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सूरत

Motivational / बाल मजदूरी के खिलाफ सूरत के इस उद्यमी ने शुरू की अनोखी पहल

– बाल मजदूरों के तारणहार बने उद्यमी अश्विन सभाया ने 350 बच्चों की आजीवन पढ़ाई का जिम्मा उठाया – संवेदना एनजीओ के चाइल्ड टू स्कूल अभियान से प्रभावित होकर मदद करने आगे आए, डांग और सूरत में शुरू की स्कूलें

सूरतDec 14, 2019 / 02:19 pm

Sandip Kumar N Pateel

Motivational / बाल मजदूरी के खिलाफ सूरत के इस उद्यमी ने शुरू की अनोखी पहल

Motivational / बाल मजदूरी के खिलाफ सूरत के इस उद्यमी ने शुरू की अनोखी पहल

सूरत. कपड़ा और हीरा उद्योग के लिए दुनियाभर में मशहूर सूरत अपने सामाजिक सरोकार के लिए भी जाना जाता है। पिता का साया खोने वाली बेटियों की शादी करवानी हो, शहीद जवानों के परिवारों के लिए आर्थिक सहायता करनी हो यहां के उद्यमी हमेशा सहयोग के लिए आगे रहते हैं। ऐसे ही एक कपड़ा उद्यमी अश्विन सभाया बाल मजूदरी के खिलाफ कार्य कर रही संवेदना एनजीओ के सहयोग के लिए आगे आए हंै। उन्होंने इस एनजीओ के बैनर तले सूरत और डांग के गरीब बच्चों के लिए शुरू की गई स्कूल के 350 बच्चों की पढ़ाई का आजीवन खर्च अपने जिम्मे लिया है।
Motivational / बाल मजदूरी के खिलाफ सूरत के इस उद्यमी ने शुरू की अनोखी पहल
संवेदना के संस्थापक संदीप जोधाणी ने बताया कि देश में बाल मजदूरी एक बड़ा दूषण है, ऐसे में उनकी संस्था ने बाल मजूदरों को शिक्षा के मार्ग पर वापस लाने और उज्ज्वल भविष्य बनाने का निर्णय करते हुए चाइल्ड टू स्कूल अभियान शुरू किया है। प्रतीक नाकारणी, बिंदेश शेलडिया, राजेश कयाडा, जिज्ञेश गोधाणी, पीयूष पाघडाल और विशाल पटेल के सहयोग से इस अभियान के तहत अब तक वह सूरत और डांग जिले के गांवों के 350 बाल मजदूरों को बाल मजूदरी से मुक्त करवा कर उनमें शिक्षा की अलख जगाई है। इसके लिए उन बच्चों के अभिभावकों को शिक्षा का महत्व समझाया गया, तब जाकर वह अपने बच्चों को स्कूल में भेजने को तैयार हुए। जब इस अभियान के बारे में कपड़ा उद्यमी अश्विन सभाया को जानकारी मिली तो उन्होंने अपना सहयोग देने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने सभी 350 बच्चों को स्कूल बैग, कपड़े, किताबें समेत सभी जरूरी शिक्षण सामग्री उपलब्ध करवाई। साथ ही यह बच्चे जहां तक पढ़ाई करना चाहेंगे उसका पूरा खर्च भी उठाने की घोषणा की।

डांग में किराए से जगह ली, 10 शिक्षकों की टीम बनाई


चाइल्ड टू स्कूल अभियान के लिए संवेदना की ओर से सूरत में अलग-अलग क्षेत्रों में स्कूल चलाई जा रही हैं, तो डांग जिले के बच्चों के लिए वहीं पर किराए से जगह लेकर स्कूल शुरू की गई है। बच्चों को पढ़ाने के लिए दस शिक्षकों को नियुक्त किया गया है। यह शिक्षक सूरत तथा डांग में कार्यरत स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

ऐसे मिली प्रेरणा


संदीप जोधाणी ने बताया कि चाइल्ड टू स्कूल अभियान की प्रेरणा उन्हें विजय नाम के एक बाल मजदूर से मिली। विजय झोपड़पट्टी में रहता है और फूल बेचकर अपने परिवार को आर्थिक रूप से मददगार बन रहा था। बातचीत में उसने बाल मजदूरी को मजबूरी बताया और कहा कि उसकी पढऩे की इच्छा है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह पढ़ नहीं पा रहा। विजय जैसे ही हजारों बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं यह सोचकर ऐसे बच्चों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था करने का निर्णय किया गया और आज 350 बच्चे बाल मजूदरी छोड़कर पढ़ाई कर रहे हैं।

सालाना 18 लाख से अधिक का खर्च


इन बच्चों की पढ़ाई के लिए संवेदना को सालाना 18 लाख से अधिक का खर्च आएगा। प्रति शिक्षक मासिक दस हजार वेतन चुकाया जा रहा है। साल के 12 लाख रुपए शिक्षकों के वेतन तथा बच्चों के लिए जरूरी शिक्षा सामग्री और कपड़ों आदि के लिए 6.50 लाख रुपए का खर्च होगा। इस पूरे खर्च की आजीवन जिम्मेदारी उद्यमी अश्विन सभाया ने ले ली है।
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