राजकाज, सामाजिक प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, धन आदि प्राप्त करने के लिए सूर्य ग्रह को प्रसन्न करना अत्यन्त अनिवार्य है। इनके साथ ही सूर्य ग्रह द्वारा उत्पन्न पीड़ा और बीमारी से निवृत्ति के लिए गेहूं और गुड़ आदि का सेवन करने से तुरंत लाभ होता है।
चन्द्रमा को मन का कारक माना गया है। मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए चंद्रमा की निमित्त वस्तुएं जैसे गाय का दूध, घी, खीर आदि का उपयोग करना चाहिए। मंगल ग्रह
रक्त संबंधी दोष तथा मंगल ग्रह के कारण होने वाली बीमारियों को दूर करने के लिए स्वर्ण भस्म और सब्जियां आदि का सेवन किया जाना चाहिए, इससे समस्याएं तुरंत प्रभाव से दूर होती है।
व्यापार तथा नौकरी में बुध ग्रह के कारण बाधाएं आती हैं। ऐसे में बुध ग्रह के दोषों से निवारण के लिए मूंग की दाल से बना हलवा, हरे रंग की सब्जी और फल का सेवन करने से ये समस्याएं शांत होती हैं।
महिलाओं की कुंडली में गुरु पति तथा प्रेम संबंधों का कारक है। प्रेम संबंध, व्यापार तथा मान-सम्मान प्राप्त करने के लिए गुरु ग्रह का अनुकूल होना अत्यावश्यक है। इसके लिए जातक को मुलहठी, गुड़, पीले फल एवं सब्जियों का सेवन करना उचित रहता है।
जीवन में भोग-विलास, सुख-सम्पन्नता तथा प्रेम संबंधों का कारक शुक्र ग्रह को माना गया है। इसे अनुकूल कर न केवल प्रेम संबंधों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं वरन दुर्भाग्य दूर होकर सुख, समृद्धि भी प्राप्त होती है। शुक्र ग्रह के दोषों को दूर करने के लिए चावल, मूली, जायफल, पोहा, चावल का उपयोग किया जा सकता है।
शनि की साढ़े साती और ढैय्या अथवा शनि की महादशा के चलते अगर आप दुर्भाग्य से जूझ रहे हैं तो शनि ग्रह की शांति के लिए तिल का तेल, कस्तूरी, राजमा, काले चने, फालसा, जामुन आदि का सेवन आरंभ कर दें। तुरंत ही आपको लाभ होगा।
छाया ग्रह राहु के कारण जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए भोजन में सरसों का तेल तथा बैंगन का सेवन करना चाहिए। केतु ग्रह
राहु की ही तरह केतु भी छाया ग्रह है जो विदेश यात्राओं तथा अन्य कारकों से जुड़ा हुआ है। कुंडली में केतु ग्रह के दोषों को दूर करने के लिए गेहूं, अमचूर, जीरा, कटहल आदि का उपयोग करना चाहिए। इससे समस्या शांत होती है।