पहले राज परिवार के लोग हर साल सावन के महीने में सहस्त्रघट रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक आयोजन कराते थे। पहाड़ी के निचले इलाके में खूबसूरत बिड़ला मंदिर और गणेश जी का भी मंदिर है। इस तरह एक ही जगह पर तीन मंदिरों के दर्शन का अवसर मिलता है। इसी वजह से यहां दर्शन के लिए महाशिवरात्रि के एक दिन पहले ही भीड़ आने लगती है। हालांकि पुजारी यहां नियमित पूजा अर्चना करते हैं।
ये भी पढ़ेंः Mahashivratri shubh Muhurt 2024: पहली बार व्रत रखना चाहते हैं तो जान लें विधि, तिथि, योग और महत्व इतिहासकरारों का का कहना है कि जयपुर का एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर जयपुर से भी पुराना है। यह मंदिर सवाई जयसिंह के समय का है। भगवान शिव के नाम पर ही इस इलाके को शंकरगढ़ के नाम से जाना जाता है। मंदिर निर्माण के बाद भगवान आशुतोष समेत पूरे शिव परिवार को यहां विराजमान कराया गया था। बताया जाता है कि सवाई जय सिंह के छोटे बेटे माधो सिंह के ननिहाल में एकलिंगेश्वर महादेव का मंदिर था, इसलिए उन्होंने यहां भी मंदिर की इच्छा व्यक्ति की। इसके बाद यहां मंदिर की स्थापना कराई गई और यह इलाका एकलिंगेश्वरा महादेव के नाम से जाना जाने लगा।
किंवदंती है कि किसी कारण से स्थापना के कुछ समय बाद ही शिव परिवार की मूर्तियां यहां से ओझल हो गईं। लेकिन इसके बाद फिर से यहां शिव परिवार की मूर्तियां स्थापित कराई गईं, मगर दूसरी बार भी मूर्तिया गायब हो गईं। इसके बाद से किसी अनहोनी के भय के चलते मंदिर में फिर से कभी यहां शिव परिवार की मूर्तियां स्थापित नहीं की गईं।