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टीकमगढ़

यहां वन विभाग की लापरवाही, बांध में डूब गए 2 हजार वृक्ष

बानसुजारा में डूब गए 2 हजार से अधिक वृक्ष

टीकमगढ़May 18, 2019 / 09:03 pm

anil rawat

Instructions given by the Government of India

Instructions given by the Government of India

टीकमगढ़. बानसुजारा बांध परियोजना में 2 हजार से अधिक वृक्ष या तो डूब गए है, या अन्य लोगों ने चोरी से काट लिए है। डूब क्षेत्र में आने वाले वन परिक्षत्र के इन वृक्षों को काटने के लिए निर्देश भारत सरकार ने दिए थे। लेकिन विभाग की लापरवाही से इस पर अमल नही हुआ। मामल सामने आने के बाद अब सभी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है।


जिले की सबसे बड़ी बांध परियोजना बानसुजारा के डूब क्षेत्र में वनविभाग की भी काफी जमीन आ रही थी। बानसुजारा बांध के पास स्थित वन विभाग के कक्ष क्रमांक पी 86 की जमीन डूब क्षेत्र में थी। इसके लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी गई थी। भारत सरकार ने यह अनुमति इस आधार पर दी थी कि यहां पर खड़े वृक्षों को काट कर डिपो में रखा जाएगा और उसके बाद ही अनुमति दी जाएगी। लेकिन बानसुजारा बांध बन कर तैयार हो गया है और डूब क्षेत्र में आने वाली जमीन भी डूब गई है, लेकिन यह वृक्ष नही काटे गए है।


कुल 5 हजार से अधिक थे वृक्ष: बानसुजारा बांध के डूब क्षेत्र में टीकमगढ़ एवं छतरपुर जिले की जमीनें आ रही थी। इसमें 2 हजार से अधिक वृक्ष जहां टीकमगढ़ वनमंडल के तहत आते थे, वहीं 3 हजार से अधिक वृक्ष छतरपुर वन मंडल के अंतर्गत आते थे। भारत सरकार द्वारा बानसुजारा के निर्माण की अनुमति के लिए यह निर्देश दिए गए थे, पहले इन वृक्षों का काट लिया जाए। लेकिन इस पर विभाग ने कोई ध्यान नही दिया। यह वृक्ष या तो बानसुजारा के भराव के बाद डूब गए है और बहुत से वृक्षों को चोरी से काट लिया है।

 

बनी थी सूची: भारत सरकार के निर्देश के बाद तत्कालीन अधिकारियों द्वारा डूब क्षेत्र में आने वाले वृक्षों की सूची बनाई गई थी। लेकिन यह काम सूची बनने तक ही सीमित रहा। इसके बाद अधिकारियों द्वारा इस पर ध्यान न दिए जाने के कारण यह वृक्ष नही काटे गए। जबकि केन्द्र सरकार द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे, इन वृक्षों का विदोहन होने के बाद ही स्वीकृति जारी की जाएगी। वृक्षों को बिना काटे स्वीकृति जारी करने से यह बात भी सामने आ रही है कि कहीं इस मामले में केन्द्र सरकार को भी तो गलत जानकारी नही भेजी गई है।


चोरी से काटे गए वृक्ष: इस मामले में सूत्रों की माने तो इन वृक्षों में से अनेक वृक्ष तो विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से चोरी से काट लिए गए है। सूत्र बताते है कि इतनी अधिक मात्रा में वृक्ष करने पर उनकी सही नाप-तौल या गणना होना भी कठिन था। ऐसे में कुछ वृक्ष तो पहले ही काट लिए गए थे। यह पूरा काम मिलीभगत से किया गया था। विदित हो कि यदि यह वृक्ष कट कर डिपो में आते और इनकी नीलामी की जाती, तो विभाग को लाखों रूपए का राजस्व प्राप्त होता। मामले सामने आने के बाद अब अधिकारी इसकी जानकार करने की बात कह रहेहै। विदित हो कि बानसुजारा का निर्माण शुरू होने के बाद से यहां पर चार रेंजर बदल चुके है। लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नही दिया।
कहते है अधिकारी: मेरे द्वारा वृक्षों की सूची बनाई गई थी। लगभग दो हजार से अधिक वृक्ष यहां पर थे। इसके बाद मेरा यहां से ट्रांसफर हो गया। मेरे सामने पेड़ नही काटे गए थे।- आरबी खरे, तत्कालीन डिप्टी रेंजर, बल्देवगढ़।

 

जब यह प्रक्रिया चल रही थी, उसी समय मेरा भी यहां से स्थानांतरण हो गया था। मैं यहां पर 2 से 3 माह ही रहा था। उस समय तक यह वृक्ष नही काटे गए थे। बाद में क्या हुआ, मुझे जानकारी नही।- आरके द्विवेदी, तत्कालीन डिप्टी रेंजर, बल्देवगढ़।
मुझे इसकी जानकारी नही है। यह प्रक्रिया मेरे आने के पहले से ही चल रही थी। मुझे इस संबंध में कोई पत्र भी प्राप्त नही हुआ था। यह पूरा प्रक्रिया वन मंडल स्तर से की जा रही थी।- अरविंद केन, तत्कालीन रेंजर, बल्देवगढ़
मैंने अभी अक्टूबर में यहां ज्वाइन किया है। इस बारे में मुझे जानकारी नही है। अब तो यहां पर पानी भी भर चुका है। मैं इसकी जानकारी करने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा।- चंद्रशेखर सिंह, वन मंडल अधिकारी, टीकमगढ़।

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