हीरा के अन्य प्रकार के बाजार भी विकसित हुए हैं। जिनमें गोल के अलावा पोलकी, चौकी, फैंसी प्रकार के हीरे बनाए जाते हैं। इसमें पोलकी ने हीरा उद्योग में अलग पहचान बनाई है। कच्चे हीरे को मशीन पर पतली पट्टी की तरह काटा जाता है और बाद में हीरे पर आरा बनाकर उसे चमकाया जाता है। पोलकी हीरे का वजन गोल हीरा की तुलना में कम होता है, जिससे बाजार में उसकी कीमत भी गोल हीरे के मुकाबले 70 प्रतिशत तक कम होती है। तैयार पोलकी हीरे का बाजार भारत में ही होने से बिक्री रुकने की आशंका नहीं है।
इस बार मंदी का असर ज्यादा
हर साल दीपावली पर मंदी होती है, लेकिन इस वर्ष डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से मंदी का असर ज्यादा है। कई छोटे कारखाने बंद हो गए हैं। पांच हजार रुपए से ज्यादा में बिकने वाला हीरा मंदी के कारण चार हजार रुपए से कम में बिक रहा है। एक हजार से 12 सौ रुपए का नुकसान हो रहा है। डॉलर स्थिर रहने पर हीरा उद्योग को राहत मिलेगी।
अशोक वाला, कारखाना मालिक, नवसारी
गोल हीरा बाजार में लंबे समय से मंदी है लेकिन पोलकी में माहौल ठीक है। पहले गोल हीरा बनाता था, लेकिन एक साल से पोलकी पर काम कर रहा हूं। इसमें ज्यादा काम मिलने से घर खर्च में भी राहत है। बाजार में मंदी तो नोटबंदी के समय से ही है, उसके बाद जीएसटी लगा और अब डॉलर ऊपर जा रहा है। लेकिन अभी भी पोलकी में व्यापार अच्छा है।
भगवान सुथार, पोलकी हीरा कारीगर, नवसारी
देश का 80 से 90 प्रतिशत पोलकी हीरा नवसारी में बनता है। देश में यह पोलकी हीरे का हब है। डॉलर के सामने रुपए के कमजोर होने से बाजार में मंदी है। क्योंकि पोलकी हीरे का बाजार भारत ही है, इसलिए डॉलर में खरीदे रफ हीरे को तराश कर रुपए में बेचना पड़ रहा है। डेढ़ महीने में डॉलर के मुकाबले रुपए में 15 प्रतिशत गिरावट होने से व्यापारियों को 15 प्रतिशत घाटा होने की बात कह सकते हैं। डॉलर के स्थिर होने पर बाजार मंदी से उबर सकता है।
कमलेश मालाणी, अध्यक्ष, नवसारी डायमंड एसोसिएशन