व्यापारी बोले- जीएसटी से बर्बाद हो रहा है कपड़ा उद्योग, बचा लो
ओपन हाउस में कई समस्याओं को लेकर वेदना खुलकर सामने आई
व्यापारी बोले- जीएसटी से बर्बाद हो रहा है कपड़ा उद्योग, बचा लो
सूरत. जीएसटी का एक साल पूरे होने पर सूरत के उद्यमियों से इसके अनुभव साझा करने आए जीएसटी अधिकारियों के समक्ष कपड़ा उद्यमियों ने नाराजगी के साथ अपनी वेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जीएसटी पर अमल बेहतरी के लिए किया गया था, लेकिन इसके कारण सूरत का उद्योग बर्बादी की ओर बढ़ रहा है। सरकार को इसकी सुध नहीं है। सरकार को लगता है कि सूरत के उद्यमी टैक्स नहीं भरना चाहते।
जीएसटी विभाग की ओर से सरसाणा के इंटरनेशनल एग्जिबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर में शुक्रवार को आयोजित ओपन हाउस में कपड़ा उद्यमियों ने तीन घंटे तक अपना दर्द व्यक्त किया। कपड़ा व्यापारी आशीष गुजराती, भरत शाह, सुरेश पटेल और अशोक जीरावाला ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद से अब तक वीवर्स का लगभग 700 करोड़ रुपए का क्रेडिट रिफंड सरकार के पास जमा है, हम बार-बार इसके लिए सरकार से मांग कर रहे हैं, लेकिन तारीख पर तारीख दी जा रही है। आखिर कपड़ा उद्यमियों को रिफंड क्यों नहीं दिया जा रहा है? कपड़ा उद्यमी नारायण अग्रवाल ने कहा कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के कारण कपड़ा उद्योग की हालत पतली हो रही है। स्पिनिंग, वीविंग, प्रोसेसिंग और एम्ब्रॉयडरी, सभी जगह कच्चा माल 12 प्रतिशत तथा तैयार माल पर पांच प्रतिशत होने से टैक्स क्रेडिट बच रहा है। इसके अलावा विदेश से आयात मशीनों पर 18 प्रतिशत आइजीएसटी रिफंड नहीं मिलने से यह भी गंवाना पड़ रहा है। कपड़ा उद्योग का विकास रुक गया है। कपड़ा व्यापारी रंगनाथ सारड़ा ने कहा कि जीएसटी में पचास हजार से कम कीमत पर इ-वे बिल का प्रावधान नहीं है, लेकिन ट्रांसपोर्टर इसके लिए परेशान करते हंैं। आइटीसी-04 रिटर्न को रद्द किया जाए, नहीं तो छोटे व्यापारी परेशान हो जाएंगे। वीवर देवेश पटेल ने कहा कि सरकार में बैठे लोगों को सूरत के व्यापारियों के बारे में गलतफहमी है कि हम टैक्स नहीं भरना चाहते। यह गलतफहमी दूर होनी चाहिए। मजदूर संगठन के एक सदस्य ने कहा कि जीएसटी के कारण दुकानें बंद होने से पार्सल, पैकिंग और छुटपुट काम करने वाले बेरोजगार हो रहे हैं। मजदूर संगठन से जुड़े उमाशंकर मिश्रा ने कहा कि लोगों के पास काम नहीं होने से वह अपने बच्चों का मनपा के स्कूल में दाख्रिला करवा रहे हैं और कई श्रमिक पलायन कर गए हैं। यार्न उद्यमी विनय अग्रवाल ने कहा कि सरकार कई क्षेत्रों में ऋण माफ कर रही है और कपड़ा उद्योग में हर स्तर पर अलग-अलग टैक्स होने से उद्यमियों के करोड़ो रुपए टैक्स क्रेडिट फंसे हैं। यह रिफंड क्यों नहीं दिया जा रहा है।
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