बी.एस.पटेल पर आरोप था कि वर्ष 2001 में सूरत जिला पंचायत में ऑडिटर के पद पर रहते हुए वह मांडवी तहसील के करवली गांव की पंचायत में ऑडिट के लिए गया था। ऑडिट के दौरान साढ़े चार लाख रुपए के खर्च को मंजूर करने के लिए उसने सरपंच मणिलाल छगन पटेल से साढ़े नौ हजार रुपए की रिश्वत की मांग की थी और बाद में पांच हजार रुपए लेने को तैयार हो गया था। सरपंच ने इसकी शिकायत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में की थी। ब्यूरो के अधिकारियों ने जाल बिछा कर बी.एस.पटेल को सरपंच से पांच हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया था। चार्जशीट पेश होने के बाद मामले की सुनवाई भ्रष्टाचार मामलों की विशेष अदालत में चल रही थी। शुक्रवार को अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने अभियुक्त ऑडिटर को दोषी मानते हुए दो साल की कैद और पांच सौ रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।