scriptMahashivratri 2024 Special: उत्तराखंड में महाशिवरात्रि पर जहां हुआ था शिव पार्वती का विवाह, आज भी जलती है कुंड में आग | Mahashivratri 2024 Special Triyugi Narayan Mandir where Shiva Parvati marriage In Uttarakhand took place on Mahashivratri fire in pond still burns | Patrika News
मंदिर

Mahashivratri 2024 Special: उत्तराखंड में महाशिवरात्रि पर जहां हुआ था शिव पार्वती का विवाह, आज भी जलती है कुंड में आग

Shiva Parvati Vivah Mahashivratri 2024 Special भगवान शिव माता पार्वती के विवाह का दिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी साल 2024 में 8 मार्च को है। ऐसी मान्यता है कि आदिकाल में महाशिवरात्रि पर शिव पार्वती का विवाह उत्तराखंड के जिस स्थान पर हुआ था, वहां आज भी कुंड में आग जलती रहती है, बाद में यहां मंदिर बना है तो आइये जानते हैं उस त्रियुगीनारायण मंदिर (Triyugi Narayan Mandir rudraprayag uttarakhand) के बारे में..

Mar 08, 2024 / 11:34 am

Pravin Pandey

triyugi_narayan_mandir.jpg

त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमवान का महल उत्तराखंड में था, जहां इनका विवाह हुआ था। मान्यता है कि यहां के एक कुंड में (Triyuginarayan temple) जहां शिव पार्वती ने फेरे लिए थे, वहां आज भी दिव्य लौ जलती रहती है। यह मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में त्रियुगीनारायण गांव में स्थित है। मान्यता है कि भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भूदेवी इस मंदिर में विराजमान है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर आदिशक्ति का अवतार हुआ था, जहां इनका नाम पार्वती रखा गया। युवा होने पर पार्वती के मन में भगवान शिव से विवाह की इच्छा हुई। लेकिन ऐसी संभावना न दिखने पर पार्वती ने तपस्या से स्थिति को बदलने का निश्चय किया। लेकिन तपस्या के चरम पर पहुंचने और सफल होने पर भगवान शिव को विवाह के लिए राजी होना पड़ा।
बाद में दोनों पक्षों के विवाह के लिए राजी होने पर रूद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण गांव में ही दोनों का महाशिवरात्रि के दिन (फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को) विवाह हुआ। मान्यता है कि इस विवाह में भगवान विष्णु ने पार्वती जी के भाई और ब्रह्माजी ने पुरोहित की भूमिका निभाई थी। मंदिर के सामने अग्निकुंड है जिसके दोनों ने फेरे लिए थे। मान्यता है कि तब से ही इस अग्निकुंड की लौ जल रही है। जिसे शिव पार्वती विवाह का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर को अखंड धूनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस अग्निकुंड में प्रसाद के रूप में लकड़ियां डाली जाती हैं। श्रद्धालु इस अग्निकुंड की धुनी लेकर जाते हैं ताकि उनका पारिवारिक जीवन सुख समृद्धि वाला रहे।
ये भी पढ़ेंः साल में सिर्फ एक दिन आम लोगों के लिए खुलते हैं देश के ये मंदिर, महाशिवरात्रि पर पूजा करने जरूर जाएं


मंदिर के पास ही तीन कुंड हैं पहला ब्रह्मा कुंड, दूसरा विष्णु कुंड और तीसरा रूद्र कुंड। कहा जाता है कि ब्रह्माकुंड में शिव विवाह से पूर्व ब्रह्माजी ने स्नान किया था। वहीं विष्णुकुंड में भगवान विष्णु ने और रूद्रकुंड में सभी देवी देवताओं ने स्नान किया था। इन सभी कुंडों में जल स्रोत सरस्वती कुंड को माना जाता है। मान्यता है कि इसका निर्माण विष्णुजी की नासिका से हुआ है। विवाह के समय भगवान शिव को एक गाय दान दी गई थी, जो मंदिर के एक स्तंभ से बांधी गई थी। मान्यता है कि इन कुंडों में स्नान से संतानहीनता दूर होती है।

Home / Astrology and Spirituality / Temples / Mahashivratri 2024 Special: उत्तराखंड में महाशिवरात्रि पर जहां हुआ था शिव पार्वती का विवाह, आज भी जलती है कुंड में आग

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो