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सूरत

दक्षिण गुजरात में पैर पसार रहा क्षय रोग

आज विश्व क्षय दिवस पर विशेष…
सूरत में एक साल में 185 गंभीर मरीजों को दी गई बेडाक्विलिन दवा

सूरतMar 23, 2019 / 09:07 pm

Sanjeev Kumar Singh

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दक्षिण गुजरात में पैर पसार रहा क्षय रोग

सूरत.

दक्षिण गुजरात में क्षय रोग पैर पसार रहा है। न्यू सिविल अस्पताल के टीबी-चेस्ट विभाग में प्रतिदिन 120 से 130 मरीज ओपीडी में आते हैं। इसमें 60 से 70 फीसदी मरीजों में टीबी चिन्हित होता है। ओपीडी में अब तक गंभीर टीबी के 185 मरीजों को बेडाक्विलिन दवाई निशुल्क दी गई है। दक्षिण गुजरात में न्यू सिविल अस्पताल एक मात्र केन्द्र है, जहां मरीजों को बेडाक्विलिन दवा निशुल्क दी जाती है।
टीबी-चेस्ट विभाग की अध्यक्षा तथा एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पारुल वडगामा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है। इस गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। टी.बी. का पूरा नाम है ट्यूबरकुलोसिस है जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से होता है। टी.बी को फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है।
हड्डियां, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि में टीबी फैल सकता है। इस बार टीबी. की थीम इट्स टाइम दिया गया है। सरकारी और निजी अस्पताल, आइएमए, एनजीओ, टीबी. जीत प्रोजेक्ट समेत अन्य सभी संस्थाओं के संयुक्त प्रयास से टीबी. को कंट्रोल किया जा सकता है। डब्लूएचओ के अनुसार सभी देशों में अगर सही तरीके से टीबी का इलाज होता रहे तो वर्ष 2030 तक इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।

न्यू सिविल अस्पताल में बेडाक्विलिन दवा गंभीर टी. बी. मरीजों को निशुल्क दी जाती है। सामान्य टीबी. और गंभीर टीबी. का इलाज क्रमश: छह माह से एक वर्ष तथा दो वर्ष चलता है। गंभीर टी. बी. के मरीजों को प्रथम छह माह बेडाक्विलिन दवाई दी जाती है। बाद में डेढ़ वर्ष तक अन्य दवाई दी जाती है। सूरत के ओपीडी से अब तक 180 मरीजों को बेडाक्विलिन दवाई दी गई है। चिकित्सकों ने बताया कि सामान्य टीबी और गंभीर टी. बी. को पहले चरण में चिन्हित कर सही उपचार से मृत्युदर को घटाया जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट वर्ष 2016 के अनुसार दुनिया में टीबी के कारण होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौत भारत में हुई है। दुनियाभर में करीब 10 लाख बच्चों को टीबी हुई, इनमें से ढाई लाख बच्चों की मौत हो गई। इनमें वे बच्चे भी शामिल थे जिनमें टीबी के साथ-साथ एचआइवी के भी लक्षण पाए गए थे। दुनिया में टीबी के मरीजों की संख्या का 64 प्रतिशत सिर्फ सात देशों में है, जिनमें भारत सबसे ऊपर है। इसके बाद इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका हैं।
क्षय (टीबी) रोग के लक्षण

– तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी
– बुखार (जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है)
– छाती में तेज दर्द
– वजन का अचानक घटना
– भूख में कमी आना
– बलगम के साथ खून का आना
– फेफड़ों में बहुत ज्यादा इंफेक्शन होना
– सांस लेने में तकलीफ
संक्रमण कैसे फैलता है

– क्षय रोग से संक्रमित रोगियों के कफ, छींकने, खांसने, थूकने और उनके द्वारा छोड़ी गई सांस से वायु में जीवाणु फैलता है जो कई घंटे तक वायु में रहता है। इसके चलते स्वस्थ्य व्यक्ति को आसानी से टीबी की बीमारी हो सकती है। संक्रमित व्यक्ति के कपड़े छूने या उससे हाथ मिलाने से क्षय रोग बढ़ता है।
जब यह जीवाणु सांस से फेफड़ों तक पहुंचता है तो कई गुणा बढ़ जाता है और नुकसान पहुंचाते है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे बढऩे से रोकती है, लेकिन जैसे-जैसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है, क्षय रोग के संक्रमण की आशंका बढ़ती जाती है।

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