सूरत के कपड़ा उद्योग में नोटबंदी के बाद से मंदी का दौर चल रहा है। कपड़ा उत्पादकों को ऑर्डर नहीं मिलने से व्यापार घट गया है। वह व्यापार छोड़ रहे हैं। कइयों ने नए व्यवसाय अपना लिए और कुछ मशीनों को स्क्रेप में बेच रहे हैं। प्रतिदिन सूरत में 200 मशीनें स्क्रेप में बिक रही हैं।
विरल गोदीवाला, मशीन कारोबारी
जीएसटी के बाद अब तक लगभग 80 हजार लूम्स मशीनें स्क्रेप में बिक चुकी हैं। व्यापारियों के पास कपड़ों की डिमांड नहीं होने से कपड़ों का उत्पादन घट गया है। इसके कारण वीवर्स को मशीनें बेचनी पड़ रही हैं।
आशीष गुजराती, वीवर्स