पारसी दिवस के महत्व को देखते हुए पश्चिम रेलवे द्वारा कई एक्सप्रेस ट्रेनों को संजाण स्टेशन पर स्टोपेज दिया जाता है। हर साल नवंबर के तीसरे सप्ताह में सजाण डे 16 नवंबर को पारसी जश्न सेरेमनी के तौर पर मनाते हैं। काफी संख्या में जुटे पारसियों ने एक दूसरे के गले लगकर संजाण डे की बधाई दी और संजाण स्मृति स्तंभ को फूल हार से सजाकर उसकी परिक्रमा भी की।
इस उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में राज्य के वन एवं आदिजाति विकास राज्य मंत्री रमण पाटकर, दमण दीव एवं दानह प्रशासक प्रफुल पटेल समेत पारसी समाज के विशिष्ट लोगों की उपस्थिति रही। मंत्री रमण पाटकर ने कहा कि गुजरात और देश के विकास में पारसी कौम का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने देश की सेवा में अग्रसर रहे पारसियों का अभिनंदन करते हुए उदवाड़ा की पारसी अगियारी को प्रवासनधाम के रुप में विकसित करने के प्रयासों का भी उल्लेख किया।
दमण दीव व दानह प्रशासक प्रफुल पटेल ने पारसी समाज की कम होती जनसंख्या का जिक्र करते हुए पारसियों को अपने गौरव को बनाए रखते हुए उसका व्याप बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में रतन टाटा, वैज्ञानिक होमी भाभा समेत विभिन्न क्षेत्र में सिद्धि हासिल करने वाले पारसी समाज की विभूतियों को याद करते हुए कहा कि विन्रमता इस मसाज के लोगों का सबसे बड़ा गुण है। संजाण मेमोरियल लोकल कमिटी के प्रमुख बेप्सी देवीयरवाला ने 13 सौ साल पहले पारसियों के भारत आगमन से लेकर आज तक के सफर की रुपरेखा बताई। दस्तूर साहब ने बताया कि धर्म की रक्षा के लिए इरान छोडक़र भारत आने के बाद यह समाज भारतीयों के साथ दूध में शक्कर की तरह मिल गया है। देश की सभी सरकारों द्वारा इस कौम को मिले प्रोत्साहन से यहां बिना विघ्न निवास करते रहे हैं।
करीब सौ साल पूर्व बना स्तंभ करीब सौ साल पूर्व 1917 में संजाण में 50 फीट के कीर्ति स्तंभ का निर्माण किया गया था। जिसका उद्घाटन पारसी अग्रणी सर जमशेद जीजीभोय के हाथों होने का उल्लेख तख्ती पर किया गया है। इस छोटे से बंदर पर संजाण डे पर बहुत चहलपहल रहती है। कीर्ति स्तंभ पर फूलों की आकर्षक नक्काशी की गई है और इसके बीच में तख्ती लगाई गई है। जिसमें पारसी धर्म की रक्षा के लिए उन्हें आश्रय देने वाले जादीराणा का भी उल्लेख किया गया है।