कोरोनाकाल में भी हीरा कारोबार पूरी तरह ठप नहीं रहा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में हीरे की मांग बनी ही रही है। पहली तिमाही के एक्सपोर्ट आंकड़ों पर गौर करें तो अप्रेल-मई में हीरे का एक्सपोर्ट महज 5.73 लाख कैरेट था, जो जून महीने में उछलकर 6.2 लाख कैरेट हो गया और पहली तिमाही के आंकड़ा 11.93 लाख कैरेट तक पहुंच गया। इन आंकड़ों से साफ है कि आने वाले दिनों में हीरे का एक्सपोर्ट बढ़ेगा और क्रिसमस व नए वर्ष तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में डिमांड सामने आएगी। इस बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए बड़े कारखानों का कम से कम तीन महीने फुल स्विंग के साथ चलना जरूरी है।
हीरा उद्योग से जुड़े लोगों के मुताबिक क्रिसमस की मांग पूरी करने के लिए दीपावली से पहले कारखानों में पूरी क्षमता के साथ काम शुरू होना जरूरी है। फिलहाल हीरा कारखानों में आधी क्षमता से ही काम कराया जा सकता है। इसीलिए क्रिसमस और नए साल पर हीरे की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी मांग को पूरा करना उद्यमियों के लिए अभी से चुनौती बना हुआ है। जानकारों के मुताबिक फिलहाल जो स्थितियां हैं उनमें इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है।
इस बार आएगी दिक्कत
इस बार हीरा कारोबारियों को बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग तो निकलेगी, लेकिन उसे पूरा कर पाना आसान नहीं है। हीरा उद्यमियों को प्रोडक्शन में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
महेंद्र नावडिया, हीरा उद्यमी, सूरत