शादी के बाद आया बुखार: भागचंद्र के पिता प्रभु पाल ने बताया कि 28 जून को उसका विवाह हुआ था। विवाह के बाद उसे बुखार और कमजोरी होने पर 30 जून को जिला अस्पताल लाए थे। यहां पर डॉक्टरों ने उसके खून की जांच की तो शरीर में केवल 2.8 प्रतिशत ही खून था। वहीं प्लटलेट्स भी मात्र 10 हजार थे। इसके बाद डॉक्टरों ने तत्काल ही उसे खून लगवाने की सलाह दी। परिजनों ने यहां पर व्यवस्था कर उसे दो यूनिट खून लगवाया। इसके बाद उसकी हालत में सुधार हुआ। परिजनों ने बताया कि 4 दिन भर्ती रहने के बाद डॉक्टरों ने उसकी छुट्टि कर दी और वह घर वापस चले गए। प्रभु पाल ने बताया कि इसके बाद उसे 15 जुलाई को फिर बीमार होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया। यहां पर डॉक्टरों ने उसकी जांच कर फिर से खून की कमी होने एवं बुखार होने की बात कहीं। 16 जुलाई को यहां पर पदस्थ डॉक्टर उसके बुखार को ही कंट्रोल नही कर सके और सीधा उसे झांसी रेफर कर दिया। झांसी ले जाने पर उसके लक्षण देखकर डॉक्टरों ने उसकी डेंगू की जांच कराई। जांच पॉजीटिव आने पर उसका उपचार शुरू किया गया लेकिन 18 जुलाई को उसकी मौत हो गई।
यह है जिला अस्पताल का हाल: भागचंद्र की मौत ने जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों की लापरवाही एवं यहां की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए है। भागचंद्र के परिजनों की माने तो उसकी यहां पर खून की तमाम जांचे कराई गई साथ ही मलेरिया एवं पीलिया की भी जांच कराई गई। चार दिन उसे भर्ती रखा गया, लेकिन डॉक्टर उसकी सही बीमारी का भी पता नही कर सके। यदि डॉक्टर पहली बार में उसकी बीमारी का पता कर लेते तो समय से उपचार मिलने पर शायद भागचंद्र को बचाया जा सकता था। लेकिन शरीर में खून की कमी, कम हो रहे प्लटलेट्स के बाद भी डॉक्टरों ने उसकी डेंगू की जांच करना उचित नही समझा। प्रशासन की कार्रवाई के बाद अपनी मांगों को लेकर जिस प्रकार से यह डॉक्टर लामबंद हुए थे, यदि भागचंद्र को हो रही इस समस्या के लिए भी सभी एक होकर इसी प्रकार से प्रयास करते तो शायद डॉक्टर अपने भगवान होने के दर्जे को सार्थक कर देते। लेकिन ऐसा नही हुआ और 20 दिन पूर्व विवाह कर घर वापस आया भागचंद्र इस दुनिया से विदा हो गया।
बहु को देख हर कोई हो रहा परेशान: 21 साल के भागचंद्र की मौत से परिजनों के साथ ही पूरा गांव परेशान है। भागचंद्र की मौत के साथ ही लोग उस लड़की के विषय में सोच कर परेशान है, जो 20 दिन पहले बहू बनकर इस घर में आई थी। विदा होकर घर आई बहू के विवाह की रस्में भी शुरू नही हो सकी थी, कि भागचंद्र को डेंगू ने ग्रस लिया। इसके पहले वह अपने सुनहरे जीवन की बुनियाद को गड़ते डॉक्टरों की लापरवाही के चलते भागचंद्र यह दुनिया छोड़कर चला गया। इस घटना के बाद से बहू के शेष जीवन को लेकर हर कोई परेशान बना हुआ है।
कहते है अधिकारी: लंबे समय की बीमारी और उसके लक्षण देखकर डेंगू की जांच कराई गई थी। डेंगू पॉजीटिव आने पर उसका उपचार शुरू किया था। लेकिन लंबे समय से बीमारी होने के कारण उसे बचाया नही जा सका।- डॉ रामप्रताप बुंदेला, झांसी।
इस मामले की जानकारी नही है। कल ही जिला अस्पताल से डॉक्टरों का दल कमलनगर भेज कर वहां की जांच कराई जाएगी। जिले में चल रहे स्वास्थ्य रथ के माध्यम से हर जगह दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है। कमलनगर में टीम भेज कर पूरी जांच कराई जाएगी।- डॉ वर्षा राय, सीएमएचओ, टीकमगढ़।