ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार 1500 फीट की ऊंचाई पर यह किला 11वीं शताब्दी के आस-पास बनवाया गया था। इसी में महादेव का मंदिर है। इस किले पर कुल 14 बार हमले हुए। यह किला दस वर्ग किमी एरिया में फैला है। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि रायसेन किले का निर्माण एक हजार ईसा पूर्व कराया गया था, तब आक्रमणकारियों ने मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था।
सोमेश्वर महादेव मंदिर के पास महाशिवरात्रि के दिन विशाल मेला लगता है। वैसे यहां मंदिर के गेट भले बंद रहते हैं, लोग मंदिर के बाहर से ही भगवान शिव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि 11वीं सदी में यह मंदिर बनवाया गया था। मान्यता है कि मंदिर के दरवाजे के कपड़ा बांधने से मनोकामना पूरी होती है।
बताया जाता है कि किसी विवादि के कारण मंदिर के दरवाजे 1974 तक बंद रहे, लेकिन बाद में लोगों की मांग पर इसके दरवाजे खोल दिए गए। लेकिन यह महाशिवरात्रि पर ही खुलता है।
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1974 में रायसेन के लोगों ने एकजुट होकर मंदिर खोलने और यहां स्थित शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन किया था। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी ने महाशिवरात्रि पर खुद आकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा कराई थी। तब से हर महाशिवरात्रि पर मंदिर के ताले श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं और यहां विशाल मेला भी लगता है।
1974 में रायसेन के लोगों ने एकजुट होकर मंदिर खोलने और यहां स्थित शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन किया था। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी ने महाशिवरात्रि पर खुद आकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा कराई थी। तब से हर महाशिवरात्रि पर मंदिर के ताले श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं और यहां विशाल मेला भी लगता है।