पता चलेगा मिट्टी का तापमान: मौसम विज्ञान केन्द्र में हाल ही में मृदा तापमापी लगाया गया है। डॉ एके श्रीवास्तव ने बताया कि इससे मिट्टी के विभिन्न स्तरों पर तापमान की गणना होती है। उनका कहना था कि अब रबी की फसल का समय आ रहा है। जिले में रबी के मौसम की मुख्य फसल गेंहू है। गेंहू की बोबनी के लिए जमीन का तापमान 20 से 25 डिग्री सेल्सिय होना चाहिए। ऐसे ही अन्य फसलों के लिए भी मिट्टी का आदर्श तापमान होना आवश्यक है। इस यंत्र की स्थापना के बाद किसानों को बोबनी के लिए मिट्टी का सही तापमान ज्ञात हो सकेगा।
ओस मापी से मिलेगी सिंचाई में सुविधा: वहीं ओस मापी यंत्र से अब यह पता चल सकेगा कि जिले में ओर कितनी गिर रही है। विदित हो कि विभिन्न वनस्पतियों एवं फसलों को प्रभावित करने में ओस की भी अहम भूमिका है। रबी के सीजन में ओस फसलों पर खासा प्रभाव डालती है। डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि ओस से ही रबी की फसलों की सिंचाई को देखा जाता है। यदि जिले में अच्छी ओस पड़ेगी तो खेतों में कम पानी देना होगा और यदि ओस की मात्र कम होती है तो ज्यादा पानी देना होता है। इस यंत्र की सहायता से किसानों को यह जानकारी भी उपलब्ध हो सकेगी।
वाष्पीकरण यंत्र: इसके साथ ही किसानों के लिए लगाया गया वाष्पीकरण यंत्र भी अब मददगार होगा। इस यंत्र की सहायता से कृषि वैज्ञानिकों को यह जानकारी होगी कि दिन के समय कितना पानी वाष्पीकरण होकर उड़ रहा है। पानी के वाष्पीकरण की जानकारी होने पर किसान भी यह तय कर पाएंगे कि खेतों में किस मौसम में किस हिसाब से पानी देना है। इससे किसानों को सिंचाई करने के लिए आवश्यक पानी का सही अंदाजा हो सकेगा।
यह यंत्र भी सहायक: इसके साथ ही मौसम विज्ञान केन्द्र में स्थापित किए गए धूप मापी एवं हवा की गति मापी यंत्र भी किसानों को उनकी फसलों के लिए लाभदायक होंगे। डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि धूप लेखा मापी यंत्र संभाग में केवल सागर में स्थापित है। इसके साथ ही इतना उन्नत मौसम विज्ञान केन्द्र संभाग में और कहीं नही है। लगभग एक माह पूर्व यहां पर स्थापित किए गए इन यंत्रों से अब किसानों को खासी सुविधा होगा।
कहते है अधिकारी: कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कृषि महाविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान केन्द्र को तकनीकि रूप से और विकसित किया गया है। यहां पर स्थापित किए गए मृदा तापमापी, ओस मापी एवं वाष्पीकरण मापी यंत्र खेती के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। इससे किसानों को फसलों को बोने, सिंचाई की तमाम सटीक जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी।- डॉ एके श्रीवास्तव, मौसम वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय, टीकमगढ़।