scriptशुरू हो गया गुजरात का विख्यात भवनाथ मेला, महाशिवरात्रि तक रहेगी धूम जूनागढ़ | Gujarat Bhavnath temple starts, will celebrate Maha shivratri | Patrika News

शुरू हो गया गुजरात का विख्यात भवनाथ मेला, महाशिवरात्रि तक रहेगी धूम जूनागढ़

Published: Feb 11, 2018 02:39:16 pm

यह मेला हर साल हिन्दू पंचांग के माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को शुरू होता है तथा महाशिवरात्रि को अपने चरम पर पहुंच कर समाप्त होता है।

maha shivratri mela

maha shivratri bhavnath mela

गुजरात में जूनागढ के निकट गिरनार की पहाडी की तलहटी में हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर आयोजित होने वाला पांच दिवसीय विख्यात भवनाथ मेला आज भवनाथ महादेव मंदिर पर ध्वजारोहण की परंपरा के साथ शुरू हो गया। जूनागढ से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित मेला स्थल पर भवनाथ महादेव मंदिर के महंत हरीगिरी जी महाराज ने महामंडलेश्वर भारतीबापू और अन्य साधु संतो के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ध्चजारोहण की विधि पूरी कर मेले की शुरूआत की।
लगभग 53 एकड़ क्षेत्र में फैला यह मेला हर साल हिन्दू पंचांग के माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को शुरू होता है तथा महाशिवरात्रि को अपने चरम पर पहुंच कर समाप्त होता है। इसमें देश भर से, विशेष रूप से गुजरात तथा सीमावर्ती राजस्थान के मारवाड क्षेत्र, के हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस बार महाशिवरात्रि 13 फरवरी को है। महाशिवरात्रि की चंद्रविहिन रात्रि (अमावस्या की रात) को, जब ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने प्रलय से जुडा तांडव नृत्य किया था, उक्त मेले में एक विशेष महापूजा का आयोजन होता है।
आधी रात को शुरू होने वाली इस महापूजा से पूर्व नागा साधुओं की टोली सजी धजी हाथियों पर सवार होकर शंख बजाते हुए वहां पहुंचते हैं। माना जाता है कि नौ नाथों और 84 सिद्धों की भूमि गिरनार में इनके साथ ही भगवान शि शिवरात्रि ?ि पर स्वयं विराजमान होते हैं। मेले में कई तरह के पारंपरिक गीत और नृत्य भी देखने को मिलते हैं।
भवनाथ मेले से जुड़ी है यह कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार जब भगवान शिव और माता पार्वती गिरनार पर्वत के ऊपर से आकाशमार्ग से गुजर रहे थे तभी उनका दिव्य वस्त्र नीचे मृगी कुंड में गिर गया। आज तक इस जगह पर नागा साधु महाशिवरात्रि के मौके पर निकलने वाली उनकी शोभायात्रा से पहले इसमें स्नान करते हैं। राज्य के पर्यटन विभाग की सूचना के अनुसार भवनाथ मेला बेहद प्राचीन काल से आयोजित होता रहा है और इसकी शुरूआत के बारे में कोई आधिकारिक विवरण मौजूद नहीं है।
मेले में जुटने वाली भारी भीड के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध भी किये गये हैं। पूरे मेला क्षेत्र में 40 से अधिक स्थानों पर पुलिस की रावटियां लगायी गयी हैं जबकि पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखने के लिए 75 सीसीटीवी कैमरे भी लगाये गये हैं। इस मेले में आने से पहले कई श्रद्धालु गिरनार पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो