सूरत शहर पतंग के शौकीनों के लिए प्रसिद्ध है। इस साल सुबह हवा कम होने के कारण कमोबेश पूरे दिन पतंगें आसमान में कम ही उड़ती दिखाई दी। रविवार के मुकाबले सोमवार को काइपो छे की गूंज अधिक सुनाई दी। ज्यादातर लोग छतों पर डी.जे की धुन पर मौज-मस्ती करते दिखाई दिए।
पंतग से ज्यादा दिखे बैलून
शाम को 6 बजे के बाद लोगों ने पतंग उड़ाना बंद कर दिया और चाइनीज बैलून आसमान में उड़ाने लगे। इस बैलून में जैसे ही गरम हवा भर जाती, लोग एक साथ उसे छोड़ते देखे गए। बैलून के आसमान में जाते ही लोग खुशी से झूम उठते। शाम 7 बजे के आसपास देखते ही देखते शहर का आसमान बैलून की रोशनी से जगमगाता दिखाई दिया। लोगों ने छतों पर आतिशबाजी कर आसमान को जगमगा दिया। यह नजारा देखने के लिए लोग छतों पर घंटों बैठे रहे। लोगों ने सूरती फरसाण और उंधियू का स्वाद लेते हुए पतंगोत्सव मनाया।
सूरत और चांद का अदभुत नजारा
शाम को पांच बजते ही सूरज पश्चिम में अस्त होता दिखा, वहीं पूर्व में चांद अपने पूरे रंग में नजर आ रहा था। इन दोनों के बीच आसमान में पतंगें भी उड़ती नजर आई।
एक ही रात में सिनेमा रोड से डबगरवाड़ तक करोड़ों का व्यापार
शनिवार देर रात राजमार्ग पर पतंग और मांझा खरीदने के लिए पूरा सूरत उमड़ पड़ा। सिनेमा रोड से लेकर डबगरवाड़ तक रोड पर एक ही रात में करोड़ों का व्यापार हो गया। पतंग के लिए शहर का राजमार्ग और रांदेर प्रसिद्ध है। मकरसंक्रांति से पूर्व शनिवार रात रांदेर के साथ राजमार्ग पर जोरदार भीड़ उमड़ी। राजमार्ग पर सिनेमा रोड से लेकर डबगरवाड़ तक रोड पर सैकड़ों पतंग विक्रेता दुकानों और ठेलों पर पतंग बेचने बैठे थे। सभी दुकानों और ठेलों पर पतंगों और उससे जुड़ी सामग्री खरीदने वालों की भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी।
शनिवार देर रात राजमार्ग पर पतंग और मांझा खरीदने के लिए पूरा सूरत उमड़ पड़ा। सिनेमा रोड से लेकर डबगरवाड़ तक रोड पर एक ही रात में करोड़ों का व्यापार हो गया। पतंग के लिए शहर का राजमार्ग और रांदेर प्रसिद्ध है। मकरसंक्रांति से पूर्व शनिवार रात रांदेर के साथ राजमार्ग पर जोरदार भीड़ उमड़ी। राजमार्ग पर सिनेमा रोड से लेकर डबगरवाड़ तक रोड पर सैकड़ों पतंग विक्रेता दुकानों और ठेलों पर पतंग बेचने बैठे थे। सभी दुकानों और ठेलों पर पतंगों और उससे जुड़ी सामग्री खरीदने वालों की भीड़ ही भीड़ नजर आ रही थी।