क्राइम ब्रांच की आर्थिक अपराध निवारण शाखा के पुलिस निरीक्षक जे.एन.धासुरा ने बताया कि वालक पाटिया रहमत नगर निवासी इरशान पठान उर्फ ईशु, इमरान पठान, मोटा वराछा सोना अपार्टमेंट निवासी कपिल कोठिया, वराछा स्नेहमिलन सोसायटी निवासी शैलेष जाधवानी व सीमाड़ा व्रजराज सोसायटी निवासी मुकेश सोजित्रा ने अपने पन्द्रह अन्य साथियों के साथ मिल कर घोटाले को अंजाम दिया।
उन्होंने अगस्त 2016 से अक्टूबर 2018 के दौरान एक दूसरे की मिलीभगत से बैंक में नामी वाहन निर्माता कंपनियों अशोक लैलंड व टाटा मोटर्स के 52 भूतिया वाहनों की फर्जी आरसी बुक, बीमा के फर्जी कागजात तैयार किए। जो वाहन कभी बने ही नहीं थे और जिनका अस्तित्व ही नहीं था। फिर इन आरसी बुक और बीमा कागजातों का उपयोग कर यस बैंक की सहरा दरवाजा ट्वीन टावर शाखा से 8 करोड़ 64 लाख 71 हजार 948 रुपए के कुल 53 लोन स्वीकृत करवाए।
लोन ली गई इस राशि में से कुछ किश्तों का तो भुगतान किया लेकिन शेष 5 करोड़ 25 लाख 26 हजार 830 रुपए का गबन कर बैंक के साथ धोखाधड़ी की। इस संबंध में बैंक के आरसीयु प्रबंधक वडोदरा निवासी सुमित भोसले से लिखित शिकायत मिलने पर क्राइम ब्रांच ने बीस आरोपियों के खिलाफ शुक्रवार को रात मामला दर्ज किया। बीस में से पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर शनिवार शाम अदालत में पेश किया। क्राइम ब्रांच ने पांचों आरोपियों को छह दिन के रिमांड पर लिया है।
इरशाद है मास्टर मांइड :
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इरशाद शातिर है। उसके खिलाफ पूर्व में सरथाणा पुलिस थाने में धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज हो चुका है। इस लोन घोटाले की साजिश का भी मास्टर माइंड वही है। उससे अन्य आरोपियों व उनकी भूमिका के बारे में पूछताछ की जा रही है।