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टीकमगढ़

आंकडों से अधिक जिले में हुई बारिश, इसके बाद भी स्टाफ डेमों सहित अन्य स्रोत खाली

केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा सिंचाई साधनों को बढ़ानें के लिए नाले, तालाब, छोटी बड़ी नदियों सहित पहाड़ों पर स्टाप डैमों का निर्माण किया गया।

टीकमगढ़Jan 02, 2019 / 01:15 pm

anil rawat

Every year millions of rupees flowing in water, nobody has the waste of water

Every year millions of rupees flowing in water, nobody has the waste of water

टीकमगढ़.केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा सिंचाई साधनों को बढ़ानें के लिए नाले, तालाब, छोटी बड़ी नदियों सहित पहाड़ों पर स्टाप डैमों का निर्माण किया गया। यह स्टाप डैम करोड़ों रुपए की लागत से किसानों को सुविधाएं देने के लिए बनाए गए। लेकिन इन स्टाप डैमों में आज तक बारिश का पानी नहीं रूक पाया है। जिसके कारण आज भी किसानों को सिंचाई सुविधा से बंचित होना पड़ रहा है।
प्रदेश सरकार और संभाग स्तरों के आदेशों पर जिला, जनपदों पर बारिश का पानी संग्रह के लिए विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों सहित समाजसेवी संस्थाओं की मॉनिटिंंग में स्टाप डैमों का निर्माण वर्षो से किए जा रहे है। लेकिन यह योजनाएं किसानों के पूरे समय काम नहीं आ रही है। बारिश समापन के बाद भी यह योजना धरातल पर सूखी ही दिखाई दे रही है। कई स्टाप डैमों के फाटक टूटे पड़े, तो कई स्टाप डैम निर्माण होते ही ध्वस्त हो गए। तो कई स्टाप डेमों का बारिश के दौरान नामो निशान मिट गया। गुणवत्ताहीन तरीके से निर्माण किए गए स्टाप डेमों की शिकायतें ग्रामीणों द्वारा की गई। मामले को लेकर विभाग द्वारा जांच की गई। लेकिन विभाग के जिम्मेदारों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इन विभागों से बनाए गए स्टाप डैम
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी रोकने और किसानों की सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने के लिए वन विभाग, कृषि विभाग के साथ जिला पंचायत, जनपद पंचायत, आरईएस द्वारा रोजगार गारंटी, बुंदेलखण्ड पैकेज, वाटर सेट योजना ,चैकडैम, स्टाप डैम और तालाबों के नवीन निर्माण और मरम्मत की गई। लेकिन मामले की जांच की जाए तो धरातल पर सफल कम और फैल की संख्या लम्बी दिखाई देगी।
पानी रोकने के लिए कई बार की गई विभागों की संयुक्त बैठकें
जल संरक्षण को लेकर जिला पंचायत, आरईएस, जलसंसाधन सहित अन्य विभागों में कलेक्टर द्वारा कई बार बारिश के पहले बैठके आयोजित की गई। जिम्मेदारों द्वारा जल संरक्षण करने के लिए टीम गठित की गई। टीम द्वारा जिले के सभी जनपद क्षेत्रों के स्टाफ डैमों में जल संग्रह करनेे के लिए मॉनीर्टिंग की गई। लेकिन अभी तक स्टाफ डैमों में जल संग्रह नहीं हो पाया।
सूखे की चपेट में है 10 वर्षो से जिला
जिला करीब 10 वर्षो से सूखे की मार झेल रहा था। जिसके कारण किसान खेती को पूर्ण तरीके से नहीं कर पा रहा था। इस वर्ष जिले में ११३४.० मिमी वर्षा आंकडे से अधिक हो चुकी है। इसके बाद भी जिला प्रशासन बारिश का पानी संग्रह नहीं कर पाया है। तालाब, नाले, नदियों के स्टाप डेम खाली दिखाई दे रहे है। जिसके कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखने लगी है।
निर्माण एंजेसियों द्वारा नहीं लगाए गए स्टाप डैमों के फाटक
ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश का पानी संग्रेह रोकने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में वाटर सेट , ग्रामीण यांत्रिकी विभाग, रोजगार गारंटी और बुंदेलखण्ड पैकेज के साथ अन्य योजनाओं के तहत स्टाप डैम निर्माण किए गए। निर्माण के दौरान एजेंसियों द्वारा न तो स्टाप डैमों में फाटक लगाए और न ही तालाबों के किनारों को मजबूत किया गया। यह निर्माण पहली और दूसरी बारिश में क्ष्तिग्रस्त हो गए। जिसके कारण आज तक उन स्थानों पर जल जलसंग्रहण नहीं हो सका।

वाटर सेट का उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में पानी रोकना
पहाडी क्षेत्रों को हरा भरा करने के लिए वाटर सेट विभाग द्वारा करोड़ों की लागत से जलसंग्रहण के उद्देश्य से चैक डैम बने थे। लेकिन खुले छोड़ देने के कारण जल संग्रह नहीं हो रहा है। जल संरक्षण के प्रतीक स्टापडेम, चैक डैम और तालाब सरकार की नाकामयाबी की पोल खोलते नजर आ रहे हैं। बंद पड़े स्टापडैमों पर न ही प्रशासन की नजर है और न ही उनका निर्माण करने वाली एजेंसियों का।
स्टाप डैमों में फाटक होते तो बर्बाद नहीं होता बरसात का पानी
रमपुरा निवासी देवीदास यादव, पुष्पेंद्र लोधी, नादिया निवासी पप्पू लोधी, विमलेश यादव, हरिया आदिबासी, करमासन घाट निवासी नन्नू कुशवाहा, छन्नू लोधी, काशीराम लोधी और जगदीश लोधी ने बताया कि जिले में जल संरक्षण के नाम शासन और प्रशासन द्वारा करोड़ों रूपए के तालाब, चैक डेम, स्टाप डैमों में निर्माण के बाद तुरंत फाटक लगाए जाते तो बरसात का पानी बर्बाद नहीं होता। बर्बाद हुआ पानी होता तो हजारों किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक होती।
फैक्ट फायल
जिले में कुल औसत बारिश – १००३ मिमी
पिछले वर्ष कुल बारिश का औसत – ८७१.१ मिमी
इस वर्ष कुल बारिश का औसत – ११३४.० मिमी
निर्माण कार्याे की कुल लागत-4२ करोड़ ८३ लाख, ३० हजार रूपए
पूर्व वर्षो में किए गए कुल तालाब ,स्टाप डैम कार्य – ४६९
वर्तमान में किए जा रहे कुल स्टाप डैम, तालाब निर्माण कार्य – ७६३
वर्ष 2011 से अब तक वाटर सेट से निर्माण किए गए कुल चैक डैम – 400
वर्ष 2015 से अग तक ग्रामीण यांत्रिकी विभाग में निर्माण किए गए कुल स्टाप डैम – 201
वर्ष 2015 से अग तक ग्रामीण यांत्रिकी विभाग में निर्माण किए गए कुल तालाब – 27
रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2017 से अब तक जिले में निर्माण किए गए कुल तालाब-184
रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2017 से अब तक जिले में तालाब निर्माण की कुल राशि-17 करोड़, 45 लाख, 28 हजार रूपए
रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2017 से अब तक जिले में मरम्मत किए गए कुल तालाब -366
रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2017 से अब तक मरम्मत की कुल राशि-18 करोड़, 79 लाख, 31 हजार रूपए
रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2017 से अब तक जिले में निर्माण किए गए कुल स्टाप डैम -83
रोजगार गारंटी योजना के तहत वर्ष 2017 से अब तक जिले में निर्माण किए गए स्टाप डैम की कुल राशि-5 करोड़, 49 लाख, 3 हजार रूपए
इनका कहना
आज मैने टीकमगढ़ का पदभार संभाला है। पानी का संग्रहण करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा विशेष प्रयास किए जाएगें। स्टाप डैमों की जानकारी संबंधित विभाग से ली जाएगी।
सौरभ कुमार सुमन कलेक्टर टीकमगढ़।

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